दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फील्डर के नाम का जिक्र आने पर सबसे पहले जेहन में जोंटी रोडस का ही नाम आता है। इस दक्षिणी अफ्रीकी खिलाडी ने फील्डिंग के मायने बदल कर रख दिए। कई हैरतअंगेज कैच और रन आउट में वह शामिल रहे। जोंटी के अलावा अब तो ऐसे फील्डरों की लंबी फेहरिस्त है लेकिन डेल्ही और डेक्कन के खिलाफ मुकाबले ने 28 नवंबर 1986 में शारजाह में खेले गए एक मुकाबले की याद ताजा कर दी। यह मुकाबला वेस्टइंडीज और शारजाह के मैदान पर शक्तिशाली माने जाने वाली पाकिस्तान टीम के बीच था। वेस्टइंडीज ने यह मुकाबला नौ विकेट से जीता था और वेस्टइंडीज के गस लोगी को मैन ऑफ मैच का खिताब मिला था। उन्होंने इस मुकाबले में न तो गेंदबाजी की थी और नहीं बल्लेबाजी बावजूद उन्हें मैन ऑफ द मैच का खिताब मिला उनकी फील्डिंग की बदौलत। तीन कैच लपकने और दो बल्लेबाजों को रन आउट करने की वजह से उन्हें इस खिताब के लिए चुना गया।
गस लोगी ने जो कारनामा कर दिखाया था कुछ उसी तरह की फील्डिंग का मुजाहिरा रोहित शर्मा ने डेल्ही के ख्रिलाफ मुकाबले में कर दिखाया। डेल्ही के तीनों शीर्षक्रम के बल्लेबाजों का कैच उन्होंने लपका। यह तीनों ही कैच इतने जानदार थे कि यह फैसला करना मुश्किल था कि कौन सा कैच सबसे ज्यादा कमाल का है। वार्नर, सहवाग और गंभीर डेल्ही के ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सबसे शक्तिशाली शुरूआती क्रम के बल्लेबाज माने जाते है। यह तीनों रोहित शर्मा की चपलता का शिकार बने। रोहित ने केवल कैच ही नहीं लपके बल्कि अपनी टीम को सेमीफायनल में पहुंचने का मौका भी लपक लिया। हालांकि उनके इस प्रदर्शन को मैन ऑफ द मैच के लायक नहीं समझा गया और सायमंडस को उनकी बल्लेबाजी के इस खिताब के लिए चुना गया।
गस लोगी ने जो कारनामा कर दिखाया था कुछ उसी तरह की फील्डिंग का मुजाहिरा रोहित शर्मा ने डेल्ही के ख्रिलाफ मुकाबले में कर दिखाया। डेल्ही के तीनों शीर्षक्रम के बल्लेबाजों का कैच उन्होंने लपका। यह तीनों ही कैच इतने जानदार थे कि यह फैसला करना मुश्किल था कि कौन सा कैच सबसे ज्यादा कमाल का है। वार्नर, सहवाग और गंभीर डेल्ही के ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सबसे शक्तिशाली शुरूआती क्रम के बल्लेबाज माने जाते है। यह तीनों रोहित शर्मा की चपलता का शिकार बने। रोहित ने केवल कैच ही नहीं लपके बल्कि अपनी टीम को सेमीफायनल में पहुंचने का मौका भी लपक लिया। हालांकि उनके इस प्रदर्शन को मैन ऑफ द मैच के लायक नहीं समझा गया और सायमंडस को उनकी बल्लेबाजी के इस खिताब के लिए चुना गया।
आईपीएल की सबसे शक्तिशाली बैटिंग लाइन अप 146 सा मामूली लक्ष्य भी हासिल नहीं कर पाई। वार्नर, सहवाग, गंभीर, कार्तिक ने डेल्ही को फिर शर्मसार किया। कॉलिंगवुड यदि एक और से किला नहीं लडाते और नेहरा कुछ चमकीले शॉट्स नहीं खेलते तो डेल्ही और दयनीय हार नसीब होती। दोनों ने डेल्ही को एक नामुमकिन सी लगने वाली जीत के बेहद नजदीक पहुंचा दिया था। यहां पर चामिंडा वास का अनुभव भारी पडा। अंतिम ओवर में उन्होंने धीमी गेंदों का मिश्रण कर डेल्ही टीम को बाहर का रास्ता दिखा दिया। प्रज्ञान ओझा हमेशा की तरह भरोसेमंद साबित हुए। दो अहम विकेट लेकर उन्होंने डेल्ही की रही सही उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
पंजाब किंग्स इलेवन के खिलाफ मुकाबले के पहले डेल्ही डेयरडेविल्स के खिलाडियों ने प्रैक्टिस तक करना मुनासिब नहीं समझा था। राजस्थान रॉयल्स का कप्तान गौतम गंभीर ने मखौल उडाया था और केवल वीरेन्द्र सहवाग नहीं बल्कि टीम में कई ट्रंप कार्ड है ऐसा दंभ भी उन्होंने भरा था। कोटला की पिच को लेकर सवाल उठाए थे तो शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों को अच्छा खेलने की नसीहत भी दी। डेल्ही ने कागजों और बयानों में वह सब कुछ किया जिसे एक अच्छा प्रबंधकीय कौशल कहां जाता है लेकिन जब इसे हकीकत में बदलने की बारी आई तो यह टीम चारों खाने चित हो गई। डेल्ही के यह कागजी शेर मैदान में ढेर हो गए।
डेक्कन की टीम ने आईपीएल के शुरूआती दौर में कई मुकाबले हारने के बाद कमाल का खेल दिखाया है। लीग के अंतिम पांच मैच इस टीम के लिए नॉक आउट की तरह थे। एक भी मुकाबला हारा कि सेमीफायनल का रास्ता बंद। गिलक्रिस्ट के नेतृत्व में इस टीम की तारीफ करना होगी की मैच दर मैच विजय रथ आगे बढता गया। गत विजेता टीम एक बार फिर खिताब की दौड में शामिल हो गई है। गंभीर को जरूरत है डेक्कन और खासतौर पर गिलक्रिस्ट से सबक लेने की। गिलक्रिस्ट के लिए बल्लेबाजी के लिहाज से यह सीजन असफल ही कहां जाएगा लेकिन व्यक्तिगत असफलताओं को उन्होंने टीम पर हावी नहीं होने दिया। कुशल नेतृत्व की बदौलत उनकी टीम हर मुश्किल बाधा को आसानी से पार कर रही है। उन्होंने गिलक्रिस्ट से सबक लिया या नहीं इसके लिए एक साल का इंतजार करना होगा क्योंकि डेल्ही केवल सेमीफायनल की दौड से नहीं बल्कि सितंबर में होने वाली चैम्पियंस लीग से भी बाहर हो गई है।
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