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Sunday, April 25, 2010

कैरेबियन आंधी

मुंबई इंडियंस और बेंगलुरू रॉयल चैलेंजर्स के खिलाफ डीवाय पाटिल स्‍टेडियम पर सेमीफायनल मुकाबला शुरू होने में ही था। मुकाबले को लेकर बेसब्री थी ही और मुंबई के पहले बल्‍लेबाजी करने की वजह से उत्‍सुकता जरा ज्‍यादा ही थी। मेरा सारा ध्‍यान मुकाबले की और था और उसी वक्‍त छोटे शहर से भोपाल में कुछ बडा करने की तमन्‍ना लिए आए एक मीडिया साथी दुखी था अपने संस्‍थान में हुए बदलाव से। सहानुभूति भरे मेरे लफ्जों का उस पर कोई खास असर नहीं पड रहा था। जो काम मैं नहीं कर सका वह टाटा शहर जमशेदपुर के फौलादी इरादों वाले सौरभ तिवारी ने कर दिखाया। आईपीएल के पहले गुमनाम सौरभ तिवारी ने आईपीएल के सेमीफायनल जैसे बडे मौके मुश्किल हालातों में एक जबर्दस्‍त पारी खेली। छोटे शहर से आए तिवारी ने जिस तरह से दुनिया के मंच अपना नाम रोशन किया। तिवारी की इस पारी ने केवल मुंबई को नहीं बल्कि विपरीत हालत झेल रहे मीडिया साथी को उनकी सफलता ने अवसाद से उबार दिया।
डीवाय पाटिल स्‍टेडियम पर सचिन तेंदुलकर ने डेल स्‍टेन की गेंद पर दो चौके जमाकर जोरदार आगाज किया। स्‍टेडियम सचिन सचिन के शोर से गुंज रहा था। क्रिकेट प्रेमियों को सचिन से फिर एक बडी पारी की उम्‍मीद जगी लेकिन स्‍टेन ने सचिन को आउट कर मुंबई की उम्‍मीदों को करारा झटका दिया। मुंबई के लिए फायनल  एक तरह से दूर होता दिखने लगा। सौरभ तिवारी ने ऐसे मौके पर मोर्चा संभाला जब स्‍टेडियम पर सन्‍नाटा पसरा हुआ था। ऐसे विपरीत हालातों में मुंबई को मुसीबत से उबारा सौरभ तिवारी ने। दक्षिण भारतीय अंबाटी रायडू के साथ मिलकर इस उत्‍तर भारतीय बल्‍लेबाज ने मुंबईवासियों के दिल पर एक बार फिर राज किया। खासतौर पर सौरभ तिवारी ने इस आईपीएल में अपनी सर्वश्रेष्‍ठ पारी खेली। रायडू ने उनका बखूबी साथ दिया और बेंगलुरू के गेंदबाजी अटैक की इन दोनों के सामने एक भी नहीं चली।
सौरभ तिवारी की तरह आईपीएल के सबसे महंगे खिलाडी केरान पोलार्ड ने भी मानों बडे मुकाबलों के लिए अपने करिश्‍मे को बचाकर रखा था। लीग मुकाबलों में कोई खास प्रदर्शन नहीं करने की वजह से पोलार्ड सवालों के कटघरे में खडे थे। मुंबई इंडियंस के लिए वह एक महंगा और गलत सौदा साबित हो रहे थे। पोलार्ड ने बेंगलुरू के खिलाफ अपनी पारी से आलोचकों की बोलती बंद कर दी। डीवाय पाटिल स्‍टेडियम पर पोलार्ड जब बल्‍लेबाजी करने आए तो उमस भरी शाम थी और जब मुकाबला खत्‍म हुआ तो बेंगलुरू टीम के खिताब जीतने के ख्‍वाब कैरिबियन आंधी में उड गए। बल्‍लेबाजी के बाद गेंदबाजी में भी यह पोलार्ड का दिन था। बिग हिटर बल्‍लेबाज ने गेंदबाजी से तीन बडे हिटरों का शिकार किया। रॉबिन उत्‍थपा, विराट कोहली और मनीष पांडे तीनों को पोलार्ड ने आउट किया।

बेंगलुरू की बैटिंग लाइन के बडे नाम अपने ख्‍याति के हिसाब से परफार्म कर रहे थे। ऐसे में एक वक्‍त यह टीम अपराजेय लग रही थी। यही बैटिंग लाइन सीजन के अंत में आते आते बडे मुकाबलों में नाकाम साबित हुई। पोलार्ड के जादू के बावजूद ऐसा नहीं था कि बेंगलुरू की टीम इस मुकाबले को जीतन नहीं सकती थी। टूर्नामेंट की सबसे सशक्‍त बल्‍लेबाजी वाली इस टीम की बल्‍लेबाजी में काफी गहराई थी।  कैलिस, द्रविड और पीटरसन ने आगाज तो अच्‍छा किया था लेकिन इसके पहले कोई कमाल दिखा पाते उसके पहले पैवेलियन लौट गए। लगातार दूसरी बार बेंगलुरू की टीम खिताब के नजदीक पहुंच कर भी उसे हासिल नहीं कर पाई।

अनिल कुंबले अमूमन क्रिकेट के मैदान पर अपनी नाकामी या निराशा को जताते नहीं है। मुंबई के खिलाफ मुकाबले में अनिल कुंबले की निराशा साफतौर पर झलक रही थी। अनिल कुंबले इस आईपीएल के सबसे किफायती गेंदबाज साबित हुए है। सेमीफायनल के निर्णायक मौके पर टीम को उनसे उम्‍मीद थी लेकिन जंबो नाकाम रहे। अनुशासित गेंदबाजी करने वाले अनिल कुंबले ने नो बॉल भी की और अहम मौके पर बल्‍लेबाजों को आजादी से रन बनाने का मौका भी उन्‍होंने दे दिया। कुंबले अपने व्‍यक्तिगत प्रदर्शन से तो निराश थे ही अंतिम ओवरों में बाकी गेंदबाजों भी बल्‍लेबाजों पर लगाम कसने में नाकाम रहे।
मुंबई के लिए फायनल में पहुंचने की खुशी के साथ एक बडा झटका भी इस मुकाबले से लगा है। मुंबई को पहली बार आईपीएल के फायनल में पहुंचाने वाले सचिन की अंगुली में चोट लग गई है। शुरूआती ओवर में ही सचिन चोट की वजह से मैदान के बाहर हो गए। सचिन को लेकर मुंबई टीम के साथ साथ उनके करोडों क्रिकेट प्रेमी भी इस चोट को लेकर चिंतित नजर आए। आईपीएल में सबसे ज्‍यादा रन बनाकर आरेंज कैप हासिल करने वाले सचिन की गैर मौजूदगी से मुंबई को करारा झटका लग सकता है। रविवार को छुट्टी का दिन आईपीएल का अंतिम दिन होने के साथ साथ सबसे बडा दिन भी है। इस बडे मुकाबले से सचिन की छुट्टी हुई तो फायनल से मुंबई की छुट्टी हो सकती है।

दादा दा जवाब नहीं

कोलकाता नाइटराइडर्स ने अपने मालिक शाहरूख खान को शर्मिन्‍दा होने से बचा लिया। शाहरूख खान ने ऐलान किया था कि यदि उनकी टीम आईपीएल का खिताब जीतेगी तो वह स्‍टेडियम में न्‍यूड होकर नाचेंगे। खिताब जीतना को दूर यह यह हाई प्रोफाइल टीम लगातार तीसरी बार सेमीफायनल में जगह बनाने में नाकाम रही। यह एकमात्र ऐसी टीम जो अब तक ऐसा करने में नाकाम रही है। दर्शकों की सबसे चहेती टीम और बॉलीवुड के किंग खान का नाम जुडा होने की वजह से हर बार इस टीम से उम्‍मीद काफी रहती है। हर बार की तरह इस बार भी शाहरूख की टीम ने निराश किया।

शाहरूख की टीम ने भले ही निराश किया हो लेकिन सीजन दो के विवादों के बाद एक बार फिर टीम की कमान संभालने वाले सौरव गांगुली एक बार फिर प्रिंस ऑफ कोलकाता साबित हुए। लीग के अंतिम मुकाबले में मुंबई के खिलाफ भी गांगुली का शानदार फार्म जारी रहा। 42 रनों की पारी के बाद वह आईपीएल में रन बनाने वाले खिलाडियों की फेहरिस्‍त में तीसरे नंबर पर जा पहुंचे है। 493 रन बनाने वाले गांगुली से रनों के मामले में जैक कैलिस और सचिन तेंदुलकर ही आगे है। गांगुली का इस सूची में आना उन आलोचकों को करारा जवाब है जो उन्‍हें चुका हुआ बता रहे थे। मजबूत इच्‍छाशक्ति की बदौलत ही गांगुली ने टीम इंडिया के साथ लंबा सफर तय किया है और आईपीएल में भी उन्‍होंने खुद को साबित कर दिया है। कप्‍तानी, फील्डिंग और बल्‍लेबाजी तीनों में गांगुली का कोई जवाब नहीं था। टीम के बाकी खिलाडियों की और से यदि सहयोग मिलता और कुछ अहम मुकाबलों में टीम घटिया खेल नहीं दिखाती तो कोई शक नहीं कि यह टीम खिताब की दौड में शामिल रहती। मुंबई के खिलाफ मुकाबले में कोलकाता को एक बडे अंतर से जीत दर्ज करना थी। कोलकाता यदि पहले बल्‍लेबाजी कर 175 रन बनाती तो उसे मुंबई को दो रनों पर ऑल आउट करना पडता। यह नामुमकिन ही था। 

दूसरी और सेमीफायनल में पहले से ही जगह बना चुकी मुंबई के लिए अंतिम लीग मुकाबला अपनी बैंच स्‍ट्रैंथ को परखने का एक अच्‍छा मौका साबित हुआ। सचिन तेंदुलकर सहित शीर्ष पांच खिलाडियों को आराम कर नये खिलाडियों की अगुआई में मुंबई टीम मैदान पर उतरी थी। रायडू और सौरभ तिवारी दोनों ने बेहतर खेल दिखाया लेकिन जिन नये खिलाडियों को मौका दिया वह कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए। इस वजह से मुंबई बडा स्‍कोर खडा करने में नाकाम रही। टीम को सचिन के बगैर खेलने की आदत नहीं है। उनकी बल्‍लेबाजी से मुंबई का विजयी मार्च पर थी तो उनकी मौजूदगी नये खिलाडियों को कुछ अद्भुत करने प्रेरित करती थी। यह मुकाबला टीम ने उनके बगैर खेला और नतीजा सामने है।
आईपीएल के पहले सीजन में भी कोलकाता ने पहले दो मुकाबलों में डेक्‍कन चार्जर्स और बेंगलुरू रॉयल चैलेंजर्स को हराया था। इस बार भी कोलकाता की टीम ने सीजन की शुरूआत इन्‍हीं दोनों टीमों को शिकस्‍त देकर की थी। मुंबई के साथ इस टीम को संभावित विजेता के रूप में देखा जा रहा था। शुरूआती जीत के बाद कोलकाता की लय गडबडा गई। टीम की गेंदबाजी उसका कमजोर पक्ष रही। ईशांत शर्मा सबसे बडे मुजरिम के रूप में सामने आए है। क्रिस गैल और मेक्‍युलम जैसे बल्‍लेबाजों के प्रदर्शन में भी निरंतरता का अभाव रहा। मनोज तिवारी और मैथ्‍यूज भी कभी जमकर खेले तो कभी उन्‍होंने टीम को नीचा दिखाया।
आईपीएल के चौथे सीजन में टीमों में भारी बदलाव होंगे। शाहरूख खान की टीम को भी नये सिरे से खिलाडियों की खरीद फरोख्‍त में शामिल होना पडेगा। फिर भी एक बात तो तय है कि शाहरूख के लिए पहली पसंद प्रिंस ऑफ कोलकाता ही होंगे और दादा भी इस शहर के अलावा किसी और की नुमाइंदगी करना पसंद नहीं करेंगे। यह एक ऐसा शहर जिसके रगों में क्रिकेट और फुटबाल बसा हुआ है। अच्‍छा खेल दिखाने पर यहां के खेल प्रेमी आपको दाद देने में जरा सी भी कंजूसी नहीं करेंगे और यदि आपने निराश किया तो वे ईडन गार्डन को फूंकने से भी परहेज नहीं करेंगे। उम्‍मीद की जाना चाहिए की दादा की दादागिरी अगले सीजन में भी जारी रहेगी।

डेल्‍ही कैच रोहित आउट आईपीएल

दुनिया के सर्वश्रेष्‍ठ फील्‍डर के नाम का जिक्र आने पर सबसे पहले जेहन में जोंटी रोडस का ही नाम आता है। इस दक्षिणी अफ्रीकी खिलाडी ने फील्डिंग के मायने बदल कर रख दिए। कई हैरतअंगेज कैच और रन आउट में वह शामिल रहे। जोंटी के अलावा अब तो ऐसे फील्‍डरों की लंबी फेहरिस्‍त है लेकिन डेल्‍ही और डेक्‍कन के खिलाफ मुकाबले ने 28 नवंबर 1986 में शारजाह में खेले गए एक मुकाबले की याद ताजा कर दी। यह मुकाबला वेस्‍टइंडीज और शारजाह के मैदान पर शक्तिशाली माने जाने वाली पाकिस्‍तान टीम के बीच था। वेस्‍टइंडीज ने यह मुकाबला नौ विकेट से जीता था और वेस्‍टइंडीज के गस लोगी को मैन ऑफ मैच का खिताब मिला था। उन्‍होंने इस मुकाबले में न तो गेंदबाजी की थी और नहीं बल्‍लेबाजी बावजूद उन्‍हें मैन ऑफ द मैच का खिताब मिला उनकी फील्डिंग की बदौलत। तीन कैच लपकने और दो बल्‍लेबाजों को रन आउट करने की वजह से उन्‍हें इस खिताब के लिए चुना गया।

गस लोगी ने जो कारनामा कर दिखाया था कुछ उसी तरह की फील्डिंग का मुजाहिरा  रोहित शर्मा ने डेल्‍ही के ख्रिलाफ मुकाबले में कर दिखाया। डेल्‍ही के तीनों शीर्षक्रम के बल्‍लेबाजों का कैच उन्‍होंने लपका। यह तीनों ही कैच इतने जानदार थे कि यह फैसला करना मुश्किल था कि कौन सा कैच सबसे ज्‍यादा कमाल का है। वार्नर, सहवाग और गंभीर डेल्ही के ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सबसे शक्तिशाली शुरूआती क्रम के बल्‍लेबाज माने जाते है। यह तीनों रोहित शर्मा की चपलता का शिकार बने। रोहित ने केवल कैच ही नहीं लपके बल्कि अपनी टीम को सेमीफायनल में पहुंचने का मौका भी लपक लिया। हालांकि उनके इस प्रदर्शन को मैन ऑफ द मैच के लायक नहीं समझा गया और सायमंडस को उनकी बल्‍लेबाजी के इस खिताब के लिए चुना गया।

आईपीएल की सबसे शक्तिशाली बैटिंग लाइन अप 146 सा मामूली लक्ष्‍य भी हासिल नहीं कर पाई। वार्नर, सहवाग, गंभीर, कार्तिक ने डेल्‍ही को फिर शर्मसार किया। कॉलिंगवुड यदि एक और से किला नहीं लडाते और नेहरा कुछ चमकीले शॉट्स नहीं खेलते तो डेल्‍ही और दयनीय हार नसीब होती। दोनों ने डेल्‍ही को एक नामुमकिन सी लगने वाली जीत के बेहद नजदीक पहुंचा दिया था। यहां पर चामिंडा वास का अनुभव भारी पडा। अंतिम ओवर में उन्‍होंने धीमी गेंदों का मिश्रण कर डेल्‍ही टीम को बाहर का रास्‍ता दिखा दिया। प्रज्ञान ओझा हमेशा की तरह भरोसेमंद साबित हुए। दो अहम विकेट लेकर उन्‍होंने डेल्‍ही की रही सही उम्‍मीदों पर पानी फेर दिया।

पंजाब किंग्‍स इलेवन के खिलाफ मु‍काबले के पहले डेल्‍ही डेयरडेविल्‍स के खिलाडियों ने प्रैक्टिस तक करना मुनासिब नहीं समझा था। राजस्‍थान रॉयल्‍स का कप्‍तान गौतम गंभीर ने मखौल उडाया था और केवल वीरेन्‍द्र सहवाग नहीं बल्कि टीम में कई ट्रंप कार्ड है ऐसा दंभ भी उन्‍होंने भरा था। कोटला की पिच को लेकर सवाल उठाए थे तो शीर्ष क्रम के बल्‍लेबाजों को अच्‍छा खेलने की नसीहत भी दी। डेल्‍ही ने कागजों और बयानों में वह सब कुछ किया जिसे एक अच्‍छा प्रबंधकीय कौशल कहां जाता है लेकिन जब इसे हकीकत में बदलने की बारी आई तो यह टीम चारों खाने चित हो गई। डेल्‍ही के यह कागजी शेर मैदान में ढेर हो गए।

डेक्‍कन की टीम ने आईपीएल के शुरूआती दौर में कई मुकाबले हारने के बाद कमाल का खेल दिखाया है। लीग के अंतिम पांच मैच इस टीम के लिए नॉक आउट की तरह थे। एक भी मुकाबला हारा कि सेमीफायनल का रास्‍ता बंद। गिलक्रिस्‍ट के नेतृत्‍व में इस टीम की तारीफ करना होगी की मैच दर मैच विजय रथ आगे बढता गया। गत विजेता टीम एक बार फिर खिताब की दौड में शामिल हो गई है। गंभीर को जरूरत है डेक्‍कन और खासतौर पर गिलक्रिस्‍ट से सबक लेने की। गिलक्रिस्‍ट के लिए बल्‍लेबाजी के लिहाज से यह सीजन असफल ही कहां जाएगा लेकिन व्‍यक्तिगत असफलताओं को उन्‍होंने टीम पर हावी नहीं होने दिया। कुशल नेतृत्‍व की बदौलत उनकी टीम हर मुश्किल बाधा को आसानी से पार कर रही है। उन्‍होंने गिलक्रिस्‍ट से सबक लिया या नहीं इसके लिए एक साल का इंतजार करना होगा क्‍योंकि डेल्‍ही केवल सेमीफायनल की दौड से नहीं बल्कि सितंबर में होने वाली चैम्पियंस लीग से भी बाहर हो गई है।

देवभूमि में ज्‍वालामुखी

आइसलैंड में ज्‍वालामुखी में विस्‍फोट की वजह से दुनिया भर में हवाई उडानों पर असर पडा है। सभी दूर अफरातफरी मची हुई है और लोग इस मुसीबत से खुद को कैसे बाहर निकाले यह उन्‍हें समझ में नहीं आ रहा है। आइसलैंड से सुदूर देवभूमि धर्मशाला में भी पहली बार लावा फूटा। यह लावा जस्‍बातों का था और इसकी तपिश का शिकार आम लोगों पर नहीं बल्कि एक बेहद खास और खूबसूरत बॉलीवुड अदाकारा प्रिटी जिंटा और उनकी टीम बनी। क्रिकेट के मैदान पर ज्‍वालामुखी फूटे या भूकंप आ जाए एक खिलाडी कभी भी संयम नहीं खोता है। खुशी का इजहार हो या फिर आक्रोश को जताने का यह खिलाडी हर हालात में चेहरे पर एक जैसे भाव लिए होता है। यहां तक की टी20 वर्ल्‍ड कप के खिताब पर कब्‍जा जमाने के बाद भी धोनी ने इस तरह सेलिब्रेशन और अपनी भावनाओं का इजहार नहीं किया।

धर्मशाला में धोनी ने बता दिया कि क्‍यों उन्‍हें ग्रेट फिनिशर कहां जाता है। उन्‍होंने अपनी टीम को बेहद विपरीत हालातों में जीत दिलवाई है। अंतिम पांच ओवरों में चेन्‍नई के लिए सेमीफायनल में पहुंचने के रास्‍ते बंद होते दिख रहे थे। इसी मौके पर धोनी को खोया फार्म मिला और कप्‍तानी ने जिम्‍मेदारी भरी पारी खेलते हुए लगातार तीसरी बार टीम को सेमीफायनल में पहुंचा दिया। इरफान पठान के अंतिम ओवर में जीत के लिए 16 रनों की जरूरत थी। लीग के पहले मुकाबले में भी दोनों टीमों के बीच नतीजा पठान के अंतिम ओवर से ही तय हुआ था। उनके जादुर्द ओवर से सुपर ओवर में मुकाबला पहुंच गया था और पंजाब ने सीजन की पहली जीत हासिल की थी। यहां पठान के ही ओवर में धोनी की जादुई बल्‍लेबाजी से किंग्‍स इलेवन को सीजन के आखरी मुकाबले में हार नसीब हुई। पंजाब का पलडा भारी नजर आ रहा था और मुकाबला रोमांचक अंत की और बढने की उम्‍मीद थी लेकिन धोनी ने चार गेंदों में ही काम तमाम कर दिया।

प्रिटी जिंटा पिछले तीन सालों से क्रिकेट से जुडी है। खेल के बेहद बारीक पहलूओं के बारे में उन्‍हें भले ही जानकारी न हो लेकिन वह अब इतना क्रिकेट तो जानती है कि कौन से कैच को लपका जा सकता था और गेंदबाज। यही वजह है कि धर्मशाला के खूबसूरत स्‍टेडियम में उनके चेहरे पर गुस्‍सा और निराशा साफ देखी जा सकती थी। अंतिम दो ओवरों में कप्‍तान संगकारा के कैच छोडने और मिस फील्डिंग के साथ साथ पठान की गेंदबाजी ने प्रिटी के सीजन कुल मिलाकर ऑल इज नॉट वेल साबित हुआ।
पंजाब किंग्‍स इलेवन के बल्‍लेबाजों की नींद अब जाकर टूटी है। पहले गैरजिम्‍मेदाराना खेल दिखाने वाले बल्‍लेबाज अब जमकर रन बना रहे है। जयवर्धने और संगकारा के बाद अब जलवा बिखेरने की बारी शॉन मार्श की थी। इरफान पठान गेंदबाजी में भले ही नाकाम साबित हो रहे हो लेकिन बल्‍ला उनका भी बोल रहा है। युवराज ने जरूर फिर निराश किया लेकिन पंजाब के लिए अब ऐसी पारियों के कोई मायने नहीं है। टीम के लिए यह सीजन का अंतिम मुकाबला था। टीम निराश सीजन का अंत जीत के साथ करना चाहती थी लेकिन न तो आत्‍मसम्‍मान बचा और नहीं जीत की खुशी लौट कर आई।

चेन्‍नई सुपर किंग्‍स आईपीएल के तीनों सीजन में सेमीफायनल में पहुंचने वाली पहली टीम बन गई है। पहले दो मौकों पर यह टीम शुरूआत से ही सेमीफायनल की और मजबूती से कदम बढा रही थी। इस सीजन में जरूर टीम झटके खाते खाते सेमीफायनल में पहुंची है। अब धोनी बिग्रेड के लिए केवल यही मुकाबला करो या मरो नहीं था। अगले दोनों मुकाबले नॉक आउट रहेंगे। सेमीफायनल में जीत मिलती है तो खिताबी दौड में यह टीम बनी रहेगी लेकिन यदि यहां शिकस्‍त मिलती है तो चैम्पियंस लीग की पात्रता के लिए सेमीफायनल हारने वाली दूसरी टीम से जोरआजमाइश करना होगी।


अंत में एक बेहद दिलचस्‍प ले‍किन जमीनी खिलाडी से जुडी बात। बौध धर्म में पांव छूने की कोई रवायत नहीं है लेकिन धोनी ने दलाई लामा के आगे श्रद्धा से दंडवत हो गए। दलाई लामा के साथ मौजूद प्रिटी जिंटा ने भी मजाकिया अंदाज में धोनी को उनके पांव छूने के लिए कहां, धोनी हल्‍की से मुस्‍कुराहट लिए आगे बढ गए। यह केवल एक क्षणिक मजाक था लेकिन मैच का अंत हकीकत था। झारखंड के इस लडाके ने किंग्‍स इलेवन को खुद के सामने नतमस्‍तक होने के लिए मजबूर कर दिया। हाड लक किंग्‍स इलेवन पंजाब। बेटर लक नेक्‍स्‍ट टाइम।

सौराष्‍ट्र एक्‍सप्रेस

गुजरात के सौराष्‍ट्र इलाके के पश्चिमी तट पर बसा हुआ है पोरबंदर शहर। यह शहर राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी की जन्‍मस्‍थली के रूप में ज्‍यादा पहचाना जाता है। पांच लाख की आबादी वाला यह शहर प्राकृतिक संसाधनों के लिहाज से स्‍वर्ग है और हर तरह की बुनियादी सुविधाएं यहां उपलब्‍ध है। अंतर्राष्‍ट्रीय मापदंड पर खरा उतरने वाला बंदरगाह। इस शहर में वह सब कुछ है लेकिन अब इस शहर को जयवंत उनादकट के रूप में एक क्रिकेटर भी मिल गया है। आईपीएल में राजस्‍थान रॉयल्‍स के खिलाफ उनके मैजिक स्‍पेल से पोरबंदर का यह लडाका अचानक लाइम लाइट में आ गया है।

बायें हाथ के तेज गेंदबाज जयवंत उनादकट ने हाल ही जूनियर वर्ल्‍ड कप में जोरदार खेल दिखाया था। उनकी बदौलत ही भारतीय टीम फायनल में पहुंची थी। महज 19 साल के उनादकट को सीजन में दूसरी बार मैदान में उतरने का मौका मिला राजस्‍थान रॉयल्‍स के खिलाफ और उन्‍होंने बता दिया कि क्‍यों वसीम अकरम को उनमें एक बेहतर गेंदबाज की संभावनाएं नजर आती है। उन्‍होंने सटीक लाइन लैंग्‍थ और गति से राजस्‍थान के बल्‍लेबाजों पर जमकर कहर बरपाया। कोई भी बल्‍लेबाज उन्‍हें आत्‍मविश्‍वास से खेल नहीं पा रहा था। जयवंत के खेल को देख लगता है कि भारतीय टीम के लिए कई हीरे तराशने वाले जौहरी सौरव गांगुली की पारखी नजर ने एक और हीरा ढूंढ लिया है।
सौराष्‍ट्र के राजकोट की नुमाइंदी करने वाले चेतेश्‍वर पुजारा लंबे समय से भारतीय टीम के दरवाजे पर दस्‍तक दे रहे है। घरेलू क्रिकेट में लंबी लंबी पारियां खेलने वाले पुजारा के बल्‍ले की बदौलत ही भारतीय अंडर 19 टीम ने 2008 में वर्ल्‍ड कप का खिताब जीता था। राजस्‍थान के खिलाफ भी गैल और मेक्‍युलम जल्‍द पैवेलियन लौट गए तो कोलकाता बैकफुट पर नजर आ रही थी। ऐसे विपरीत हालातों में पुजारा ने बेहतरीन खेल दिखाया। गांगुली के साथ उनकी साझेदारी ने कोलकाता के खाते में एक और जीत डाल दी।गांगुली का शानदार फार्म जारी है। सीजन के शुरूआती मुकाबलों में उनकी धीमी बल्‍लेबाजी को लेकर आलोचक मुखर हुए थे। उन्‍होंने आलोचकों को अपने बल्‍ले, कप्‍तानी और शानदार फील्डिंग से करारा जवाब दिया है। राजस्‍थान के खिलाफ भी बल्‍ले से उनकी दादागिरी जारी रही। स्पिनरों के खिलाफ उनके फुटवर्क को देख लगता ही नहीं है कि इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहे उन्‍हे अरसा बीत चुका है। खासतौर पर युसूफ पठान को जो कैच उन्‍होंने लपका उसे देख कोई नहीं कह सकता कि गांगुली ऐसे कैच लपक भी सकते है।

कोलकाता और राजस्‍थान के बाद इस मुकाबले के बाद लीग के मुकाबले अंतिम दौर में है। कुछ टीमे सम्‍मान बचाने के लिए खेल रही है तो कुछ टीमें सेमीफायनल में पहुंचने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा रही है। रॉयल्‍स के लिए यह मौका था आत्‍मसम्‍मान बचाने और सीजन का अं‍त जीत से करने का। शिल्‍पा शेट्टी की यह टीम पहले सीजन में बिग बॉस बनी थी, लेकिन इसके बाद से वह फिसड्डी साबित हो रही है। शेन वॉटसन, यूसुफ पठान और शेन वार्न जैसे बडे नामों ने टीम को सबसे ज्‍यादा निराश किया। यह सभी असाधारण खेल तो दूर साधारण खेल का मुजाहिरा करने में भी नाकाम रहे।

क्‍या इसी मुकाबले के साथ फिरकी के जादूगर शेन वॉर्न का आईपीएल सफर भी पूरा हो गया है। मैच के बाद उन्‍होंने साफतौर पर कहां कि अभी यह तय नहीं है कि अगले सीजन में भी वह मैदान पर नजर आएंगे। उम्र से ज्‍यादा इस सीजन में निराशाजनक खेल की वजह से उनके जेहन में यह ख्‍याल आया होगा। वॉर्न मैदान में नजर आए या नहीं लेकिन आईपीएल के इतिहास पहली खिताबी जीत दर्ज करने वाले कप्‍तान के रूप में उनका नाम हमेशा के लिए दर्ज हो गया है।

शो मस्‍ट गो ऑन

जाने माने थियटर कलाकार नोएल कावर्ड ने 1950 के आसपास सबसे पहले शो मस्‍ट गो ऑन का प्रयोग किया था। इसी थीम को लेकर कई नाटक और गीत लिखे गए तो कई देशों में इस नाम से फिल्‍में भी बनी। सीरियल बनाने वालों ने भी दुनियाभर के निर्देशकों को यह काफी पंसद आया। एक आम भारतीय पहली बार इससे रूबरू हुआ शो बिजनेस के जादूगर राजकपूर की फिल्‍म मेरा नाम जोकर में। जोकर का दिल टूटता है लेकिन शो रूकता नहीं है। अब शो मस्‍ट गो ऑन के पर्याय बदल गए है। अब न तो दिल का मामला है और नहीं दिमागी बिजनेस का बल्कि क्रिकेट में भी इसका प्रयोग होने लगा है। बेंगलुरू के चिन्‍नास्‍वामी स्‍टेडियम के बाहर विस्‍फोट और विदेशी खिलाडियों के विरोध के बावजूद शो जारी रहा है। भले ही स्‍टेडियम बारूद के ढेर पर बैठा हो लेकिन एक घंटे देर से ही सही क्रिकेट के रंगमंच से परदा उठ गया।

मुंबई इंडियंस और बेंगलुरू रॉयल चैलेंजर्स लगभग महीने के अंतराल के बाद एक बार फिर चिन्‍नास्‍वामी स्‍टेडियम पर आमने सामने थी। 20 मार्च को दोनों के बीच मुकाबले में बेंगलुरू ने अपनी बादशाहत कायम की थी। उसके बाद से पाइंट टेबल में ज्‍यादा बदलाव नहीं था। मुंबई और बेंगलुरू तब भी शीर्ष टीमों में शामिल थी और अंतिम दौर में भी उन्‍होंने खुद को बाकी टीमों से आगे बनाए रखा था। अंतर बस इतना था कि मुंबई सेमीफायनल में अपना स्‍थान सुनिश्चित कर चुकी थी तो बेंगलुरू को ऐसा करने के लिए अपने अंतिम लीग मैच में जीत की दरकार थी। बेंगलुरू के धुरंधर कोई भी करिश्‍मा नहीं दिखा पाए और मुंबई ने न केवल बेंगलुरू से पिछली हार का बदला लिया बल्कि गत उपविजेता टीम के लिए सेमीफायनल की दौड थोडी मुश्किल भी कर दी।

चिन्‍नास्‍वामी मैदान में यह जंग शीर्ष पर चल रही दोनों टीमों के बीच थी। साथ ही मुकाबला था दो शीर्ष बल्‍लेबाजों का जिनके बीच आरेंज कैप को लेकर भी संग्राम चल रहा है। सचिन तेंदुलकर को आउट करने के बाद जैक कैलिस के पास मौका था लेकिन वह भी मामूली स्‍कोर बनाकर पैवेलियन लौट गए। कैलिस पिछले कुछ मुकाबलों से खुलकर बल्‍लेबाजी नहीं कर पा रहे है। इसकी एक वजह यह भी हो सकता है कि अब तक उन्‍हें मनीष पांडे के रूप में एक मजबूत जोडीदार मिला था। मनीष भी पिछले कुछ मुकाबलों से कुछ खास नहीं कर पा रहे है तो कैलिस पर दबाव बढ गया है।

अंबाटी रायडू को इस आईसीएल से आईपीएल में आए सबसे प्रतिभाशाली खिलाडी माना जाए तो इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। पिछले कुछ मुकाबलों से सचिन पर मुंबई इंडियंस की निर्भरता काफी बढ गई थी। सचिन के आउट होने के बाद लगा कि मुंबई का मध्‍यक्रम एक बार फिर लडखडा जाएगा। रायडू ने आलोचकों को जवाब देने के यही मौका चुना। उन्‍होंने एक बार फिर बेहतरीन पारी खेली। कुंबले जैसे गेंदबाज के खिलाफ भी उन्‍होंने बेहतरीन फुटवर्क का इस्‍तेमाल किया।

मुंबई इस सीजन में अधिकांश मौके पर भारतीय खिलाडियों की वजह से जीत हासिल करने में कामयाब रही है। अब विदेशी खिलाडी भी रंग में नजर आ रहे है। पोलार्ड ने एक छोटी सी विस्‍फोटक पारी खेली। मेक्‍लेरन और ड्यूमिनी ने भी बेहतर बल्‍लेबाजी का मुजाहिरा किया। पोलार्ड और मेक्लेरन के साथ फर्नाडो ने अपनी गेंदबाजी से विरोधी टीम को मुसीब में डाल दिया। मलिंगा, जहीर और हरभजन पहले से ही जबर्दस्‍त गेंदबाजी कर रहे है ऐसे में बाकी गेंदबाजों का फार्म में होना दूसरी टीमों के लिए खतरे की घंटी है।

बल्‍लेबाजों के बारे में कहां जाता है कि यदि वह लंबे समय पर विकेट पर हो या फिर जबर्दस्‍त फार्म में हो तो उसे गेंद फुटबॉल की तरह नजर आती है। गेंदबाजों के लिए आग उगलना या कहर बरपाती गेंदों का जिक्र किया जाता है। स्‍टेन ने आईपीएल के पिछले कुछ मुकाबलों में अपनी गेंदबाजी के बाद लगता है कि इस लिखावट में कुछ बदलाव करने के लिए मजबूर कर दिया है। अब स्‍टेन की गेंदबाजी को देख यह कहना पडेगा कि उनकी गेंदे स्‍टेनगन की माफिक गोलियां उगल रही है। उन्‍होंने मुंबई के बल्‍लेबाजों को चैन नहीं लेने दिया। बाकी गेंदबाजों ने उनकी मदद नहीं की। यहां तक की सबसे किफायती गेंदबाज कुंबले की गेंदों पर भी मुंबई के बल्‍लेबाजों ने जमकर चौके छक्‍के जडे। स्‍टेन का यह प्रयास नाकाफी साबित हुए।

इस मुकाबले के साथ बेंगलुरू के लीग मुकाबलों का सफर खत्‍म हो या है। अब‍ सेमीफायनल में उसके पहुंचना विरोधी टीम पर निर्भर करेगा। टीम का रन रेट काफी अच्‍छा है और जो समीकरण फिलहाल बन रहे है उस लिहाज से यह टीम किसी भी कीमत पर सेमीफायनल में जगह बना लेगी। डेक्‍कन और कोलकाता दोनों ही टीमे कुछ करिश्‍मा दिखा भी दे तो रन रेट के मामले में वह बेंगलुरू को पीछे नहीं छोड पाएंगे। पाइंट के आधार पर या फिर रन रेट के आधार पर विजय माल्‍या की टीम के खिताबी दौड में बने रहने की पूरी संभावनाएं है, लेकिन आगे का सफर तभी सफलता में बदल पाएगा जब बल्‍लेबाज इस मुकाबले की तरह विफल न रहे।

ठंडा ठंडा कूल कूल

आकंडे अमूमन बोरियत भरे होते है और यह कम ही लोगों में यह दिलचस्‍पी जगा पाते है। क्रिकेट प्रेमी कई मामलों की तरह इस मामले में भी दुनिया से जुदा है। क्रिकेट प्रेमियों को क्रिकेट के साथ साथ आकंडों का खेल भी कम नहीं रास आता है। ऐस खेल के दीवानों के लिए 1317 आकंडा खास हो सकता है। यह वह आकंडा जिस तक अभी तक आईपीएल में कोई भी बल्‍लेबाज पहुंच नहीं पाया है। दस से ज्‍यादा बल्‍लेबाज एक हजार रनों के आकंडे को पार कर चूके है लेकिन अब भी इस आकंडे तक पहुंचने में उन्‍हें थोडा इंतजार करना पडेगा। बल्‍लेबाज भले ही इस आकंडे तक नहीं पहुंच पाए हो लेकिन आईपीएल ने किंग्‍स इलेवन पंजाब और डेक्‍कन चार्जर्स के बीच मुकाबले के साथ इस उंचाई को पा लिया है। आईपीएली में पहली बार समुद्र सतह से इतनी उंचाई पर कोई मुकाबला खेला गया। इसका गवाह बना खूबसूरत वादियों से घिरा धर्मशाला। प्राकृतिक सौन्‍दर्य से भरपूर यह देवभूमि में पहली बार इतना बडा मुकाबला खेला गया। धर्मशाला जितना रोमांचित कर देता है उतना ही रोमांच यहां खेले गए आईपीएल के पहले मुकाबले में भी रहा। 

पहाड जितने उंचे होते है उतने ही शांत और इरादों के पक्‍के नजर आते है। यह स्‍टेडियम पर भी तीन और से पहाडों से घिरा है। इन्‍हीं पहाडों की तरह धर्मशाला में आईपीएल के पहले मुकाबले में एक शांत लेकिन मजबूत इरादों से भरी पारी रोहित शर्मा ने खेली। उनकी इस राजस्‍थान के खिलाफ भी उन्‍होंने कुछ इसी तरह पारी खेली थी लेकिन अंतिम मौकों पर दबाव की तपिश में उनकी बल्‍लेबाजी का ग्‍लेशियर पिघल गया था। धर्मशाला में उन्‍होंने कोई गलती नहीं की। सुमन के साथ मिलकर उन्‍होंने डेक्‍कन को अभी टूर्नामेंट से बाहर होने से बचा लिया। एक‍ वक्‍त यह लक्ष्‍य डेक्‍कन की पहुंच से बाहर लग रहा था लेकिन मुंबई के इस जांबाज ने कमाल कर दिया।  

डेक्‍कन के गेंदबाजों ने टीम के सेमीफायनल में पहुंचने की सारी उम्‍मीदों को ध्‍वस्‍त करने के लिए मानो कमर कस ली थी। अंतिम पांच ओवरों में डेक्‍कन के गेंदबाजों का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है या यूं कहे सबसे घटिया रहा है। धर्मशाला में भी गेंदबाजों ने तमाम कोशिश की कि टीम के साथ जुडा यह टैग अलग न हो पाए। टीम ने अंतिम पांच ओवरों में 76 रन लुटा दिए। आरपी सिंह ने तो रन देने के मामले में अर्धशतक जमा दिया। पर्पल कैप पहने प्रज्ञान ओझा भी पहली बार अपनी छाप छोडने में नाकाम रहे। 

पंजाब किंग्‍स इलेवन के लिए महेला जयवर्धने और संगकारा अब बेहतर नाविक साबित हो रहे है जब टीम की नैया पहले ही डूब चुकी है। खासतौर पर जयवर्धने को ओपनिंग करना रास आ रहा है। धर्मशाला में उन्‍होंने बेहद खूबसूरत पारी खेली। वह आईपीएल में दूसरा शतक जमाने से सात रन से चुक गए लेकिन धर्मशाला के लोगों का दिल उन्‍होंने जीत लिया। संगकारा का बेहतरीन फार्म भी जारी है।  बल्‍लेबाजों ने कमाल दिखाया तो गेंदबाजों ने एक फिर किंग्‍स इलेवन को नीचा दिखाया। खासतौर पर इरफान पठान को न जाने क्‍या हो गया है। उनकी गेंदबाजी में बिलकुल भी दम नजर नहीं आ रहा है। विकेट भले ही उन्‍हें मिल रहे हो लेकिन कभी भी वह खतरनाक नजर नहीं आ रहे है। इस मुकाबले में तो उन्‍होंने हद ही कर दी। अंतिम दो ओवरों में डेक्‍कन को जीत के लिए 19 रनों की जरूरत थी और मुकाबला रोमांचक अंत की और बढ रहा था। पठान को 19 वें ओवर फेंकने की जिम्‍मेदारी सौपी गई। रोहित ने पठान की धज्जियां उडाते हुए 18 रन जुटा लिए। छ‍‍ह गेंदों ने मुकाबले के सारे रोमांच को खत्‍म कर दिया तो जीत की उम्‍मीद में चहक रही प्रिटी जिंटा के चेहरे की खुशियां भी साथ ही काफूर हो गई।  डेक्‍कन के लिए अब आईपीएल का हर मुकाबला करो या मरो की तरह हो गया है। एक भी हार डेक्‍कन के सेमीफायनल के रास्‍ते बंद कर देगी। टीम अब तक जीत का चौका लगा चुकी है। यह चारों जीत तभी मायने रखेंगी जब डेक्‍कन लीग के अंतिम मुकाबले में डेल्‍ही को पराजित करने में कामयाब हो। वर्ना गत विजेता टीम शीर्ष चार में भी जगह नहीं बना पाएगी। अंतिम मौकों पर हुए उलटफेर से पंजाब किंग्‍स इलेवन को उम्‍मीद जगी थी कि शायद सेमीफायनल में पहुंचने का कही कोई रास्‍ता निकल आए, लेकिन प्रिटी जिंटा की टीम के शो का परदा गिर चुका है।

गौतम की गंभीर चुनौती से पस्‍त चेन्‍नई

कप्‍तान वह होता है जो अपने प्रदर्शन से टीम के सामने उदाहरण पेश करे। यदि वह अच्‍छा प्रदर्शन नहीं कर रहा हो तो भी अपने खराब खेल का असर टीम के मनोबल पर न पडने दे। गौतम गंभीर के लिए आईपीएल का यह सीजन इन दोनों ही मायनों में अब तक बहुत ही निराशाजनक रहा था। टीम के प्रदर्शन में निरंतरता का अभाव था तो कप्‍तान के खराब फार्म का असर भी मैदान पर साफ झलक रहा था। चेन्‍नई के खिलाफ गंभीर इस कमी को पार पाते हुए दिखे। मिस्‍टर रिलायबल माने जाने वाले गौतम गंभीर न केवल फार्म में लौटे बल्कि कप्‍तानी में चतुराई नजर आ रही थी।


चोट से उबर कर मैदान में लौटे आशीष नेहरा ने घातक गेंदबाजी की। उन्‍होंने चेन्‍नई के शीर्षक्रम को जमने नहीं दिया तो नैनिस ने धोनी को खाता खोलने का मौका भी नहीं दिया। वीरेन्‍द्र सहवाग पार्टनरशिप को तोडने का काम टीम इंडिया के लिए कई बार करते आए है लेकिन आईपीएल 3 में उन्‍होंने उस वक्‍त यह कारनामा कर दिखाया जब टीम को इसकी सबसे ज्‍यादा जरूरत थी। सहवाग और दिलशान ने अब तक इस सीजन में कोई खास गेंदबाजी नहीं की है लेकिन चेन्‍नई के धीमे विकेट पर गंभीर ने उनका बखूबी इस्‍तेमाल किया। सहवाग और दिलशान ने केवल तीन विकेट नहीं लिए बल्कि उन्‍होंने रनों की गति पर ऐसा अकुंश लगाया कि चेन्‍नई की टीम बेह‍द साधारण सा स्‍कोर खडा कर पाई।

चेन्‍नई भी शाहरूख खान की टीम कोलकाता नाइटराइडर्स की राह पर चल पडी है। यह टीम एक मुकाबले में बेहतर खेल दिखाकर ढेरों उम्‍मीदें जगाती है और दूसरे ही मुकाबले में सब टांय टांय फिस्‍स हो जाता है। डेक्‍कन चार्जर्स के खिलाफ चेन्‍नई की बल्‍लेबाजी साधारण नजर आ रही थी। अगले ही मुकाबले में कोलकाता के खिलाफ यही बैटिंग लाइनअप विरोधी गेंदबाजों के लिए अभेद दिखने लगी। कोलकाता के खिलाफ मुकाबले के दो दिन बाद ही डेल्‍ही के खिलाफ इसी लाइन अप की बदौलत चेन्‍नई को जीत का मजबूत दावेदार माना जा रहा था तो उसके बल्‍लेबाजों ने पार्ट टाइम स्पिनरों के सामने आत्‍मसमर्पण कर दिया। केवल बद्रीनाथ ही डेल्‍ही के गेंदबाजों का डटकर मुकाबला करते दिखे लेकिन दूसरी छोर से उन्‍हें किसी का साथ नहीं मिला। टीम को सेमीफायनल में पहुंचना है तो धोनी और हेडन जैसे बल्‍लेबाजों को कमाल दिखाना होगा वर्ना दूसरी टीमे चेन्‍नई की राहों में कांटे बिछाने के लिए तैयार बैठी है।

बालिंगर और अश्‍विन ने डेल्‍ही पर जबर्दस्‍त पलटवार किए। दस रनों के भीतर डेल्‍ही के टॉप तीन बल्‍लेबाज पैवेलियन लौट चुके थे। थोडी ही देर में कार्तिक भी उनके पीछे पीछे पहुंच गए। एक वक्‍त लगने लगा कि धोनी की टीम इतने कम स्‍कोर की रक्षा में करने में भी कामयाब रहेगी। ऐसे ही आडे वक्‍त टीम ने मिथुन मन्‍हास पर भरोसा जताया। कई बरसों से डेल्‍ही को मुसीबतों से उबारने वाले मिथुन ने घरेलू स्‍पर्धाओं में टनों रन बनाए। ऐसे में धीमे होते विकेट और स्पिन गेंदबाजों को मिल रही मदद ने डेल्‍ही को मजबूर किया कि वह कॉलिंगवुड के पहले मिथुन को बल्‍लेबाजी का मौका दे। मिथुन इस विश्‍वास पर खरे उतरे और गंभीर के साथ विपरीत हालातों में उन्‍होंने बेहतर खेल दिखाया। चेन्‍नई इसके बाद सफलता के लिए तरस गई और बगैर एक भी छक्‍का जमाए डेल्‍ही टी20 काम मुकाबल जीत गई।

डेल्‍ही डेयरडेविल्‍स ने इस सीजन में अब तक कोई खास कमाल नहीं दिखाया है। कुछ मुकाबलों में जीत दर्ज करने के बाद वह सेमीफायनल की दौड में बनी जरूर हुई है, लेकिन इस सीजन में जिस टीम से सबसे बेहतर माना गया था उस टीम के प्रदर्शन में निरंतरता का अभाव साफ झलक रहा है। कप्‍तान ने लंबे अंतराल के बाद उम्‍दा पारी खेली तो गेंदबाजी में अमित मिश्रा को छोड कोई भी भी अपनी छाप नहीं छोड पाया। गंभीर ने कामचलाउ गेंदबाजों की बदौलत चेन्‍नई के गढ को फतह कर लिया हो लेकिन बडी जंग के लिए अब भी डेल्‍ही के खिलाडी पूरी तरह तैयार नहीं दिखते है।

राजस्‍थान की रॉयल हार

युसूफ पठान, माइकल लं‍ब, शेन वॉटसन, वोग्‍स, नमन ओझा, शेन वार्न और सिद्धार्थ त्रिवेदी। राजस्‍थान की टीम इस आईपीएल में जीत के लिए इन्‍हीं खिलाडियों के करिश्‍में पर निर्भर रही है। पहले तीन मुकाबलों में हार के बाद राजस्‍थान ने एक टीम के रूप में वापसी की थी लेकिन धीरे धीरे यह टीम किसी एक खिलाडी के करिश्‍में पर निर्भर हो गई। ऐसे में में बेंगलुरू रॉयल चैलेंजर्स के खिलाफ इनमें से एक भी खिलाडी कोई करिश्‍मा दिखाने में नाकाम रहा तो टीम की हार तय की थी। केवल संभावनाएं इसी पर टिकी थी कि बेंगलुरू के खिलाडी खराब खेल का मुजाहिरा करते। यह करिश्‍मा भी नहीं हुआ और बेंगलुरू ने सेमीफायनल की और कूच कर दिया। राजस्‍थान के लिए इस मुकाबले में जीत जरूरी थी लेकिन जीतने के लिए मैदान पर जोरदार खेल दिखाना होता है और इसी में राजस्‍थान के धुरंधर नाकाम रहे।

राजस्‍थान के बल्‍लेबाज तेज गेंदबाजों का सामना करने में नाकाम रहे है। जयपुर का विकेट धीमा था लेकिन डेल स्‍टेन की गेंदों ने इस पर भी आग उगली। विनय कुमार ने रन थोडे ज्‍यादा दिए लेकिन राजस्‍थान को शुरूआती झटके देने में उनका भी अहम योगदान रहा। सबसे ज्‍यादा चौंकाने वाला प्रदर्शन पंकज सिंह का रहा। राजस्‍थान का यह गेंदबाज पहले सीजन में घरेलू टीम राजस्‍थान रॉयल्‍स की नुमाइंदगी करता था। निराशाजनक प्रदर्शन के बाद उन्‍हें टीम से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया गया तो इस गेंदबाज की प्रतिभा को पहचाना बेंगलुरू ने। इस पूरे सीजन भी वह टीम के साथ थे लेकिन उन्‍हें खेलने का मौका सीजन के 49 वें मुकाबले में मिला। अपने घरेलू मैदान पर घरेलू टीम के खिलाफ उनका चयन कप्‍तान कुंबले के शातिर दिमाग का कमाल था। उन्‍होंने दो विकेट लेकर न केवल इसे सार्थक किया बल्कि अपनी टीम की जीत की नींव भी रखी।

राजस्‍थान के बल्‍लेबाजों ने इस सीजन में टीम को सबसे ज्‍यादा नीचा देखने पर मजबूर किया है। इनें सबसे ज्‍यादा निराश इस सीजन में यूसुफ पठान अपने बल्‍ले से कर रहे है। पहले मुकाबले में मुंबई के खिलाफ जोरदार शतक जमाकर उन्‍होंने जो उम्‍मीदे जगाई थी वह सब हवा हो गई है। खासतौर पर तेज गेंदबाजों के खिलाफ उनकी नाकामी खुलकर सामने आई है। वह उछाल लेती गेंदों को समझने में नाकाम रहे है। गेंदबाज ने यदि उन पर जरा भी लगाम कस दी तो वह विचलित नजर आते है। वर्ल्‍ड कप के पहले उनका फार्म में नहीं होना टीम इंडिया के लिए चिंता की बात है

इस मुकाबले में वह हुआ जो आईपीएल के इस सीजन में अब तक नहीं हुआ। दक्षिण अफ्रीकी बल्‍लेबाज जैक कैलिस के बल्‍ले से पहली बार कोई रन नहीं निकला। वह बगैर खाता खोले पैवेलियन लौट आए। शुरूआती दौर में 88 रनों के औसत से पहले विकेट के लिए साझेदारी करने वाले उनके सहयोगी मनीष पांडे भी कोई कमाल नहीं दिखा पाए। दो विकेट गिरने का कैविन पीटरसन पर कोई फर्क नहीं पडा। ताबडतोड बल्‍लेबाजी करते हुए वह बेंगलुरू को जीत की राह पर ले गए। हालांकि उनकी पारी का अंत बहुत ही गलत तरीके से हुआ। रन आउट होने के बाद उन्‍होंने जिस तरीके से अपने जोडीदार विराट कोहली के लिए प्रतिक्रिया जताई वह किसी भी स्‍तर के खिलाडी के शोभा नहीं देता। मैच के बाद उन्‍होंने इस बात पर अफसोस जताया कि लेकिन कुछ जख्‍म ऐसे होते है जिन्‍हें कितना भी मरहम लगाया जाए फिर भी वहरिसते रहते है। पीटरसन का यह व्‍यवहार शायद कोहली के जेहन से इतना जल्‍दी तो नहीं जाएगा।

पाइंट टेबल में अंकों के मामले में मुंबई बाकी टीमें से आगे ही बनी हुई है, लेकिन हर मुकाबले के साथ पाइंट टेबल में नंबर दो की लडाई तेज होती जा रही है। कोलकाता को पिछले मुकाबले में हराकर पाइंट टेबल में चेन्‍नई दूसरे नंबर पर जा जमी थी। बेंगलुरू ने रॉयल्‍स को हराकर सुपर किंग्‍स को उस पोजीशन से बेदखल कर दिया है। मुंबई को छोड कोई भी टीम यह दावा करने की स्थि‍त में या तो रही नहीं या है नहीं कि वह यह कह सके की सेमीफायनल में उसकी जगह पक्‍की है। लीग चरण के सात मुकाबले शेष है ऐसे में सेमीफायनल की दौड की रोचकता अंत तक बनी रहेगी और आईपीएल में पहली बार ऐसा होगा कि शीर्ष चार में जगह पाने के लिए ऐसे हालात बन गए है।

Friday, April 23, 2010

कोलकाता वाले कप नहीं ले जाएंगे

फिल्‍मों की तरह क्रिकेट में रिटेक का कोई विकल्‍प नहीं होता यहां हर शॉट फायनल शॉट होता है। क्रिकेट में यदि यह विकल्‍प होता तो किंग खान चेपॉक पर जरूर पहले तीन ओवरों को दोबारा फिल्‍माने या यूं कहे दोबारा डाले जाने की वकालत करते। शाहरूख के लडाकों को सेमीफायनल में पहुंचने की उम्‍मीद बनाए रखने के लिए चेन्‍नई सुपर किंग्‍स के खिलाफ जीत हासिल करनी थी लेकिन उन्‍होंने धोनी की सेना के आगे आत्‍मसमर्पण कर दिया। यह वही टीम है जिसका थीम सांग कोरबो, लोडबो और जीतबो है लेकिन फिलहाल तो यह टीम कोरबो, लोडबो और जीतबो नहीं गुनगुना रही है।

क्रिकेट के खेल में बल्‍लेबाज इस कदर हावी हो गए है कि पावर प्‍ले के दौरान स्पिनरों से गेंदबाजी कराना जुआं खेलने के समान होता है। एमएस धोनी इसी तरह के जोखिम और प्रयोग के लिए पहचाने जाते है। मुथैया मुरलीधरन जैसे महानतम स्पिन की मौजूदगी और फार्म में चल रहे जकाती के होने के बावजूद उन्‍होंने गेंदबाजी की शुरूआत अश्विन से कराई। बेहद महत्‍वपूर्ण मुकाबले में अश्विन ने कोलकाता के शीर्षक्रम को ध्‍वस्‍त कर दिया। अश्विन बदकिस्‍मत रहे कि वह हैट्रिक हासिल नहीं कर पाए। उनकी और हैट्रिक के बीच कोई बल्‍लेबाज नहीं बल्कि अंपायर सायमन टफेल आ गए। मैथ्‍यूज साफतौर पर आउट थे लेकिन टफेल टस से मस नहीं हुए। अश्विन फिर भी बेमिसाल साबित हुए। 16 रन देकर उन्‍होंने तीन विकेट हासिल किए।

अश्विन के अलावा बालिंगर और जकाती के हमले से कोलकाता पस्‍त हो गई। बालिंगर ने चार ओवरों में महज 14 रन दिए और एक विकेट हासिल किया तो जकाती भी भरोसमंद साबित हुए। उन्‍होंने भी कसावट भरी गेंदबाजी करते हुए अंतिम ओवरों में खतरनाक साबित हो सकते वर्धमान साहा को पैवेलियन का रास्‍ता दिखा दिया। मुरलीधरन ने जरूर धोनी को निराश किया होगा। मुरली ने एक विकेट जरूर लिया लेकिन चार ओवरों में 47 रन देकर वह बहुत महंगे साबित हुए।

सौरव गांगुली ने इस रॉयल चैलेंजर्स के खिलाफ हार के बाद सार्वजनिक रूप से टीम की आलोचना की थी। गांगुली ने खासतौर पर बल्‍लेबाजों के प्रदर्शन पर नाराजगी जताते हुए कहां था कि टीम सेमीफायनल में स्‍थान बनाने का हक नहीं रखती है। गांगुली की इस आलोचना का भी टीम के बल्‍लेबाजों पर कोई प्रभाव नहीं दिखा। चेपॉक पर भी कोलकाता के बडे बडे नाम ढेर हो गए। गांगुली जरूर बदकिस्‍मत रहे है कि वह अंपायर के गलत फैसले का शिकार हुए। बाकी बल्‍लेबाजों ने तो टर्न और उछाल लेती इस विकेट पर हथियार डाल दिए।

हेडन की नाकामी का दौर जारी है। प्रतिस्‍पर्धात्‍मक क्रिकेट से दूर रहने का असर अब उनकी बल्‍लेबाजी पर साफतौर पर झलक रहा है। पहले दो सीजन में सबसे खतरनाक बल्‍लेबाज अब विरोधी टीम के लिए कोई खास चुनौती नहीं बन रहा है। हेडन के बगैर खाता खोले पैवेलियन लौटने पर कोलकाता की थोडी बहुत भी उम्‍मीद जगी होगी तो वह रैना और मुरली विजय ने कुछ ही ओवरों में दूर कर दी। यह दोनों ही बल्‍लेबाज ही है जो क्रिकेट के इस युवा फार्मेट पर में युवा बल्‍लेबाजों की बागडोर संभाले हुए है। सबसे ज्‍यादा रन बनाने वाले अनुभवी खिलाडियों के वर्चस्‍व को इन्‍हीं दो बल्‍लेबाजों से चुनौती मिल रही है। इन दोनों ने चेन्‍नई को न केवल जीत दिलाई बल्कि पाइंट टेबल में भी अब यह टीम मुंबई के बाद दूसरे नंबर पर जा पहुंची है। यही नहीं कम ओवरों में ही लक्ष्‍य को हासिल कर चेन्‍नई ने अपने रन रेट को भी बेहतर बना लिया है जो सेमीफायनल की दौड में उसके लिए अहम साबित होगा।

क्रिकेट के खेल में हार कर जीतने वाले को बाजीगर नहीं कहते है। यहां तो जो जीता वही सिकंदर होता है। बादशाह खान की टीम आईपीएल के लगातार तीसरे सीजन में भी सिकंदर साबित नहीं हो पाई है। इस टीम का प्रदर्शन कभी खुशी कभी गम की तरह उतार चढाव भरा रहा। टीम कभी फिल्‍मी हीरों की तरह तमाम विरोधियों को पटकनी देने वाले रूप में नजर आई तो कभी किसी फ्लाप फिल्‍म की तरह जो बाक्‍स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरती है। अब शाहरूख की यह टीम मैं हूं ना बोलकर सेमीफायनल की दहलीज पर नहीं पहुंच सकती है। टीम की बहुत ही धुंधली उम्‍मीद टिकी है बाकी टीमों के प्रदर्शन पर वर्ना शाहरूख की टीम कप लेकर जा पाएगी और उसे कभी अलविदा नहीं बल्कि आईपीएल 3 को हमेशा के लिए अलविदा बोलना पडेगा।

सचिन आला रे



शेन वार्न को इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा बोले अरसा बीत गया है। बावजूद इसके सचिन तेंदुलकर उन्‍हें केवल ख्‍वाबों में नहीं बल्कि हकीकत में भी क्रिकेट मैदान पर डरा रहे है। जयपुर के सवाई मानसिंह स्‍टेडियम पर सचिन का खौफ फिरकी के जादूगर के चेहरे पर उस वक्‍त साफतौर पर झलक रहा था जब वह टॉस के बाद रवि शास्‍त्री से रूबरू हो रहे थे। वार्न उस वक्‍त सचिन की बल्‍लेबाजी के गुणगान करने के साथ यह दुआ भी कर रहे थे कि इस मुकाबले में सचिन अपने बल्‍ले से कोई कमाल नहीं दिखाए। वार्न की दुआ तो कबूल नहीं हुई लेकिन उनकी आशंका जरूर सच साबित हो गई। मास्‍टर के ब्‍लास्‍टर शॉट्स से भरी पारी ने राजस्‍थान रॉयल्‍स को पहली बार अपने घरेलू मैदान पर हार का मुंह देखना पडा है।

मुंबई इंडियंस और राजस्‍थान रॉयल्‍स के बीच कहने के लिए यह मुकाबला खेला गया लेकिन असली जंग सचिन और शेन वार्न के बीच थी। दोनों दिग्‍गज खिलाडियों के बीच तीन मोर्चों पर यह लडाई लडी गई। यह तीनों ही मोर्चे अब तक सचिन और वार्न के इस आईपीएल में मजबूत पक्ष रहे है, लेकिन इस मुकाबले में सचिन ने इस गेंदबाज पर तीनों मोर्चों पर फतह हासिल की। पहला संघर्ष गेंद और बल्‍ले के बीच था। सचिन ने वार्न के एक ही ओवर में तीन चौके जमाकर यह बाजी अपने पक्ष में कर ली। वार्न के इसी ओवर से मैच का रूख बदला और मुंबई की पारी स्‍लो लोकल की बजाए फास्‍ट लोकल की तरह सरपट दौडने लगी।

दूसरा संघर्ष कप्‍तानी और व्‍यक्तिगत प्रदर्शन से टीम के मनोबल को उंचा उठाने को लेकर था। अब तक वार्न और मास्‍टर ब्‍लास्‍टर अपने अपने प्रदर्शन से टीम को प्रोत्साहित करते आए है। इस मुकाबले में दोनों टीमों के बीच अंतर भी कप्‍तानों का प्रदर्शन ही रहा। सचिन ने लगातार विकेट गिरने के बावजूद बगैर विचलित हुए संयम और आक्रमकता के मिश्रण वाली पारी खेली। सचिन की पारी ने मुंबई इंडियंस का न केवल स्‍कोर बढाया बल्कि टीम का मनोबल भी सातवें आसमान पर पहुंच गया। दूसरी और वार्न के प्रदर्शन में निरंतरता का अभाव था। इस मुकाबले में भी वह अहम मौके पर टीम के लिए विकेट नहीं ले पाए। यही वजह है कि मुंबई एक बडा स्‍कोर खडा करने में कामयाब हो गई। गेंदबाजी परिवर्तन की बात हो या फिर बल्‍लेबाजों के क्रम को चयन करने का वार्न के लिए कुछ भी सही साबित नहीं हुआ।


राजस्‍थान रॉयल्‍स के लिए इस सीजन में सबसे बडी निराश यूसुफ पठान के प्रदर्शन को लेकर भी रही। मुंबई इंडियंस के खिलाफ सीजन के पहले मुकाबले में उन्‍होंने धमाकेदार शतक जमाया था। उनकी इस पारी ने रॉयल्‍स के लिए काफी उम्‍मीदें जगाई थी। इस पारी के बाद वह पूरे टूर्नामेंट में इस पारी के आसपास भी फटक नहीं पाए। इस सीजन में कई बार ऐसे मौके आए जब यूसुफ की मौजूदगी से रॉयल्‍स की जीत की उम्‍मीदें बनी हुई थी, लेकिन वह फुस्‍सी फटाका साबित हुए।



आखिर में बात दो युवा क्रिकेटरों की जिन्‍होंने इस आईपीएल में अपनी छाप छोडी है। इनमें से एक सचिन की टीम के सौरभ तिवारी है तो दूसरे रॉयल्‍स के सिद्धार्थ त्रिवेदी। सचिन की पारी ने इन युवा क्रिकेटरों को एक बेहतर सबक सिखाया है। शेन वाटसन के उकसाने पर सौरभ तिवारी अपने संयम के साथ साथ विकेट भी खो बैठे। सौरभ को सचिन की पारी से यह सबक मिला कि गेंदबाजों की किसी भी प्रतिक्रिया को जेहन में लाए बगैर अपना नेचरल खेल जारी रखा जाए। गेंदबाजों को अपने दिमाग पर हावी नहीं होने दिया जाए। जुबान और शारिरिक प्रतिक्रिया की बजाए बेहतर शॉट्स सिलेक्‍शन से मुंह तोड जवाब दिया जाए। वहीं सिद्धार्थ की धीमी गेंद इस आईपीएल में घातक साबित हुई है, लेकिन सचिन के आगे उनका यह हथियार चल नहीं पाया बल्कि सचिन ने इसी धीमी गेंद से उन पर पलटवार कर दिया। सिद्धार्थ के दिमाग में क्‍या चल रहा है इसे मास्‍टर ब्‍लास्‍टर ने आसानी से समझ लिया। यही वजह है कि सिद्धार्थ का हथियार आत्‍मघाती साबित हुआ। इसके साथ ही उन्‍हें यह भी सबक मिला होगा कि हर किसी बल्‍लेबाज को एक ही तराजू में तौला नहीं जा सकता है।

Thursday, April 22, 2010

उत्‍थपा- द किलर

सल्‍फास एक ऐसा जहर होता है जो कुछ ही पलों के भीतर अपना असर दिखाना शुरू कर देता है। जीने की तमन्‍ना जोर मारे इसके पहले ही मौत अपना काम तमाम कर चुकी होती है। रॉयल चैलेंजर्स के खिलाफ रॉबिन उत्‍थपा एक ऐसे ही जहरीले बल्‍लेबाज है। वह बल्‍लेबाजी के लिए जब मैदान में उतरते है तो चंद गेंदों में विरोधी टीम का काम तमाम कर देते है। विरोधी टीम का कप्‍तान और गेंदबाज उनके खिलाफ कोई रणनीति को अमल में लाए इसके पहले ही उत्‍थपा उन पर हावी हो जाते है। वह केवल गेंद को सीमा रेखा के पार ही नहीं पहुंचाते है बल्कि इसके साथ विरोधी टीम के आत्‍मविश्‍वास को भी तोडकर रख देते है। कोलकाता नाइटराइडर्स के खिलाफ भी रॉबिन उत्‍थपा उसी किलर भूमिका में नजर आए। वह अपनी बल्‍लेबाजी से कोलकाता के हाथों से जीतकर छिनकर ले गए।

रॉबिन का बल्‍ला जहां हथौडे की तरह गरम लोहे पर वार कर खूबसूरत पारी को गढ रहा था तो विकेट के दूसरी और मौजूद राहुल द्रविड का बल्‍ला किसी चित्रकार की कूची की तरह चल रहा था। नजाकक, नफासत और जरूरत पडने पर तेज शॉट्स के रूप में गहरे रंगों के स्‍ट्रोक्‍स का प्रयोग करने वाले किसी चित्रकार सी झलक द्रविड की पारी में देखने को मिल रही थी। सचिन की तरह द्रविड इस आईपीएल में अपनी बल्‍लेबाजी से मानों उन आलोचकों को जवाब देना चाहते है जो उन्‍हें चूका हुआ बता रहे है। दविड मानों बताना चाहते है कि केवल शक्तिशाली स्‍ट्रोक्‍स नहीं बल्कि टायमिंग और प्‍लेसमेंट से जरिए भी क्रिकेट के इस फार्मेट में भी रण जीता जा सकता है।

द्रविड जो काम बल्‍लेबाजी में कर रहे है वहीं भूमिका गेंदबाजी में अनिल कुंबले बेंगलुरू के लिए निभा रहे है। वह इस आईपीएल के सबसे किफायती गेंदबाज साबित हो रहे है। कुंबले का ही कमाल था कि कोलकाता उस स्‍कोर तक पहुंचने से वंचित रह गई जहां से वह यह यकीन कर सके कि मुकाबला उसकी मुठ्ठी में है। कुंबले तो लाजवाब साबित ही हो रहे है विनय कुमार ने भी एक बार फिर मैच विनिंग गेंदबाजी की। विकेट लेने की काबिलियत ने ही उन्‍हें वर्ल्‍ड कप का टिकिट दिलवाया है। इस मुकाबले में भी उन्‍होंने तीन अहम विकेट लेकर वर्ल्‍ड कप के लिए शंखनाद कर दिया है। सीजन3 के बीच के दौर में वह अपनी लाइन लैंग्‍थ से जरा भटक गए थे। अब वह फिर‍ रिदम में दिख रहे है। यह इस भरी गरमी में बेंगलुरू के लिए ठंडक भरी राहत है।

कोलकाता के सबसे मारक हथियार ईशांत शर्मा के फुस्‍सी होने का‍ सिलसिला जारी है। इस मुकाबले में भी उन्‍होंने चार ओवरों में 46 रन दिए और विकेट लेने का सवाल तो उठता ही नहीं है। ईशांत शर्मा को अब खुद का आकलन करना होगा। उन्‍हें सोचना होगा कि गति के दम पर वह कुछ समय के लिए बल्‍लेबाजों के लिए दहशत पैदा कर सकते है लेकिन यह कामयाबी आंशिक ही होगी। द्रविड के पहले सचिन तेंदुलकर भी उन्‍हें नानी याद दिला चुके है। शर्मा के बनिस्‍बत डिंडा का प्रदर्शन में सुधार है। वह बेहतर तरीके से गेंदबाजी कर रहे है और फिर एक बार उम्‍मीद जगा रहे है कि कोलकाता एक्‍सप्रेस फिर से अंतर्राष्‍ट्रीय मैदानों पर दौडेगी।

गांगुली द फाइटर

कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ बीसवें ओवर की अंतिम गेंद फेंके जाने के बाद डेल्‍ही डेयरडेविल्‍स के कप्‍तान गौतम गंभीर ने गुस्‍से में आकर अपनी च्‍युइंग गम मैदान पर ही थूक दी थी। कप्‍तान का बर्ताव किसी भी टीम के लिए अच्‍छा संकेत नहीं हो सकता। डेल्‍ही के लिए भी निराशा की यह नुमाइश अंतत अच्‍छा संकेत साबित नहीं हुई। कप्‍तान की प्रतिक्रिया साफतौर पर गेंदबाजों के खराब प्रदर्शन और एक बडे स्‍कोर का पीछा करने की निराश में छुपी हुई थी। कोलकाता नाइडराइडर्स ने अंतिम पांच ओवरों मे 55 रन जोडे। अंतिम ओवरों में गेंदबाजों की पिटाई ने गंभीर के आत्‍मविश्‍वास को हिला कर रख दिया। मैच में यही ओवर अंत में निर्णायक भी साबित हुए।

वार्नर और सहवाग के होते पॉवर प्‍ले किसी भी टीम के लिए संकट की सबसे बडी घडी साबित हो सकती है। यह दोनों जब तक विकेट पर हो कोई भी टीम चैन से नहीं बैठ सकती। वार्नर ने इस मुकाबले में स्‍कोर को कोई तकलीफ नहीं दी। वह डिंडा की लाजवाब गेंदबाजी के आगे खाता भी नहीं खोल पाए। डिंडा ने आईपीएल के इस सीजन के सबसे बेहतरीन ओवरों में से एक ओवर वार्नर को डाला। वार्नर को उन्‍होंने लगातार शरीर पर अटैक किया और शॉट्स खेलने के लिए कोई जगह बनाने नहीं दी। वार्नर का संयम डगमगा गया और डिंडा मानों उनके डंडे बिखेरने के लिए इसी का इंतजार कर रहे थे। अशोक डिंडा के लिए भारतीय टीम के दरवाजे आईपीएल के जरिए हुए खुले थे। हालांकि वह अपनी काबिलियत के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए। अब वह जिस तरह गेंदबाजी कर रहे है उससे एक बार फिर भारतीय टीम के लिए वह दावेदारी कर सकते है।

वीरेन्‍द्र सहवाग और गौतम गंभीर टीम इंडिया की डूबती नैया को कई बार सुरक्षित किनारे पर लगा चुके है। इसके पहले वह यही भ‍ूमिका दिल्‍ली और उत्‍तर क्षेत्र के लिए निभाते आए है। ईडन गार्डन पर दिल्‍ली के ये दो बल्‍लेबाज कुछ उसी मुड में दिख रहे थे। डेयरडेविल्‍स लग रहा था कि आसानी से जीत की और बढ रही है, लेकिन गांगुली की डायरेक्‍ट हिट ने गंभीर को पैवेलियन लौटने पर मजबूर कर दिया। आगरकर एक बार फिर साझेदारी को तोडने में कामयाब हुए। उन्‍होंने सहवाग को बोल्‍ड कर मुकाबले का सबसे बडा विकेट हासिल किया। मुकाबला यहां से बिलकुल बदल गया है दबाव में डेल्‍ही का मध्‍यक्रम बिखर गया।

सौरव गांगुली इस आईपीएल में बिलकुल अलग अंदाज में नजर आ रहे है। गांगुली के भारतीय टीम से बाहर होने की वजह उनकी खराब फील्डिंग भी एक वजह थी। वहीं गांगुली अब चपल और चालाक फील्‍डर नजर आ रहे है। गंभीर को डायरेक्‍ट हिट से किया गया रन आउट गांगुली नहीं भूल पाएंगे। इसी मुकाबले में उन्‍होंने खतरनाक बन सकते केदार जाधव का बेहतरीन कैच भी लपका। गांगुली की फील्डिंग का स्‍तर दिनों दिन उंचा उठता जा रहा है। मुंबई इंडियंस के खिलाफ सौरभ तिवारी का जो कैच उन्‍होंने लपका था वैसा कैच तो वह अपने स्‍वर्णिम काल में भी लेते हुए नहीं के बराबर ही दिखे है। इसके अलावा गांगुली गेंदबाजी उसी वक्‍त करते थे जब विरोधी टीम दबाव में होती है लेकिन यहां पर जब डेल्‍ही के बल्‍लेबाज दबाव बनाए हुए थे वहां भी उन्‍होंने गेंदबाजी करने की हिम्‍मत दिखाई। यह सब तो है ही इसके अलावा दादा की बल्‍ले से दादागिरी भी जारी है। वह कप्‍तानी के साथ साथ अपने परफार्मेंस से टीम के के खिलाडियों को प्रेरित कर रहे है।

गांगुली के बाद अंत में बात इकबाल अब्‍दुला की। 2008 में भारत ने जूनियर वर्ल्‍ड कप फतह किया था तो उसमे इकबाल अब्‍दुला का भी अहम रोल था। इस टीम के विराट कोहली, मनीष पांडे के नाम तो अब क्रिकेट प्रेमियों की जुबां पर है। डेल्‍ही के खिलाफ मुकाबले के बाद इकबाल अब्‍दुला ने भी अपने प्रशंसकों की संख्‍या में खासी बढोत्‍तरी हो गई है। इकबाल उस वक्‍त बल्‍लेबाजों पर नकेल कसने में कामयाब रहे है जब बल्‍लेबाजों को लायसेंस मिल जाता है बेरहम होकर गेंद को पीटने का। ऐसे वक्‍त मैथ्‍यूज और अब्‍दुला की कसावट भरी गेंदबाजी की वजह से कोलकाता मैदान मारने में कामयाब रहा। कोलकाता के लिए यह जीत टूर्नामेंट में बने रहने के लिए संजीवनी है तो डेल्‍ही के लिए यह वक्‍त जागने का है वर्ना सितारों से सजी इस टीम की चमक फीकी पडने में देर नहीं लगेगी।

Sunday, April 11, 2010

जोर से बोले जय माता दी

कोलकाता नाइट राइडर्स से पंजाब किंग्‍स इलेवन के मुकाबले के वक्‍त टीम की मालकिन प्रिटी जिंटा वैष्‍णो देवी में थी। प्रिटी माता के दरबार में मत्‍था टेकने गई थी तो वहीं मोहाली में उनकी टीम ने कोलकाता को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। यह आस्‍था की जीत है या फिर महेला के बल्‍ले की जितनी मुंह उतनी बातें हो सकती है। इन सबके बीच पंजाब की जीत से एक संयोग भी जुडा हुआ है। वह है प्रिटी जिंटा की मोहाली में गैर मौजूदगी। आईपीएल के इस सीजन में यह पहला मौका है जब प्रिटी खिलाडियों की हौंसला अफजाई के लिए मैदान पर मौजूद नहीं थी। वहीं यह पहला मुकाबला था इस सीजन का जिसमें किंग्‍स इलेवन ने विरोधी टीम को एकतरफा मुकाबले में शिकस्‍त दी हो। इस सीजन में किंग्‍स इलेवन के खाते में आई यह दूसरी जीत है। इसके पहले टीम को केवल एक मुकाबले में जीत नसीब हुई थी। वह भी चेन्‍नई सुपर किंग्‍स के बल्‍लेबाजों की मेहरबानी से।

आईपीएल के इस सीजन में पहले दो शतकवीरों पर किसी को कोई अचरज नहीं हुआ। यूसुफ पठान और वार्नर से टी20 में ऐसी ही विस्‍फोटक पारी की उम्‍मीद की जाती है। वह एक तरह से इसी फार्मेट के लिए बने है। इसके बाद आया मुरली विजय का शतक और इस सूची में चौथा नाम महेला जयवर्धने का है। महेला के बल्‍ले से देर से निकला यह शतक फटाफट क्रिकेट में उनकी सबसे बेहतरीन पारी थी। महेला बल्‍लेबाजी शैली में उसी स्‍कूल के विद्याथी है जिसमें उनके सहपाठी वीवीएस लक्ष्‍मण, राहुल द्रविड और युसूफ योहना सरीखे बल्‍लेबाज है। यह सभी परंपरागत तरीके से क्रिकेट खेलते है। महेला ने भी कापी बुक स्‍टाइल शॉट्स खेलकर शतक जमाया। महेला उन चंद बल्‍लेबाजों में शामिल है जो यदि फार्म में होते है तो उन्‍हें खेलते देखना एक आत्मिक अनुभूति होती है।

वहीं इसके पहले एक और विस्‍फोटक बल्‍लेबाज आईपीएल में शतक जमाने से चूक गया। क्रिस गेल पावर हिटर है। ईडन गार्डन का मैदान उनके पावर से दहल उठा। 42 गेंदों पर 88 रनों की उनकी पारी ने कोलकातावासियों को झूमने पर मजबूर कर दिया। गैल ने बोपारा के एक ओवर में 33 रन बनाए तो जश्‍न ऐसा मना की कोलकाता ने मुकाबला जीत लिया हो। उनकी यह पारी गेंदबाजों की नाकामी की वजह से धूमिल हो गई। कोलकाता का कोई भी गेंदबाज प्रभावी नजर नहीं आया। पावर हिटिंग पर महेला की कलात्‍मता भारी पडी।

पंजाब किंग्‍स इलेवन के पास अब इस टूर्नामेंट में अपना आत्‍मसम्‍मान बचाए रखने के अलावा कुछ नहीं बचा है। यह टीम सेमीफायनल की दौड से बाहर हो गई है, बावजूद इसके यह टीम अब कई टीमों को भी इस दौड से बाहर कर सकती है। कोलकाता के खिलाफ इस जीत से मिले दो अंकों से किंग्‍स इलेवन की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा लेकिन यही हार कोलकाता की मुश्किले बढा सकती है। पिछले साल कोलकाता कुछ इसी हालत में था और उसने राजस्‍थान रॉयल्‍स को हराकर उसके सेमीफायनल के रास्‍ते बंद कर दिए थे। पिछली बार कोलकाता के खिलाडियों की जुबां पर था हम तो डूबेंगे सनम तुम्‍हें भी साथ लेकर डूबेंगे और इस बार किंग्‍स इलेवन के खिलाडी यह गुनगुना रहे है।

चेन्‍नई में रनों की सुनामी


40 ओवर 469 रन, 30 छक्के, 39 चौके। टी20 क्रिकेट मुकाबला देखने पहुंचे दर्शकों को इससे बेहतरीन खेल की दावत मिल ही नहीं सकती थी। मुकाबले की हर चौथी गेंद सीमा रेखा के पार गई। चेन्‍नई के चेपॉक पर बल्‍ला बडे ही बेरहमी से गेंद पर हावी रहा। रनों की बारिश के बीच माना जाए तो जीत उसी टीम की होनी थी जिसने बेहतर बल्‍लेबाजी की। हुआ भी वही मुरली विजय और मार्केल की बल्‍लेबाजी राजस्‍थान रॉयल्‍स पर भारी पडी। इसके बावजूद चेन्‍नई के पक्ष में नतीजा बल्‍लेबाजी की वजह से नहीं आया बल्कि एक ऐसे गेंदबाज ने जीत दिलाई जो आईपीएल में अपना पहला मुकाबला खेल रहा था।

आकंडों पर नजर डाले तो दोनों ही टीमों के सात गेंदबाजों ने चार ओवरों का अपना‍ निर्धारित कोटा पूरा किया। इनमें से छह गेंदबाजों ने चालीस से ज्‍यादा रन लुटाए, केवल डक बालिंगर अपवाद रहें। उन्‍होंने 24 गेंदों में 15 रन दिए और दो महत्‍वपूर्ण विकेट भी हासिल किए। उनके चार ओवरों ने ही राजस्‍थान को एक ऐतिहासिक जीत से दूर कर दिया। बोलिंगर की यह सफलता बल्‍लेबजों के खडे किए रनों के पहाड के आगे दब सी गई। असल में चेन्‍नई के जीत के हीरो वही रहे। बाकी छह गेंदबाजों ने औसतन जितने रन अपने चार ओवरों में दिए उतने भी रन बालिंगर की गेंदों पर बन जाते तो राजस्‍थान की टीम रॉयल तरीके से यह मुकाबला जीत गई होती।

आईपीएल के तीसरे शतकवीर होने का गौरव मिला मुरली विजय को। बेहद कलात्‍मक क्रिकेट खेलने वाले मुरली विजय के भीतर छुपा हुआ विस्‍फोटक बल्‍लेबाज आईपीएल में सामने आया है। उनके शतक ने वार्नर और पठान के शतक की चमक को फीका कर दिया। खास बात यह रही कि पूरी पारी शुद्ध क्रिकेटिंग शॉट्स को खेलकर बुनी गई थी। यह पारी कुछ ऐसी थी जैसे कोई महिला बडे ही करीने से स्‍वेटर को बुनती है। स्‍वेटर की तारीफ होती है लेकिन वह यह महिला ही जानती है कि इसके पीछे कितना संयम और मेहनत छुपी होती है। जरा सी गलती भी पूरा डिजाइन बिगाड सकती है। मुरली विजय ने भी कुछ इसी अंदाज में अपनी पारी को बुना। मॉडर्न क्रिकेट की यह पारी कलात्‍मता ओढे हुए थी।

मुरली विजय के इस शतक को काउंटर किया इंदौर के नमन ओझा ने। नमन का खेल दिनों दिन निखरता जा रहा है। पहले दौर में वह अच्‍छी शुरूआत को एक बदले स्‍कोर में बदलने में नाकाम रहे थे। अब वह इसे पीछे छोड बडे स्‍कोर खडा कर रहे है। लगातार दूसरे सीजन वह अपनी छाप छोडने में कामयाब रहे है। उनका फुटवर्क बेहतर है और लंबे लंबे शॉट्स खेलने में उन्‍हें महारात हासिल है। इन सबसे बढकर वह दिलेर है और तेज गेंदबाजों को भी डाउन द विकेट आकर हिट करने से नहीं डरते है। टी20 वर्ल्‍ड कप के लिए वह भारतीय टीम के 30 संभावित खिलाडियों की सूची में शामिल थे। आईपीएल में अपने प्रदर्शन से जो भारतीय टीम के दरवाजे पर दस्‍त दे रहे है उनमें नमन का दावा सबसे मजबूत हो सकता है यदि वह अपनी विकेट कीपिंग की कमियों को दूर कर लें।

20 शताब्‍दी में पचास पचास ओवरों के खेल में भी 250 रनों का स्‍कोर सुरक्षित माना जा‍ता था। 21 शताब्‍दी में 20 ओवरों में ही इतने रन बना लिए जाते है। कोई भी लक्ष्‍य अब जीत की गांरटी नहीं दे सकता है। आस्‍ट्रेलिया वन डे में 434 रन बनाकर भी मुकाबला हार गया। क्रिकेट बदल गया है और अब सही मायनों में यह अनिश्चिता का खेल हो गया है।

लड्डू कैच

लड्डू कैच, गली या मोहल्‍ले के क्रिकेट में यह लफ्ज बेहद कॉमन है। लड्डू कैच यानी बेहद आसान कैच। पर इसका प्रयोग किसी आसान कैच को लपकने पर नहीं किया जाता है बल्कि यह तीखा कटाक्ष होता है जब कोई फील्‍डर आसान सा कैच छोड दे। गली मोहल्‍ले के मुकाबलों में यदि कोई खिलाडी आसान सा कैच छोड दे तो फिर इसी लड्डू कैच की चर्चा होती रहती है। यह लड्डू कैच आईपीएल में भी पहुंच गया। मोहाली के मैदान पर किंग्‍स इलेवन के खिलाडियों ने लड्डू कैच छोडे। मोहाली पर किंग्‍स इलेवन की फील्डिंग इंटरनेशनल तो छोडिए किसी भी स्‍तर के क्रिकेट के लिए शर्मनाक हो सकती है।

पंजाब के लिए यह करो या मरो का मुकाबला था। इस मुकाबले में हार का मतलब था आईपीएल में सेमीफायनल के रास्‍ते बंद होना। मुकाबला चुनौतीपूर्ण होतो खिलाडियों का मनोबल उंचा होता है और एक अच्‍छा खिलाडी के लिए विपरीत परिस्थितियां ही उसके खेल के स्‍तर को उंचा उठाती है। मोहाली में इसके उलट हुआ। किंग्‍स इलेवन के हीरो जीरो साबित हुए और एक के बाद एक कैच गंवाने के साथ साथ उन्‍होंने मुकाबला भी गंवा दिया।

 खराब फिल्‍डींग के बावजूद पंजाब मुकाबले को जीतने की स्थिति में था। सोलह ओवर तक पंजाब की टीम का पलडा भारी लग रहा था। 17 वें ओवर ने मैच का रूख ही बदल कर रख दिया। रॉबिन उत्‍थपा ने ब्रेट ली के एक ही ओवर में 25 रन ठोक दिए। इसके बाद पंजाब मुकाबले के साथ साथ सेमीफायनल की दौड से भी बाहर हो गया। जबर्दस्‍त फार्म में चल रहे जैक कैलिस का विकेट जल्‍दी हासिल करने और फिर मनीष पांडे को जल्‍दी पैवेलियन भेज किंग्‍स इलेवन ने जीत की उम्‍मीद जगाई थी। विराट कोहली और केविन पीटरसन की साझेदारी ने बेंगलुरू को मुकाबले में बनाए रखा था लेकिन पहले कैच छोडने का सिलसिला और ब्रेट ली के एक खराब ओवर ने आईपीएल सीजन 3 में किंग्‍स इलेवन की किस्‍मत पर मुहर लगा दी।

विवादों से घिरे युवराज सिंह ने 36 रनों की पारी खेल फार्म में आने के संकेत दिए। उनका फार्म में लौटना अब टीम के लिए कोई राहत नहीं ला पाएगा। वर्ल्‍ड कप के लिए भारतीय टीम के लिए यह अच्‍छा संकेत हो सकता है। संगकारा और रवि बोपारा ने भी अच्‍छी बल्‍लेबाजी की लेकिन अब पंजाब के लिए बहुत देर हो चुकी है। मैदान पर टीम में एकजुटता का अभाव अब तक साफतौर पर झलक रहा है। मीडिया में आ रही खबरों को भले ही खारिज कर दिया जाए लेकिन टीम में अनबन है और खिलाडियों की व्‍यक्तिगत महत्‍वकांक्षाओं ने टीम को शर्मसार होने पर मजबूर कर दिया।

गिलक्रिस्‍ट को छोडकर जिस भी टीम ने भारतीय कप्‍तान की जगह विदेशी खिलाडी को टीम की कमान सौंपी उसके लिए नतीजे अच्‍छे नहीं रहे। गांगुली की जगह मेक्कुलम को यह जवाबदारी सौपी गई तो नाइट राइडर्स चारों खाने चित हो गई थी। पीटरसन को जवाबदारी मिली तो बेंगलुरू की हार का सिलसिला तब तक खत्‍म नहीं हुआ जब तक कुंबले ने बागडोर अपने हाथों में नहीं संभाली। अब यह सिलसिला पंजाब किंग्‍स इलेवन तक जा पहुंचा है। युवराज की जगह संगकारा को कप्‍तान बनाया जाना पंजाब को रास नहीं आया।

Monday, April 5, 2010

दादा की दादागिरी

सौरव गांगुली को अपनी बल्‍लेबाजी को लेकर इस सीजन में बेहद आलोचनाओं का सामना करना पडा है। उनकी टीम कोलकाता नाइट राइडर्स जीत के लिए तरस रही है तो उनका बल्‍ला रनों के लिए जुझ रहा है। टीम पर आईपीएल में एक बार फिर पिछडने का खतरा मंडरा रहा था। कोलकाता को इस मोड पर एक जीत की बेहद दरकार थी। टीम ने ईडन गार्डन पर जीत का स्‍वाद चखा और खास बात यह रही की जीत कप्‍तान के बल्‍ले से निकली।

सौरव गांगुली ने पारी की पहली और तीसरी गेंद पर चौका जमाकर बता दिया कि इस मुकाबले में उनकी दादागिरी चलेगी। ईडन गार्डन पर सौरव गांगुली का वहीं रूप नजर आया जो तेज गेंदबाजों और स्पिनरों का हाजमा बिगाड कर रख देता है। तेज गेंदबाजों की गेंद पर कट और विकेट छोड जगह बनाते हुए कव्‍हर से लांग ऑफ के बीच फील्‍डरों को भेदते हुए चौके और छक्‍कों की बौछार। स्पिनरों के खिलाफ गांगुली ने सैकडों बार डाउन द विकेट आकर मिड विकेट बाउण्‍ड्री के पार दर्शक दीर्घा में पहुंचाया है। डेक्‍कन के प्रज्ञान ओझा को इस मुकाबले के बाद समझ में आ गया होगा कि कोलकाता के महाराजा के खिलाफ गेंदबाजी करना क्‍यों चुनौती भरा होता है। वह भी तब जब उन्‍हें इंटरनेशनल क्रिकेट का अलविदा कहे हुए काफी वक्‍त बीत चुका है।

चमिंडा वास की जगह केमार रोश को खिलाना डेक्‍कन के लिए महंगा सौदा साबित हो रहा है। वास ने पहले पांच मुकाबलों में आठ विकेट लिए थे। उनकी गेंदबाजी की बदौलत ही डेक्‍कन को शुरूआती मुकाबलों में सफलता हाथ लगी थी। रोश को चुंकि इसी सीजन में डेक्‍कन ने खरीदा है और इसके लिए अच्‍छी खासी रकम भी खर्च की है। यही वजह है कि वास की जगह उन्‍हें प्राथमिकता दी जा रही है। पोलार्ड और ब्रेवो की तरह वेस्‍टइंडीज का यह खिलाडी  आईपीएल में अपनी छाप छोडने में नाकाम रहा है।

बात यदि कोलकाता के गेंदबाजों की जाए तो शेन बांड लय में नजर आ रहे है। आगरकर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि क्‍यों उन्‍हें साझेदारी ब्रेक करने वाले गेंदबाज कहां जाता है। गिलक्रिस्‍ट का महत्‍वपूर्ण विकेट लेकर उन्‍होंने डेक्‍कन को बैकफुट पर डाल दिया। सायमंडस को उन्‍होंने और बांड ने आखरी ओवर में बांधकर रख दिया। यही वजह है कि डेक्‍कन की मजबूती बैटिंग लाइन के लिए पहले दस ओवर में जो लक्ष्‍य मामूली लग रहा था उसी लक्ष्‍य को पाना अंत में उसके बूते के बाहर साबित हुआ।

कोलकाता को इस जीत की बेहद जरूरत थी। धमाकेदार शुरूआत के बाद टीम पिछडती नजर आ रही थी। टीम फिर सेमीफायनल की दौड में शामिल हो गई है। वहीं डेक्‍कन की परेशानी खत्‍म होने का नाम नहीं ले रही है। कप्‍तान गिलक्रिस्‍ट की नाकामी टीम को भारी पड रही है। इस मुकाबले में विकेट के पीछे भी वह चुस्‍त नजर नहीं आए। रोहित शर्मा को निचले क्रम पर खिलाना टीम को भारी पड रहा है। वह फार्म में चल रहे है और यदि उन्‍हें विकेट पर ज्‍यादा समय मिलेगा तो वह डेक्‍कन की किस्‍मत बदल सकते है।

कार्तिक कॉलिंग कार्तिक

भारत और इंग्‍लैंड के बीच इंदौर में 15 अप्रैल 2006 को वन डे मुकाबला खेला जाना था। यह खिलाडी आधे घंटे तक होटल के बाहर सुरक्षाकर्मी से अंदर प्रवेश देने की गुजारिश करता रहा। वह खुद का परिचय देता रहा और दुहाई देता रहा कि वह टीम इंडिया का सदस्‍य। काफी मशक्‍कत के बाद कार्तिक को अंदर प्रवेश मिला। कार्तिक ने लगभग 18 महीनों बाद इंदौर वन डे में भारतीय टीम में प्रवेश पाया था। कार्तिक उस वक्‍त पहचान के मोहताज थे लेकिन आज उनके खेल ने उन्‍हें चर्चित बना दिया। वह उन धुरंधरों में शामिल है जिन पर जवाबदारी है कि वह टीम इंडिया के सर पर टी20 वर्ल्‍ड कप का ताज एक बार फिर सजाए।

वर्ल्‍ड कप के लिए भारतीय टीम का ऐलान हुआ तो चयन को लेकर कुछ सवाल उठे। जिन खिला‍डियों के प्रदर्शन पर सवाल उठाया जा रहा था उसमें तमिलनाडू के विकेट कीपर बल्‍लेबाज दिनेश कार्तिक का नाम भी शामिल है। धोनी के रहते एक और विकेट कीपर का चयन कई क्रिकेट प्रेमियों को खटक रहा था। कार्तिक अपने चयन पर कुछ नहीं बोले लेकिन उनके खेल पर सवाल उठाने वालों की बोलती उन्‍होंने बंद कर दी। सहवाग, वार्नर, कॉलिंगवुड और नयी सनसनी केदार जाधव के बीच दिल्‍ली का दिल जीता दिनेश कार्तिक ने। 38 गेंदों पर 69 रनों की उनकी पारी आखिर में मैच विनिंग पारी साबित हुई। कार्तिक ने इस पारी के साथ ही वर्ल्‍ड कप में अपने चयन को सार्थक साबित कर दिया।

राजस्‍थान रॉयल्‍स के गेंदबाजों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। टैट को लय मिलती दिख रही थी लेकिन कार्तिक ने उनका कचूमर निकाल दिया। टैट ने 4 ओवरों में 53 रन दिए और एक विकेट हासिल किया। वार्न के अलावा किसी भी गेंदबाज ने प्रभावित नहीं किया। केदार जाधव को अभी क्रिकेट में काफी कुछ सीखना है। वॉर्न ने उन्‍हें जिस तरह अपनी फिरकी में उलझाया उसमें वॉर्न की उंगलियों की बजाए दिमाग का ज्‍यादा योगदान था। हालांकि गंभीर और कार्तिक ने वॉर्न को कम आंकने की कोई गलती नहीं कि और उन्‍हें पूरा सम्‍मान दिया। वहीं दूसरी और बाकी गेंदबाजों को निशाना बनाया जिसकी वजह दिल्‍ली का स्‍कोर 200 के करीब पहुंच गया।

यूसुफ पठान की बल्‍लेबाजी में निरंतरता नहीं होने की वजह राजस्‍थान की बल्‍लेबाजी लाइन अप किसी एक बल्‍लेबाज पर निर्भर नहीं है। अभी तक हर मैच में कोई नया ही बल्‍लेबाज राजस्‍थान के लिए झंडाबरदार बनता रहा है। इस मुकाबले में न तो पठान चले और नहीं झुनझुनवाला। ओझा भी बगैर बडी पारी खेले ओझल हो गए। रॉयल्‍स पूरे बीस ओवर भी नहीं खेल पाए। अठारहवें ओवर में रॉयल्‍स की पारी सस्‍ते में सिमट गई।

आईपीएल में राजस्‍थान का प्रदर्शन इस साल बेहद उतार चढाव भरा रहा है। डेल्‍ही की टीम इस मुकाबले में हर मोर्चे पर भारी पडी। टीम में शुरूआती दौर में जो बिखराव दिखा था वह फिर नजर आ रहा है। सबसे बडी दिक्‍कत बल्‍लेबाजी में अच्‍छी शुरूआत नहीं मिलना है। इसके चलते सारा दबावा मध्‍यक्रम पर आ रहा है। राजस्‍थान को यदि विरोधियों पर हल्‍ला बोलना है तो उसे शुरूआत मजबूत रखना होगी और साथ ही वह एकजुटता दिखानी होगी जो इस टीम की पहचान रही है। एक हार के बाद यह टीम अचानक कमजोर लगने लगती है वॉर्न के लिए ऐसे में चुनौती होगी कि वह टीम के साधारण खिलाडियों में बडे नाम से लडने के जस्‍बें को कमजोर न पडने दे।

मुरली ने छेडी जीत की धुन

चेन्‍नई और बेंगलुरू या चेन्‍नई और हैदराबाद के बीच सैकडो मील के फासले है। यही वजह है कि कलात्‍मक क्रिकेट की द्रविड शैली हो या फिर वेरी वेरी स्‍पेशल लक्ष्‍मण शैली, इसे चेन्‍नई के समुद्र तट तक पहुंचने में काफी वक्‍त लग गया। लेकिन आखिरकार यह शैली इस दशक में वहां पहुंच गई और इसकी झलक मिलती है मुरली विजय की बल्‍लेबाजी में। घरेलू क्रिकेट में दमदार प्रदर्शन के बावजूद भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने उनका नाम पहली बार उस वक्‍त सुना जब 2008 में गंभीर के घायल होने के बाद उन्‍हें आस्‍ट्रेलिया के खिलाफ ओपनिंग करने का मौका मिला। उस वक्‍त इसका श्रेय उन्‍हें नहीं बल्कि विस्‍फोटक बल्‍लेबाज से चयनकर्ता बने श्रीकांत को दिया गया। हालांकि पहले टेस्‍ट में मुरली ने कोई बडा स्‍कोर खडा नहीं किया लेकिन बता दिया कि वह किसी के रहमो करम पर नहीं बल्कि अपने बलबूते टीम में आए है।

यही विजय अब मुरली की दूसरी धुन छेडते नजर आ रहे है। शास्‍त्रीय शैली में पारंगत यह बल्‍लेबाज जब आईपीएल में हॉट फेवरेट माने जाने वाली बेंगलुरू रॉयल चैलेंजर्स के खिलाफ खेलने के लिए उतरा तो उसका रिकार्ड काफी खराब था। वह टीम की उम्‍मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा था। बल्‍लेबाजी क्रम में इसके चलते बार बार बदलाव किया जाता रहा। चेपॉक पर उन्‍हें बल्‍लेबाजी करते देखने वालों को यकीन नहीं हुआ कि वह बिग हिट भी लगा सकते है। वह भी कोई क्रास बैट से नहीं बल्कि परंपरागत क्रिकेटिंग शॉट्स का इस्‍तेमाल कर उन्‍होंने बल्‍लेबाजी का फ्यूजन रच डाला।

मुरली विजय के अलावा चेन्‍नई की टीम में बडे बडे नामों के बीच एक और नाम तेजी से मैच विनर के रूप में सामने आ रहा है। टीम के शीर्ष गेंदबाजों की नाकामी को शादाब जकाती ने दूर कर दिया है। गोवा का यह स्पिन गेंदबाज पिछले सीजन में भी प्रभावी रहा था, लेकिन इस साल तो उसने कमाल ही कर दिया। शुरूआत में उनकी जगह भारतीय टीम में जगह बनाने वाले अश्विन को मौका दिया गया। अश्चिन ने शुरूआती चमक तो दिखाई लेकिन बाद के मुकाबलों में वह चेन्‍नई के लिए कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए। अश्विन की जगह जकाती को मौक मिला और उन्‍होंने इसे दोनो हाथों से भूना लिया। जकाती ने चार ओवरों में महज 17 रन दिए इसके भी कहीं ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण ये रहा कि उन्‍होंने फार्म में चल रहे रॉबिन उत्‍थपा और विराट कोहली के विकेट चटकाए।

आईपीएल में मनीष पांडे और जैक कैलिस की ओपनिंग जोडी के बीच पहले विकेट की साझेदारी का औसत स्‍कोर 88 रन है। यह दोनों बल्‍लेबाज बेंगलुरू की जीत के आधार स्‍तंभ बने हुए है। चेन्‍नई के खिलाफ यह जोडी केवल 12 रन जोड पाई। इसका नतीजा बेंगलुरू की पारी पर पडा। अब तक बेंगलुरू के मध्‍यक्रम पर एक अच्‍छी शुरूआत को बडे स्‍कोर में बदलने की जवाबदारी रहती आई है। इस मुकाबले में पारी को संवारने का काम मध्‍यक्रम को करना पडा। रनों की गति बढाने और विकेट थामने की कवायद में टीम फंस कर रह गई।

टूर्नामेंट जैसे जैसे आगे बढता जा रहा कुंबले का प्रदर्शन शबाब पर है। इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह चुके इस गेंदबाज को देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि उनकी क्षमता में कोई कमी आई है। क्रिकेट गलियारों में तो ये आईपीएल के मुकाबलों के बाद ये चर्चा आम है कि टी20 फार्मेट में भारत के सर्वेश्रेष्ठ बल्‍लेबाज सचिन तेंदुलकर है और गेंदबाजी में यही दर्जा अनिल कुंबले को हासिल है। क्रिकेट के इस फार्मेट में सचिन और कुंबले दोनों ने ही अपनी काबिलयत साबित की है। हालांकि यह दोनों ही सितारें वेस्‍टइंडीज में वर्ल्‍ड कप के दौरान नजर नहीं आएंगे। इन दोनों की सफलता के पीछे है दृढ इच्‍छाशक्ति और जीत का जस्‍बां। सलाम सचिन, सलाम कुंबले। यू ऑर ग्रेट।