वेंगीपुराप्पु वेंकटा साई लक्ष्मण, अंग्रेजी वर्णमाला के 27 अक्षरों को प्रयोग कर यह नाम बना है। यह नाम जितना स्पेशल और लंबा है उतना ही स्पेशल और उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त वाला वह शख्स है, जिसकी पहचान यह नाम है। क्रिकेट प्रेमियों के लिए वह वीवीएस यानि वेरी वेरी स्पेशल लक्ष्मण है। अपने नाम के मुताबिक वह एक बार फिर टीम इंडिया के लिए वेरी वेरी स्पेशल साबित हुए है। विपरीत हालातों में खेली उनकी पारी ने वेस्टइंडीज की धरती पर धोनी बिग्रेड की लाज बचा ली।
वीवीएस लक्ष्मण को यूं तो हमेशा कोलकाता में आस्ट्रेलिया के खिलाफ फॉलोआन खेलते हुए 281 रनों की पारी के लिए याद किया जाता है। हालांकि लक्ष्मण ने कई बार ऐसी यादगार पारियां खेली है। कोलंबो, सिडनी, नेपियर हो या फिर मोहली या वेस्टइंडीज का कोई मैदान। लक्ष्मण का बल्ला हर जगह खूब चला।
लक्ष्मण की ज्यादातर पारियां विपरीत हालातों में ही खेली गई है। भारत का शीर्ष क्रम जब जब लड़खड़ाया, वीवीएस ने विपक्षी गेंदबाजों के आगे लक्ष्मण रेखा खींच दी। लक्ष्मण ऐसे हालात में विपक्षी टीम के सामने अंगद के पांव की तरह जम जाते है। जैसे आंच में तपकर सोना कुंदन बनता है वैसे ही दबाव की तपिश में लक्ष्मण को खेल निखरता है। विरोधी टीम जितना हावी होती है उतना ही लक्ष्मण का खेल परवान चढ़ता जाता है। लक्ष्मण को भी मानो बहाव के विपरीत कश्ती चलाने में ही ज्यादा मजा आता है।
वीवीएस लक्ष्मण की कलात्मक बल्लेबाजी को देखना अपने आप में एक यादगार अनुभव है। कोई चित्रकार जैसे किसी तस्वीर को बनाता है उसी तरह वीवीएस की पारी संजी संवरी रहती है। वह जब बल्लेबाजी करते है तो बल्ला चित्रकार की कूची और मैदान कैनवास सा नजर आता है। चित्रकार जैसे कही बेहद हल्के स्ट्रोक्स का इस्तेमाल अपनी कलाकृति में करता है कुछ उसी तरह लक्ष्मण का बल्ला स्पिन गेंदबाज के खिलाफ करीने से लेट कट या ऑन ड्राईव लगाता नजर आता है। चित्रकार कही तीखे चटक रंग के इस्तेमाल से कलाकृति को चार चांद लगाता है तो उसी तरह तेज गेंदबाजों के खिलाफ बेधड़क जमाए लक्ष्मण के पुल शॉटस उनकी बल्लेबाजी को नयी उंचाईयों पर ले जाते है।

सौरव गांगुली की विदाई के बाद गोल्डन फैब फोर में अगला निशाना वीवीएस लक्ष्मण को माना जा रहा था। 2008 में धोनी के नेतृत्व में युवाओं को मौका देने की बात जोर पकडने लगी थी। लक्ष्मण की जगह युवराज की पैरवी की जा रही थी। लक्ष्मण ने विचलित हुए बगैर अपना स्वाभाविक खेल जारी रखा। तीन साल बाद भी लक्ष्मण टीम के मुख्य आधार स्तंभ और जीत के शिल्पकार बने हुए है। वहीं युवराज टेस्ट टीम में जगह बनाने के लिए नए और युवा बल्लेबाजों से संघर्ष कर रहे है।

लक्ष्मण आज दुनिया भर के गेंदबाजों को अपनी कलात्मक बल्लेबाजी से दुविधा में डाल रहे है, लेकिन एक वक्त वह खुद एक बड़ी दुविधा में फंस गए थे। वीवीएस लक्ष्मण अपने माता पिता की तरह डाक्टर बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने डाक्टरी की पढाई भी शुरू कर दी। 17 साल की उम्र में लक्ष्मण धर्मसंकट में फंस गए थे। उन्हें डाक्टरी की पढ़ाई या क्रिकेट दोनों में से एक को चुनना था। लक्ष्मण ने स्टेथस्कोप थामने की बजाए बल्ला थामने का फैसला लिया। लक्ष्मण के शब्दों, "मैंने बतौर क्रिकेटर खुद को साबित करने के लिए पांच साल की समय सीमा तय की। यदि मैं राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने में कामयाब नहीं होता तो डाक्टर बन जाता। "
वीवीएस ने जो लक्ष्मण रेखा तय की थी उसके खत्म होने तक वह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट मैच में पदार्पण कर चुके थे। हालांकि यह बात भी उतनी ही सच है कि जितना धैर्य, समर्पण, नज़ाकत और आत्मविश्वास लक्ष्मण में है यदि वह डाक्टरी पेशे में भी होते तो वहां भी खूब नाम और सम्मान कमाते।
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