
भारत सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अतिथि देवो भव: अभियान चला रही है। इसके प्रचार प्रसार का जिम्मा आमिर खान के कंधों पर है। बजट भी लाखों करोड़ों रूपयों का है। अब लगता है सरकार को इसके लिए अपना खजाना खाली करने की जरूरत नहीं है। टीम इंडिया के टॉप 11 खिलाड़ी मुफ्त में इसके ब्रांड एम्बेसेडर बन सकते है। न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले दो टेस्ट मैचों के बाद तो कम से कम यह माना ही जा सकता है। दुनिया की नंबर वन टीम ने विदेशी मेहमानों की मेहमाननवाजी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। पहले अहमदाबाद और फिर हैदराबाद में कीवी टीम के खिलाफ मुकाबले को ससम्मान बराबरी पर खत्म किया गया।
न्यूजीलैंड के खिलाड़ी भारत की सरजमी पर पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश से कड़वी यादें लेकर आए थे। बांग्लादेश को क्रिकेट जगत में अपनी धाक अभी जमानी है। इसलिए मेहमान टीम के साथ उसका बर्ताव अच्छा नहीं रहा। बल्लेबाजों ने कीवी गेंदबाजों का तिरस्कार किया तो गेंदबाजों ने अतिथि बल्लेबाजों को ज्यादा वक्त तक क्रीज पर जमे रहने का मौका नहीं दिया। क्रिकेट के सभी फार्मेट में अतिथियों को नीचे दिखाया गया।

बांग्लादेश में लूटने पिटने के बाद न्यूजीलैंड का पड़ाव भारत में था। बराबरी का मुकाबला तो कतई नहीं कहां जा सकता था। कीवी भी कौन सी शानदार मेहमाननवाजी की उम्मीदें लगाकर आए थे। भारत में आने के 20 दिन बाद तस्वीर बिलकुल बदली हुई है। उम्मीदों के विपरीत कीवी टीम को अब तक के दौरे में अतुल्य भारत की तस्वीर देखने को मिली है। भारतीय बल्लेबाजों ने मेजबान टीम का फर्ज पूरी तरह से अदा किया। उन्होंने मेहमान टीम के गेंदबाजों को समय समय पर अपने विकेट उपहार में सौंपे। कभी रन जुटाए भी तो इतने नहीं की मेहमान टीम हार का खतरा महसूस करें।
बल्लेबाज जब मेहमाननवाजी में जुटे हो तो गेंदबाज भला कहां पीछे रहने वाले थे। श्रीसंथ, प्रज्ञान ओझा, हरभजन सिंह हर कोई खातिरदारी में जुटा नजर आया। गेंदबाजों ने इतनी दरियादिली दिखाई जितनी तो 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में संचार मंत्री पद गंवाने वाले ए राजा भी नहीं दिखा पाए। राजा तो राजा कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाडी भी इस खातिरदारी को देख शर्मसार हो जाए।

बांग्लादेश में न्यूजीलैंड ने इतनी मार खाई की वह भूल ही गए थे कि भारत में अतिथि को भगवान का दर्जा दिया जाता है। सदियों से यह परंपरा यहां चली आ रही है। शैलेन्द्र ने तो बकायदा शब्दों में इसे ढालते हुए लिखा था ‘ मेहमां जो हमारा होता है वो जान से प्यारा होता है। यानी जो भी हमारे मुल्क आया हमनें उसे खुशी खुशी गले लगा लिया। जिस देश में गंगा बहती है उस देश के क्रिकेटरों से न्यूजीलैंड को केवल मेहमानवाजी का नहीं बल्कि समानता का सबक भी सीखने को मिला। वर्ना क्रिकेट की नंबर एक टीम के सामने आठवीं रैंक की टीम की क्या बिसात थी। टीम इंडिया ने फिर भी विरोधी टीम को नीचा नहीं दिखने दिया।
ऊंच नीच, छोटे बड़े का भेद किए बगैर कीवी टीम को बराबरी का दर्जा दिया। पहले टेस्ट में लगा कि मेजबान टीम का पलड़ा भारी हो रहा है तो दुनिया के दिग्गज बल्लेबाजों ने बड़प्पन दिखाते हुए आत्मसमर्पण कर दिया। हैदराबाद में पांचवे दिन चमत्कार की उम्मीद जगी तो गेंदबाज कहां पीछे रहने वाले थे। उन्होंने मैकुलम को दोहरा शतक जमाने का पूरा मौका दिया।
मेहमानवाजी में थोड़ी चूक होना लाजमी है। हरभजन सिंह जरा ज्यादा उत्साह में आते दिखें। एक शतक से उनका जी नहीं भरा। आठवे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए लगातार दो शतक जमाकर अपना नाम रिकार्ड बुक में दर्ज कराने के बाद ही उनका बल्ला रूका। वैसे उनकी यह गुस्ताखी माफी के काबिल है। बल्लेबाजी करते वक्त उन्होंने जो गलतियां की उसकी भरपाई गेंदबाजी विभाग में कीवी बल्लेबाजों के लिए खतरा नहीं बनकर कर दी। अब बताईए अतिथि देवों भव: को इससे बेहतर ब्रांड एम्बेसेडर क्या कोई और मिल सकता है। वाकई में भारत अतुल्य है।
4 comments:
बहुत बढिया लिखा है लगता है भारत ने बड़प्पन की जैसे कसम खा रखी है एशियाड में भी भारत इसी तरीके के बड़पप्पन को दर्शा रहा है। लगता है जैसे हमारे यहां के खिलाड़ी केवल खेलगांव की कमिया देखने गए थे हाल ये हो गया है कि अब टीवी रिपोर्टर भारत चीन की संस्कृति की तुलनात्मक खबरें करने में बिजी हो गए हैं। खैर मनाओ शायद भारतीय खिलाड़ी अब नागपुर में अपने अतुल्य स्वरूप से बाहर निकले।
wow..........it has written very well.....
dada ...aisa nahi hai criket may ye sab chalta rehata hai . ho sakta hai bangladesh ke doore per newzilend ka luck kharab ho aur ab humara .
What an Unique comparison again...Great one...
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