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Monday, July 19, 2010

टेस्‍ट ऑफ हैदराबादी

भारतीय इतिहास में 17 मार्च की तारीख का कोई खास महत्‍व नहीं रहा है। इतिहास के जानकारों के लिए भी यह तारीख कोई खास मायने नहीं रखती, लेकिन यह तारीख पडोसी मुल्‍क और दुनिया की नयी आर्थिक महाशक्ति बनकर अमेरिका को चुनौती दे रहा चीन कभी भूल नहीं सकता है। तिब्‍बत में 1959 में मार्च की 17 तारीख को ही चीनी शासन के खिलाफ विद्रोह की चिंगारी उठी थी। इसी दिन दलाई लामा ल्‍हासा छोडकर भारत की सरजमी पर पहुंचे थे। 21 वी सदी में भी चीनी चुनौती को 17 मार्च की तारीख करारा जवाब दे रही है। यह चुनौती आर्थिक, सामरिक या राजनीतिक मोर्चे पर नहीं है बल्कि उस मोर्चे पर है जिस पर अब तक चीन का एकछत्र राज रहा है। यह मोर्चा है बैडमिंटन कोर्ट का जहां दुनिया की कोई भी ताकत उसके दबदबे को खत्‍म नहीं कर पाई है। चीन की दीवार को पहली बार जबर्दस्‍त सेंधमारी की है 17 मार्च को जन्‍मी साइना नेहवाल ने। चीनी रूतबे को पूरी तरह से तोडने से यह हैदराबादी बाला महज एक कदम दूर है।


बिरयानी के लिए मशहूर हैदराबादी खाना बेहद लजीज होता है। कुछ ऐसा ही लाजवाब खेल है 20 साल की साइना नेहवाल का। दुनिया में भारतीय खाने को मशहूर करने में लजीज हैदराबादी व्‍यंजन अहम रहे है, जबकि दुनिया में सबसे ज्‍यादा चाइनीज फूड खाया जाता है। टेस्‍ट ऑफ हैदराबादी ने इन दिनों चीनियों के मुहं का स्‍वाद बिगाडा हुआ है। हैदराबादी डिश जितनी नफासत से बनाई जाती है उतने ही करीने से साइना नेहवाल के खेल को सजा संवरा हुआ है। मंद आंच पर पकाए स्‍वादिष्‍ट भोजन की तरह साइना ने भी सफलता का स्‍वाद कदम दर कदम लेकिन मजबूत बुनियाद पर खडे होकर चखा है। 


हैदराबाद दक्षिण भारत का सबसे बडे शहरों में शुमार है। ग्रेटर हैदराबाद को मंजूरी मिलने के बाद तो यह दिल्‍ली के बाद क्षेत्रफल के लिहाज से देश का दूसरा सबसे बडा शहर बन गया है। पचास लाख से ज्‍यादा आबादी वाले शहर का साइना भी 12 साल पहले हिस्‍सा बन गई थी।  लाखों लोगों की भीड में खोने की बजाए साइना यहां अपनी अलग पहचान बनाने आई थी। यह शहर 15 वीं शताब्‍दी के आसपास अस्तित्‍व में आया था उस वक्‍त इसकी पहचान भाग्‍य नगर के रूप में थी। साइना के लिए भी यह शहर भाग्‍य नगर साबित हुआ। वैज्ञानिक पिता के साथ आठ साल की उम्र में हरियाणा के हिसार से हैदराबाद आई साइना की इस शहर ने पूरी जिंदगी ही बदल गई। इस उम्र में जब बच्चियां घर घर खेलती है, साइना 25 किलोमीटर का सफर केवल बैडमिंटन एकेडमी तक पहुंचने के लिए करती थी। वह 24 घंटे के दिन का कभी भी न खत्‍म होने वाला दौर था। इसी प्रेक्टिस की वजह है कि आज सफलता अर्जित करने का दौर भी कभी न रूकने वाला साबित हो रहा है।



बीस साल की साइना शाहरूख खान की जबर्दस्‍त फैन है। शाहरूख का बॉलीवुड का सफर और साइना की जिंदगी का सफर लगभग साथ साथ ही शुरू हुआ है। दोनों ने ही मेहनत और खुद पर आत्‍मविश्‍वास के दम में सफलता हासिल की। हालांकि साइना को अपने पसंदीदा हीरो की तरह हारकर जीतने वाला बाजीगर वाला तमगा पसंद नहीं है। वह जब कोर्ट में होती है तो जीत ही उसका एकमेव लक्ष्‍य होता है। आक्रमक खेल खेलकर वह विरोधी पर हावी हो जाती है। विरोधी समझ पाता इसके पहले साइना अपनी चिर परिचित मुस्‍कान लिए मैच जीतकर हैंड शेक करने नेट पर पहुंच जाती है। यदि विरोधी टक्‍कर दे फिर भी दमखम से वह शिकस्‍त देने का माद्दा रखती है।


खेल प्रेमी उनसे ओलम्पिक और वर्ल्‍ड चैम्पियनशिप में मेडल सहित उम्‍मीदों की लंबी फेहरिस्‍त लिए हुए है। इन सबके बीच खेल प्रेमी का ध्‍यान साइना के खातें में दर्ज एक बडी उपलब्धि पर नहीं जाता। आईपीएल में साइना को डेक्‍कन चार्जेस की टीम ने अपना ब्रांड एम्‍बेसेडर बनाया। दूसरी टीमों ने कैटरीना कैफ, शिल्‍पा शेट्टी, दीपिका पादुकोण जैसी हसीन बॉलीवुड तारिकाओं को यह जवाबदारी सौपी थी, लेकिन वेरी वेरी स्‍पेशल लक्ष्‍मण वाली टीम का चेहरा यह बैंडमिंटन खिलाडी बनी। क्रिकेट को धर्म और बॉलीवुड अदाकारा को अपना सब कुछ मानने वाले इस देश में साइना के लिए इससे बडी उपलब्धि और क्‍या हो सकती है। 



पूरे देश में मॉनसून सक्रिय है और साइना ने आसमां से बरस रही नेमत के बीच दुनिया में नंबर दो की पोजीशन हासिल की है। साइना का खेल भी बारिश की रिमझिम फुहारों सा है जिसका पानी जमीन में रिसकर धरती की आत्‍मा को तृप्‍त करता है। बारिश के साथ हर किसी के जीवन की सुखद यादे जुडी होती है, उम्‍मीद की जाना चाहिए की साइना के जीवन में यह मॉनसून उपलब्‍धियों की बारिश करें। आमीन।

3 comments:

नवीन said...

सटीक लेख

anup kumar dubey said...

lekh ekdam stik hai
har pahlu ko chhua hai
kisi chij ki kami nahi hai lekh main
har bat jahain aani chahi bahi hai
har shabd or har line apni jagah kidiwar ki tarh baithai gai hai
lekin age se ek bat ka dhiyan rakhan ki lekh thoda chhota ho to achha hoga

nidhi said...

One more inspiring and interesting article.

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