मैं हूं ना फिल्म के हीरो शाहरूख खान के पास हर मर्ज की दवा होती है। फिल्म के हीरोइन की जान बचाना हो या फिर सुष्मिता सेन को इजहार ए मोहब्बत करना हो या फिर गुल हुई बत्ती की खामी को दूर करना हो। मैं हूं ना कहते हुए शाहरूख खान उस मास्टर चाबी की तरह हर जगह पर मौजूद रहते है जो मुसीबतों के ताले को खोल राह को आसान करती है। पिछले तीन वर्ल्ड कप से फ्रांस के लिए शाहरूख खान की भूमिका जिनेदिन जिडान निभा रहे थे। टीम की जरूरत के मुताबिक जिदान हर पोजीशन पर नजर आते थे। टीम की हर छोटी बडी दिक्कतों को यह जादूगर चुटकी में सुलझा देता था। फुटबॉल की भाषा में इस मैं हूं ना वाली भूमिका को प्ले मेकर कहां जाता है। वर्ल्ड कप में गत उपविजेता फ्रांस को प्ले मेकर ही भूमिका खली थी जो टीम को एक सूत्र में बांधकर रख सके और हर मुसीबत के वक्त कह सके कि मैं हूं ना।
मुख्य अभिनेता की गैरमौजूदगी की वजह से सहायक अभिनेताओं के भरोसे अफ्रीका पहुंची फ्रांस की टीम को फुटबॉल के बाक्स ऑफिस पर पहले से ही कमजोर आंका जा रहा था। कुछ नयी कुछ पुरानी रील को जोडकर तैयार की गई फिल्म की तरह इस टीम में जोडतोड साफ तौर नजर आ रही थी। यही वजह है कि इस टीम में एकजुटता और जीत के जस्बें का अभाव साफ झलक रहा था। इस पर कलाकारों के खुद को दूसरे से बेहतर साबित करने की होड मची हो और कमजोर एडिटिंग होतो फिल्म में बिखराव नजर आता है, कुछ ऐसा ही बिखराव व्यक्तिगत खेल खेलने की वजह से फ्रांस की टीम में भी नजर आ रहा था।
दरअसल, किसी भी फिल्म के लिए अब पहले तीन दिन बेहद महत्वपूर्ण होते है। आजकल इन तीन दिनों में फिल्म हाउसफुल हुई की उसे हिट मान लिया जाता है। फ्रांस की टीम वर्ल्ड कप के बॉक्स ऑफिस पर ओपनिंग होते ही दम तोड दिया। उरूग्वे के खिलाफ फर्स्ट डे फर्स्ट शो ने ही इस टीम पर फ्लॉप का ठप्पा लगा दिया था। पहले दिन जिस फिल्म ने पानी नहीं मांगा उसके दूसरे सप्ताह में प्रवेश करने की उम्मीद करना भी बेमानी माना जाता है। बावजूद इसके वितरकों को शनिवार और रविवार को वीक एंड पर फिल्म के रिवाइवल की उम्मीद बंधी रहती है वैसी ही उम्मीद बाकी दो मुकाबलों में गत उपविजेता टीम के समर्थकों को थी। फ्रांसीसी कलाकारों की लचर अदाकारी की वजह से फिल्म पिट गई और दूसरे दौर के पहले ही मार्केट से बाहर हो गई।
बडे बैनर कभी फिल्म की सफलता का पैमाना नहीं होता। बडा बैनर और नये कलाकार कई बार फ्लॉप फिल्म का फार्मूला बन जाते है। कुछ ऐसा ही फ्रांसीसी टीम के साथ हुआ। आपसी विवाद और विवादास्पद तरीके से आयरलैंड के खिलाफ प्ले ऑफ मुकाबले में थियरे हेनरी के हेंडगोल यानि की हाथ से किए गोल की वजह से अंतिम दौर में फ्रांस की टीम वर्ल्ड कप का टिकिट कटा पाई थी। वितरक नहीं मिलने की वजह से जिस तरह फिल्म रिलीज होने में देरी हो जाती है उसी तरह फ्रांस की टीम ने किसी तरह गिरते पडते वर्ल्ड कप के क्वालिफाई किया था। फिल्म को रिलीज के लिए अंतिम समय तक संघर्ष करना पडे उससे सफलता की उम्मीद भी क्या की जा सकती है।
बाक्स ऑफिस पर जब कोई फिल्म रिलीज होती है तो सफलता का पैमान जीरो से शुरू होता है। पुरानी सफल असफल फिल्मों का खाता जीरो हो जाता है। फिल्मों की तरह फुटबॉल में भी इतिहास का सेविंग अकाउंट काम नहीं आता है। मैं हूं ना वाले शाहरूख खान जब डॉन बने तो 11 मुल्कों की पुलिस को उनका नहीं बल्कि उन्हें दर्शकों का इंतजार करना पडा। पिछले तीन वर्ल्ड कप में फ्रांस ने एक बार खिताब पर कब्जा जमाया था तो पिछली बार वह खिताब से एक कदम दूर रह गया था, लेकिन दक्षिण अफ्रीका में यह गौरवशाली इतिहास किसी काम नहीं आया। फुटबॉल के सुपरहिट मुकाबले में यह टीम सुपर फ्लाप हुई क्योंकि मैं नहीं हूं ना।
8 comments:
its really awesome. who is not at all a football fan will also like this one. The tag line is so interesting.
very good...achcha aur creative likha hain ..
Heard you have got a new job? Gosh I just feel jealous of your new colleagues They'll get to work with a cool one like you Enjoy...!
Heard you have got a new job? Gosh I just feel jealous of your new colleagues They'll get to work with a cool one like you Enjoy...!Dhananjay Gunjal. Bhai ji Aap Ka Mob.No.Sant 09826025442per kare. Tnx...
प्रस्तूतीकरण इतना शानदार है कि, जिसे फुटबॉल में कोई रूचि ना हो, या कि, वह ज्यादा ना जानता हो, उसे भी बखूबी समझ आ जाएगा, बेहतरीन ।
achha likha yaar!
Accha likha hain yaar
maja aa gaya BOSS...
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