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Saturday, March 27, 2010

राजस्‍थान का हल्‍ला बोल

किंग्‍स इलेवन के लिए आईपीएल सीजन3 में कुछ भी अच्‍छा नहीं हो रहा है। सुपर ओवर में चेन्‍नई सुपर किंग्‍स के खिलाफ मिली जीत के बाद उम्‍मीद जगी की थी ये टीम एकजुट होकर वापसी कर सकती है। तीन बेहद नजदीकी मुकाबले गंवा देने वाली टीम के सामने राजस्‍थान रॉयल्‍स थी। दोनों ही टीमें इस वक्‍त आईपीएल में अंतिम दो पायदान पर चल रही थी। फिसडि्डयों की इस जंग में किंग्‍स इलेवन का पलडा भारी नजर आ रहा था। पंजाब के शेर तो कागजी साबित हुए लेकिन राजस्‍थान अब साधारण खिलाडियों के असाधरण प्रदर्शन की कहानी फिर दोहराती नजर आ रही है।

राजस्‍थान की और आईपीएल को एक और नये सितारे की सौगात मिल रही है। इस बार राजस्‍थान का परचम संतरों की नगरी नागपुर फैज फजल लहरा रहे है। ग्रीम स्मिथ और मेस्‍करनैस की गैर मौजूदगी से फजल को टीम में खेलने का मौका मिल रहा है और उन्‍होंने इस मौके का बखूबी फायदा उठाया है। फजल यूं तो ओपनिंग बल्‍लेबाज पर राजस्‍थान के लिए तीसरे नंबर पर बल्‍लेबाजी करने आ रहे है। किसी भी टीम में बल्‍लेबाजी का ये क्रम महत्‍वपूर्ण होता है। फजल इस जवाबदारी को समझ रहे है। पंजाब के खिलाफ भी नमन ओझा के आउट होने के बाद उन्‍होंने लम्‍ब के साथ मिलकर टीम के लिए मजबूत बुनियाद तैयार की। इसके बाद अंतिम ओवरों में तेज गति से रन बनाने की जरूरत थी तो वह वहां भी पीछे नहीं रहें। कोलकाता के खिलाफ भी उन्‍होंने कुछ इसी तरह की पारी खेली थी। वो राजस्‍थान की टीम की अहम कडी बनते जा रहे है।

ब्रेट ली की गैर मौजूदगी से पंजाब किंग्‍स इलेवन का गेंदबाजी पक्ष कमजोर नजर आ रहा है। पंजाब के गेंदबाजों में मानों इस बात को लेकर होड नजर आ रही है कि कौन सबसे ज्‍यादा रन देगा। पठान इस खेल में सबसे आगे निकल गए। उन्‍होंने चार ओवरों में 45 रन दिए तो शलभ श्रीवास्‍तव पठान से चार कदम आगे रहें। उन्‍होंने 49 लुटाए हालांकि एक विकेट भी उनके खाते में आया। श्रीसंत ने पहले मु‍काबले में डेल्‍ही डेयरडेविल्‍स के खिलाफ अपनी गेंदबाजी से फार्म में लौटने के संकेत दिए थे। इसके बाद वह भी रन देने की मशीन साबित हुए। हालांकि इस राजस्‍थान रॉयल्‍स के खिलाफ उन्‍होंने बेहतर गेंदबाजी की, लेकिन इसके बावजूद कप्‍तान उन्‍हें चौथा ओवर देने की हिम्‍मत जुटा नहीं पाए।

हालांकि राजस्‍थान का लक्ष्‍य बडा था लेकिन इतना बडा भी नहीं था जितनी बडे नाम किंग्‍स इलेवन की बेटिंग लाइन अप में थे। किंग्‍स इलेवन इस बार फिर नये ओपनिंग कॉम्बिनेशन के साथ मैदान में उतरी। फार्म में चल रहे रवि बोपारा का साथ दिया कप्‍तान संगकारा ने। दोनों ने चार ओवरों में 41 रनों की साझेदारी कर टीम को तूफानी शुरूआत दी। बिसाला और बोपारा ने दूसरे विकेट के लिए अच्‍छी साझेदारी कर टीम के स्‍कोर को 85 रनों पर पहुंचा दिया था। यहां पर बिसाला ने बोपारा का साथ छोड दिया। मजबूत मध्‍यक्रम के चलते किंग्‍स इलेवन के लिए लक्ष्‍य अब भी मुश्किल नहीं था। युवराज ने चेन्‍नई के खिलाफ फार्म में लौटने के संकेत दिए थे, लेकिन वह फार्म क्षणिक ही साबित हुआ। युवराज फिर असफल रहें। उन्‍होंने 13 गेंदों पर 15 रन बनाए। आईपीएल के पांच मैंचों में उन्‍होंने कुल मिलाकर 75 रन बनाए। युवराज से एक ही पारी में इतने रनों की उम्‍मीद की जाती है। युवराज के लौटने के बाद तो पंजाब ने 45 रनों पर सात विकेट गंवा दिए। मध्‍यक्रम का इससे शर्मनाक प्रदर्शन नहीं हो सकता। पॉवर प्‍ले में टीम ने 76 रन जोडे थे और केवल एक विकेट खोया था। वह टीम बीस ओवर भी पूरे नहीं खेल पाई। अगले तेरह ओवरों में टीम ने पावर प्‍ले से एक रन कम 75 रन बनाए लेकिन नौ विकेट खो दिए।

राजस्‍थान की टीम ने दो मैचों में मुकाबले जीत कर खोए हुए आत्‍मविश्‍वास को पाने के संकेत दिए है। टीम के संहारक यूसुफ पठान बडा स्‍कोर नहीं कर रहे है इसके बावजूद टीम जीत रही है। साधारण से माने जाने वाले खिलाडी अपनी चमक बिखेरने को बेताब है। शेन वॉर्न की गेंदबाजी भी पूरे शबाब पर नहीं है। विपक्षी टीम के लिए फिर भी हर लक्ष्‍य बडा साबित हो रहा है। पठान और त्रिवेदी ने खासतौर पर अपनी गेंदबाजी से प्रभावित किया है। टैट को भी लय मिलती दिख रही है। ऐसे में राजस्‍थान अब साफ्ट टारगेट नहीं है बल्कि अपनी थीम की तरह विरोधी टीमों पर हल्‍ला बोल रही है।

धोनी बिन सब सुन

क्रिकेट में एक बेहद सामान्‍य बात कहीं जाती है कि कैचेस विन द मैचेस। क्रिकेट का मुकाबला किसी भी स्‍तर का हो कि यदि आप कैच लपकते रहे तो आपकी टीम मुकाबला जीत जाएगी। ये बेहद बुनियादी बात चेन्‍नई सुपर किंग्‍स के क्षेत्ररक्षण समझ नहीं पाए। उन्‍होंने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू के खिलाफ कैच छोडे और मैच गंवा दिया। इस मैच के हीरो रहे रॉयल चैलेंजर्स के रॉबिन उत्‍थपा। 38 गेंदों पर 68 रनों की पारी खेल अपनी टीम के जीत की बुनियाद रखी। रॉबिन की इस पारी को आगे बढाने में सुपर किंग्‍स के फील्‍डरों की भी अहम भूमिका निभाई। पांच और 25 रन के निजी स्‍कोर पर उन्‍हें दो जीवनदान मिले। इसी का फायदा उठाते हुए उत्‍थपा ने अंतिम 19 गेंदों पर 52 रन जुटा लिए। एक वक्‍त सवा सौ रनों के स्‍कोर के लिए जुझ रही टीम 171 रनों का स्‍कोर खडा कर विरोधी टीम के खिलाफ मनोवैज्ञानिक बढत ले लेती है। रॉबिन की पारी है आखिर में बेंगलुरू के जीत की वजह बनी।

इस मुकाबले में वह हुआ जो अब तक आईपीएल3 में नहीं हुआ। आरेंज कैप हासिल करने वाले दक्षिण अफ्रीकी बल्‍लेबाज जैक कैलिस को पहली बार कोई गेंदबाज आउट करने में कामयाब रहा है। ये सेहरा बंधा चेन्‍नई के ही लक्ष्‍मीपति बालाजी पर। तीन मुकाबलों के बाद ये पहला मौका था जब बेंगलुरू का पहला विकेट इतने जल्‍दी गिरा हो। कैलिस को आउट करने का श्रेय भले ही बालाजी को मिला हो लेकिन बेंगलुरू के असली मुसीबत मुथैया मुरलीधरन साबित हुए। उन्‍होंने आते ही बेंगलुरू के बल्‍लेबाजों पर शिकंजा कस दिया। उनके सामने मनीष पांडे भी खुलकर बल्‍लेबाजी नहीं कर पा रहे थे। मुरलीधरन ने दो ओवरों में द्रविड और पांडे का आउट कर बेंगलुरू की उम्‍मीदों को करारा झटका दिया। इसके बाद उन्‍होंने खतरा बनते जा रहे विराट कोहली को भी पैवेलियन का रास्‍ता दिखा दिया। दूसरी और से सुदीप त्‍यागी की कसावट भरी गेंदबाजी से बेंगलुरू का रन रेट काफी कम हो गया और टीम गहरे दबाव में थी। ये दबाव और गहरा जाता यदि मुरलीधरन की गेंद पर उत्‍थपा का कैच अश्विन लपक लेते।

18 ओवरों के बाद बेंगलुरू का स्‍कोर 130 रन था। ऐसे में चेन्‍नई को एक आसान लक्ष्‍य की उम्‍मीद थी। अंतिम दो ओवरों ने सारी उम्‍मीदों पर पानी फेर दिया। बालाजी ने 19 वां ओवर डाला जिसमें 24 रन बने तो अश्विन की आखरी ओवर में 17 रन बनें। मुरली के 4 ओवरों में 25 रन देकर तीन विकेट लिए, लेकिन बाकी गेंदबाजों से मदद नहीं मिलने की वजह से उनके ये प्रयास एकाकी ही साबित हुए। त्‍यागी को शुरूआत में ही चार ओवर डलवा दिए गए थे, क्‍योंकि वह अंतिम ओवरों में खूब रन लुटाते है। त्‍यागी ने भले ही 4 ओवरों में 19 रन दिए है, लेकिन सवाल ये उठता है कि यदि अंतिम ओवरों में गेंदबाज रन नहीं रोक पाए तो टीम में उसके होने का मतलब क्‍या है।

इस प्रतियोगिता में बेंगलुरू ही एक ऐसी टीम है जिसकी गेंदबाजी बेहद मजबूत है। पांच मुख्‍य गेंदबाजों की मौजूदगी में टीम को पार्ट टाइमर की जरूरत कम ही पडती है। कप्‍तान कुंबले ने केवल कप्‍तानी के लिहाज से ही नहीं बल्कि गेंदबाजी से भी टीम को लीड किया। अंतर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चूके कुंबले की गेंदबाजी पर उम्र और मैच प्रैक्टिस का अभाव बिलकुल नहीं झलक रहा है। उन्‍होंने चार ओवर में महज 15 रन दिए और मुरली विजय का महत्‍वपूर्ण विकेट लिया जो अंतिम ओवरों में मैच का नतीजा बदलने की काबिलियत रखते है। स्‍टेन और प्रवीण कुमार पहले की ही तरह कसावट भरे नजर आए। 

सौरव गांगुली को भारतीय क्रिकेट में द मैन विथ गोल्‍डन आर्म का दर्जा हासिल था। टीम को जब भी विकेट की जरूरत होती गांगुली को गेंद थमा दी जाती और वह अच्‍छी से अच्‍छी साझेदारी को तोडने में कामयाब हो जातें। आईपीएल 3 में कुछ ऐसा ही कमाल बेंगलुरू के विनय कुमार दिखा रहे है। विनय ने इस मुकाबले में चार महत्‍वपूर्ण विकेट हासिल किए। अब तक घरेलू क्रिकेट में लगातार विकेट ले रहे विनय को अनदेखा किया जाता रहा है। विनय ने पिछले आईपीएल में भी अच्‍छा प्रदर्शन किया था। इस आईपीएल में भी वो लगातार विकेट हासिल कर रहे है।

कप्‍तान धोनी की गैर मौजूदगी से चेन्‍नई की बल्‍लेबाजी कमजोर लग रही है। हेडन के जल्‍दी आउट होने का मतलब सारा दबाव मध्‍यक्रम के बल्‍लेबाज पर आना। ऐसे में बार बार मध्‍यक्रम लडखडा रहा है। सुरेश रैना पर कप्‍तानी का अतिरिक्‍त भार उनकी बल्‍लेबाजी को प्रभावित करता दिख रहा है। उनके और विजय के जल्‍दी आउट होने के झटके से टीम उबर ही नहीं पाई। बद्रीनाथ ने जरूर कुछ संघर्ष किया लेकिन मार्केल बेंगलुरू की गेंदबाजी के आगे जुझते नजर आए। मार्केल की अंतिम ओवरों में बिग हिट लगाने में नाकामी ने रही सही कसर भी पूरी कर दी।

ओवर ऑफ डेथ



टी20 मुकाबले में हर गेंद का अपना रोमांच होता है। 120 120 गेंदों की पारी की एक एक गेंद क्रिकेट के इस फार्मेट के रोमांच को चरम पर ले जाती है। इस फार्मेट का हिस्‍सा सुपर ओवर इन सब रोमांच पर भारी पड रहा है। 12 गेंदों का मुकाबला 240 गेंदों के बनिस्‍बत कहीं ज्‍यादा जानलेवा साबित हो रहा है। आईपीएल के मुकाबले में तो सुपर ओवर मैदान पर खिलाडियों के बजाए दर्शकों की धडकन ज्‍यादा तेज किए हुए है। सुपर ओवर में सही मायनों में जीत किसी टीम की नहीं बल्कि क्रिकेट की होती है। हालांकि सुपर ओवर का ये खेल श्रीलंकाई गेंदबाजों को रास नहीं आ रहा है। आईपीएल के इतिहास के दो सुपर ओवरों में उसी टीम को मुंह का हार देखना पडा है जिसने बाद में गेंदबाजी की है। बदकिस्‍मती से दोनों ही मर्तबा बलि का बकरा श्रीलंकाई गेंदबाज बनें। पिछले सीजन में यूसुफ पठान ने अजंथा मेंडिस का भुरता बना दिया था। इस बार एम फेक्‍टर के दूसरे साझेदार मुथ्‍ौया मुरलीधरन ओवर ऑफ डेथ का शिकार बनें।


आईपीएल के इस मुकाबले से चेन्‍नई के दर्शकों के टिकिट के पूरे पैसे वसूल हो गए हो, लेकिन घरेलू दर्शकों के लिए अंतिम नतीजा निराशाजनक रहा। दर्शक जिस मुकाबले को एकतरफा समझकर अपनी टीम चेन्‍नई सुपर किंग्‍स की जीत के जश्‍न में डूबे जा रहे थे। उसी चेन्‍नई सुपर किंग्‍स के बल्‍लेबाजों ने गैर जिम्‍मेदाराना शॉट्स खेलकर अपनी टीम को डूबो दिया। टीम को अंतिम पांच ओवरों में महज 28 रनों की दरकार थी। विकेट पर पार्थिव पटेल और मोर्कल थे। पंजाब के लिए मुकाबले के इस मोड पर जीत की बात करना भी बेमानी होता है। किंग्‍स इलेवन ने किसी चमत्‍कार की उम्‍मीद भी नहीं की होगी, लेकिन चेन्‍नई के बल्‍लेबाज तो मानो ये ठानकर ही आए थे कि उन्‍हें इस मुकाबले में किसी भी कीमत पर जीत हासिल नहीं करना है।



चेन्‍नई की हार के लिए भारतीय टीम में वापसी की दावेदारी कर रहे पार्थिव पटेल कर रहे सबसे ज्‍यादा जवाबदार है। जीत के लिए 18 गेंदों पर 20 रनों की जरूरत थी। अठारहवें ओवर की पहली ही गेंद पर पार्थिव ने चौका जमाकर समीकरण पूरी तरह से घरेलू टीम के पक्ष में कर दिए थे। पार्थिव पटेल इसके बाद खुद को मैच विनर साबित करने के लिए पीयूष चावला की अगली गेंद को भी आगे बढकर बाउण्‍ड्री लाइन से बाहर पहुंचाने क्रीज से बाहर निकले, गेंद तो वहीं रही पार्थिव को जरूर अंपायर ने पैविलियन की राह दिखा दी। मुरली विजय तो इस मुकाबले में खाता ही नहीं खोल पाए और फार्म में चल रहे बद्रीनाथ भी दो रन बनाकर युवराज के शिकार बन गए।  मार्केल का बल्‍ला भी खामोश रहा इसका नतीजा ये रहा कि जिस मुकाबले को चेन्‍नई को आसानी से जीत लेना चाहिए था उसे उसने सुपर ओवर में पहुंचा कर गंवा दिया।



प्रिटी जिंटा के चेहरे पर मुस्‍कुराहट लौट आई है। तीन नजदीकी मुकाबलें गंवाने के बाद अब उनकी टीम ने आईपीएल में पहली जीत दर्ज की है। पहले तीनों मुकाबलों का नतीजा किंग्‍स इलेवन की गलतियों से तय हुआ था। ये मुकाबला भी टीम ने अपनी काबिलियत से नहीं बल्कि विरोधी टीम की मेहरबानी से जीता है। किंग्‍स इलेवन के लिए दिक्‍कत ये है कि यदि गेंदबाज का प्रदर्शन अच्‍छा रहा तो बल्‍लेबाज नैया डूबो देते है और ऐसा ही कुछ गेंदबाजों का हाल रहा है जब बल्‍लेबाज चल निकलते है। ऐसे में ये जीत टीम के लिए संजीवनी बूटी का काम कर सकती है।


आखिर में बात युवराज की। नाम उनका भले ही युवराज हो लेकिन अपने अनुभव और आलराउंड प्रदर्शन के लिहाज से वह किंग्‍स इलेवन के युवराज नहीं बल्कि शहंशाह है। अब तक युवराज आईपीलए में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए थे। इस मुकाबले के पहले उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। अब उनका बल्‍ला चल निकला है तो किंग्‍स इलेवन के राहत की बात है। हालांकि, मुथैया मुरलीधरन पहली गेंद पर बीट होने के युवराज ने जो शॉट्स खेला वह आत्‍मघाती भी साबित हो सकता था। याद कीजिए टी20 वर्ल्‍ड कप का फायनल मिस्‍बाह उल हक ने इम्‍प्रोवाइज कर शॉट्स खेला था। इस शॉट्स से मिस्‍बाह ने अपना विकेट खोया और प‍ाकिस्‍तान ने टी20 वर्ल्‍ड कप का खिताब।

सचिन आला रे

सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली की ओपनिंग जोडी वन डे इतिहास की सबसे सफलतम जोडी है। गांगुली का शुमार भारतीय क्रिकेट इतिहास के सर्वश्रेष्‍ठ सफल कप्‍तानों में होता है। क्रिस गेल को दुनिया का सबसे खतरनाक ओप‍िनिंग बल्‍लेबाज माना जाता है। ईशांत शर्मा गिनती इस दौर के सबसे तेज भारतीय गेंदबाजों में होती है। मुंबई के ब्रेबोर्न स्‍टेडियम पर सचिन ने इन सब बातों को बेमानी साबित कर दिया। इस मुकाबले में गांगुली, क्रिस गेल और ईशांत शर्मा एक खेमें में थे तो सचिन विरोधी टीम की नुमाइंदगी कर रहे थे। ओपनिंग बल्‍लेबाजी, कप्‍तानी और तेज गेंदबाजों को सबक सीखना, सचिन तीनों ही मामलों में इन तीनों सितारों पर अकेले ही भारी साबित हुए।
टी20 मुकाबले में रन कैसे बनें इससे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण होता है कि रन बनें। ऐसे में शास्‍त्रीय शैली से बल्‍लेबाजी करने के बावजूद गेंदबाजों का नरसंहार कोई देवदूत ही कर सकता है। क्रिकेट की दुनिया में डॉन ब्रेडमेन के बाद दूसरा देवदूत सचिन तेंदुलकर है। ब्रेबोर्न स्‍टेडियम पर सचिन ने एक बार फिर इसे साबित कर दिया। कोलकाता के खिलाफ उन्‍होंने जो पारी खेली टी20 क्रिकेट में ऐसी पारी की उम्‍मीद ख्‍वाबों में भी नहीं की जा सकती। 48 गेंदों पर 71 रनों की उनकी पारी में एक भी बिग हिट यानि की छक्‍का नहीं था। केवल टायमिंग और बेहतर प्‍लेसमेंट के जरिए उन्‍होंने ये रन अपने खातें में जमा किए। चार मैचों में सचिन का ये दूसरा अर्धशतक था। दोनों ही मुकाबलों में उन्‍होंने एक भी छक्‍का नहीं जमाया लेकिन स्‍ट्राईक रेट जबर्दस्‍त रहा।

सचिन की पारी ने न केवल मुंबई को विजयी दिलवाई बल्कि उन्‍होंने विरोधी टीम के सबसे मुख्‍य हथियार ईशांत शर्मा को भी नेस्‍तनाबूद कर दिया। सचिन ने ईशांत शर्मा के पहले और दूसरे दोनों ओवरों में तीन तीन चौंके जमाए। सचिन ने ईशांत की 16 गेंदों का सामन किया। इन 16 गेंदों पर सचिन ने 36 रन बनाए। इस दौरान सचिन ने ईशांत की गेंदों को आठ बार बाउण्‍ड्री लाइन के पार पहुंचाया। ईशांत जितना दम लगाकर गेंद फेंक रहे थे सचिन उतनी ही आसानी से इनका सामना कर रहे थे।


इस मुकाबले के बाद ईशांत को बेहद अच्‍छे तरीके से पता चल गया होगा कि मास्‍टर का बल्‍ला कैसे इतने लंबे समय से अंतर्राष्‍ट्रीय क्रिकेट में ब्‍लास्‍ट कर रहा है। सचिन ने जब क्रिकेट खेलना शुरू किया उस वक्‍त ईशांत शर्मा की उम्र महज एक साल थी। अपनी उम्र के बराबर अनुभव रखने वाले इस महानायक की बल्‍लेबाजी जो सबक ईशांत को मिला, व‍ह जिंदगी में और किसी से नहीं मिला होगा। ईशांत इस मुकाबले के बाद ऐसे गेंदबाजों की सूची में सबसे शीर्ष पर पहुंच गए है जिनकी गेदों पर आईपीएल में सबसे ज्‍यादा चौंके जडे गए है। शाहरूख की टीम में ईशांत सबसे मारक हथियार थे, लेकिन फिलहाल वह टीम के लिए आत्‍मघाती साबित हो रहे है।

सचिन की बल्‍लेबाजी पर लिखा जाए तो लफ्ज हो या अलंकार सब कुछ कम पडेगा, लेकिन इस मुकाबले में सचिन की कप्‍तानी की तारीफ करनी होगी। गांगुली जैसे आक्रमक कप्‍तान के आगे बेहद शालीनता से कप्‍तानी करने वाले सचिन की रणनीति भी विरोधी टीम पर भारी पडी। सचिन ने विरोधी टीम का पूरा होमवर्क किया था। सचिन ने हर बल्‍लेबाज के मजबूत और कमजोर पक्ष को देखते हुए गेंदबाजी में बदलाव किए तो फील्डिंग की जमावट में भी उन्‍होंन कुछ ऐसा ही ध्‍यान में रखा। मलिंगा की धीमी गेंदों ने कहर बरपाया तो जहीर खान भी पूरे रंग में नजर आए। हरभजन सिंह अब तक अपने नाम के मुताबिक गेंदबाजी करते नहीं दिख रहे थे। इस मुकाबले में वह भी उसी लय में लौटते दिखें। हरभजन सिंह ने चार ओवरों में महज 17 रन देकर एक विकेट हासिल किया। सचिन की बल्‍लेबाजी के अलावा हरभजन की गेंदबाजी ही आखिर में दोनों टीमों के बीच का सबसे बडा अंतर साबित हुआ।

कोलकाता नाइटराइडर्स की हार का सिलसिला खत्‍म नहीं हो रहा है। क्रिस गैल की मौजूदगी से उम्‍मीद जगी थी कि इस मुकाबले में कोलकाता की टीम एक बडा स्‍कोर खडा करेगी। गैल ने रन तो बहुत बनाए और गांगुली ने उनका साथ भी बखूबी दिया, लेकिन दोनों की बल्‍लेबाजी देख ऐसा लग रहा था कि ये टी20 नहीं बल्कि पचास पचास ओवरों का मुकाबला खेल रहे हो। ऐसे में विकेट हाथ में होने के बावजूद नाइट राइडर्स मुंबई के सामने एक ऐसा लक्ष्‍य नहीं रख पाए जो चुनौतीपूर्ण हो। जाहिर है कोलकाता के लिए आगे की राह बेहद मुश्किल है। इस टीम ने जितने जोरदार तरीके इस सीजन की शुरूआत की थी उतने ही जोरदार तरीके से अब ये टीम विरोधी टीम के हाथों पटकनी खा रही है।

Friday, March 26, 2010

यहां के हम सिकंदर

आईपीएल3 में वीरेन्‍द्र सहवाग-गौतम गंभीर और सचिन तेंदुलकर-जयसूर्या की जोडी को सबसे खतरनाक ओपनिंग जोडी माना जा रहा था। आईपीएल के शुरूआती दौर के मुकाबले के बाद ये दर्जा रॉयल चैलेंजर्स के जैक कैलिस और मनीष पांडे को हासिल हो गया है। बेंगलुरू ने पहले मुकाबले को छोड बाकी के तीन मुकाबलों में इस जोडी को आजमाया और तीनों ही मुकाबले में इस जोडी की धमाकेदार साझेदारी की बदौलत गत उपविजेता टीम को जीत हासिल हुई है। तेज गेंदबाज हो या स्पिनर इस जोडी के आगे अभी एक भी गेंदबाज की नहीं चल रही है। अनुभव और युवा जोश का ये गठजोड इस आईपीएल में गेंदबाजों का कत्‍लेआम कर रहे है।
 
राजस्‍थान रॉयल्‍स के बाद इस जोडी का तीसरा शिकार मुंबई इंडियंस के गेंदबाज बनें। रॉयल चैलेंजर्स की टीम जब बल्‍लेबाजी के लिए उतरी तो टीम गहरे दबाव में थी।  बेंगलुरू टीम अच्‍छी गेंदबाजी के बावजूद दबाव में थी। इसकी वजह 76 रनों पर मुंबई के छह विकेट हासिल करने के बावजूद 152 रनों के लक्ष्‍य मिलना था। जैक कैलिस और मनीष पांडे ने मोर्चा संभाला तो निराश के बाद मुंबई पर छाने लगें। 151 रनों के लक्ष्‍य के बाद सचिन तेंदुलकर को उम्‍मीद थी कि उनकी टीम ने मुकाबले को संघर्षपूर्ण बना दिया है। ब्रेबोर्न स्‍टेडियम पर मुंबई का ये भ्रम और मुकाबला दोनों ही पहले दस ओवर में खत्‍म हो गए। इस आईपीएल की सबसे सफल जोडी ने दस ओवरों में 85 रनों की साझेदारी कर डाली। मनीष पांडे ने एक बार फिर अच्‍छी शुरूआत दी। हालांकि वो अर्धशतक से चूक गए। वहीं जैक कैलिस का आईपीएल में ड्रीम रन जारी है। आईपीएल के पहले अफ्रीका टीम के भारतीय दौर का उन्‍हें पूरा फायदा मिल रहा है। उन्‍होंने खुद को भारतीय पिचों के लिहाज से ढाल लिया है। ये ही वजह है कि इस वेटरन बल्‍लेबाज ने गेंदबाजों की नींद उडा रखी है।
 
मुंबई के लिए पारी के दो ओवरों ने बडे स्‍कोर के मंसूबों पर पानी फेर दिया। जयसूर्या का विकेट एक बार फिर जल्‍दी गंवाने के बाद भी सचिन ने आदित्‍य तारे और सौरभ तिवारी के साथ तेज खेलकर टीम पर किसी तरह का दबाव नही आने दिया। इसके बावजूद मुंबई ने पहले दस ओवरों में तीन विकेट गंवा दिए। सचिन के मैदान पर डटे होने और बल्‍लेबाजी में गहराई होने की वजह से मुंबई के लिए चिंता की कोई बात नहीं थी।  ऐसे में विनय कुमार पारी का 11 वां ओवर लेकर आए। विनय कुमार के इस ओवर में विकेटों की झडी लग गई। विनय ने ने इस ओवर में सबसे बडा विकेट हासिल किया। उन्‍होंने फार्म में चल रहे रायडू को पहले चलता किया और फिर सचिन को बोल्‍ड कर मुंबई के खेमें में खलबली मचा दी। इस झटके से मुंबई उबर पाती की इस ओवर की आखरी गेंद पर उन्‍होंने ब्रेवो को भी अपना शिकार बना दिया। फिर जब पोलार्ड और सतीश मुंबई को एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्‍य की और ले जा रहे थे तो 18 वें ओवर में स्‍टेन ने इन दोनों को आउट कर दिया। इसके चलते अंतिम ओवरों में रन जुटाने की मुंबई की उम्‍मीदें ध्‍वस्‍त हो गई।

सचिन इस वक्‍त बेहतरीन टच में नजर आ रहे है। गेंदबाजों के लिए उनका विकेट लेना हमेशा से ही एक चुनौती रहा है लेकिन 2010 में तो उनका डिफेंस अभेद नजर आ रहा है। लेकिन हर दौर में सचिन कुछ एक विशेष शॉट्स लगाने में अपना विकेट गंवाते आए है। पहले वह शफल होकर मिड विकेट पर शॉट लगाने में कभी एलबीडब्‍ल्‍यू तो कभी बोल्‍ड होते रहे है। ऐसा ही एक दौर कव्‍हर ड्राईव्‍ह को लेकर भी आया था। अब सचिन पैडल शॉट्स खेलने के फेर में लगातार अपना विकेट गंवा रहे है। इस शॉट्स को सचिन अपने ही अंदाज में खेलते है। शेन वॉर्न की लेग स्‍टंप के बाहर की गेंदों का मुकाबला करने के लिए सचिन ने ये शॉट अपनाया था। अब ये ही शॉट्स सचिन के लिए आत्‍मघाती साबित हो रहा है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्‍ट सीरिज में शतक जमाने के बाद इसी तरह का शॉट्स खेलते हुए बोल्‍ड हुए थे। आईपीएल में राजस्‍थान रॉयल्‍स के खिलाफ मैस्‍करेनस की गेंद पर इसी शॉट्स को खेलते हुए वे एलबीडब्‍ल्‍यू हुए तो विनय कुमार ने उन्‍हें बोल्‍ड कर दिया।

इस जीत के बाद बेंगलुरू का आत्‍मविश्‍वास सातवें आसमां पर है। बल्‍लेबाजी और गेंदबाजी का परफैक्‍ट काम्‍बिनेशन इस वक्‍त टीम को एक के बाद एक जीत दिला रहा है। कैलिस, पांडे और उत्थपा जबर्दस्‍त फार्म में है। गेंदबाजी में कप्‍तान अनिल कुंबले पर उम्र और संन्‍यास बिलकुल हावी नहीं है बल्कि ये गेंदबाज तो बल्‍लेबाजों पर हावी हो रहा है। कैलिस गेंद से भी कमाल दिखा रहे है तो विनय कुमार, डेल स्‍टेन और प्रवीण कुमार भी किसी से कम नहीं साबित हो रहे है। ऐसे में टीम के पास जीत का पूरा पैकेज मौजूद है। तो क्‍या माल्‍या की टीम इस बार खिताब हासिल कर के ही रहेगी। देखना दिलचस्‍प होगा।

रंगीलो राजस्‍थान

राजस्‍थान रॉयल्‍स ने आईपीएल के पहले सीजन में खिताब पर कब्‍जा जमाया था उस वक्‍त किसी को ये यकीन नहीं था कि नवोदित खिलाडियों वाली ये टीम ये कारनामा भी कर सकती है। रॉयल्‍स की जीत का राज किसी असाधारण खिलाडी की वजह से नहीं बल्कि साधारण खिलाडियों के असाधारण और संयुक्‍त प्रयासों में छुपा था। आईपीएल3 के शुरूआती तीनों मुकाबलों में टीम में इसकी जरा भी झलक नहीं मिली। वहीं टीम अहमदाबाद के मोटेरा स्‍टेडियम पर उसी लय को दोबारा हासिल करती दिखी। बल्‍लेबाज हो या गेदबाज हर खिलाडी ने अपनी जवाबदारी को बखूबी समझा। नतीजा ये रहा है कि राजस्‍थान की टीम ने जीत की राह पर सरपट दौडना शुरू कर दिया है। वहीं कोलकाता के विजयी रथ पर ब्रेक लग गए है।

टॉस जीतने के बाद शेन वॉर्न ने पहले बल्‍लेबाजी करने का फैसला लेने में जरा भी देर नहीं लगाई। वॉर्न की नजर में 175 रनों का स्‍कोर जीतने के लिए काफी है। लम्‍ब के पहली ही गेंद पर आउट होने के बाद लगा कि आईपीएल के तीसरे संस्‍करण में राजस्‍थान के हार का सिलसिला बदस्‍तूर जारी रहेगा। ऐसे में नमन ओझा का साथ देने आए फैज फजल ने मुकाबले का रूख ही बदल कर रख दिया। यूसुफ पठान के जल्‍दी आउट होने और मैस्‍करेनस, ग्रीम स्मिथ जैसे खिलाडियों की गैरमौजूदगी के बावजूद टीम ने 168 रनों का स्‍कोर खडा कर लिया। इसमें फजल के अलाव अभिषेक झुनझुनवाला और वोग्‍स की लाजवाब पारी का भी अहम योगदान रहा।

राजस्‍थान के फ्लाप शो के बीच अभिषेक झुनझुनवाला ने इस आईपीएल में अपनी काबिलियत साबित‍ की है। इस मुकाबले में 36 गेंदों पर 45 रनों की उनकी पारी ने सही मायनों में राजस्‍थान के जीत की नींव रखीं। वैसे तो क्रिकेट का ये फॉरमेंट जहां बिग हिट की डिमांड करता है वहां अभिषेक गैप्‍स में खेलकर भी रनों की गति पर असर पडने नहीं देतें। वे कलात्‍मक शैली का प्रतिनिधित्‍व करते है। क्षेत्ररक्षण को वे आसानी से भेद लेते है। राजस्‍थान की टीम हर साल किसी न किसी खिलाडी के अपना हूनर साबित करने के लिए बेहतर मंच साबित हो रहा है। पिछले साल नमन ओझा उभर कर सामने आए थे, इस बार अभिषेक झुनझुनवाला अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे है।
आईपीएल के इस सीजन में ज्‍यादातर मुकाबलों के नतीजें जीतने वाली टीम की काबिलियत से नहीं बल्कि हारने वाली टीम के गैर जिम्‍मेदाराना प्रदर्शन से तय हुए है। ये मुकाबला भी कुछ ऐसा ही रहा। 169 रनों का लक्ष्‍य कोलकाता को मुश्किल नजर नहीं आ रहा था। उसके खिलाडियों की बॉडी लैंग्‍वेज भी ये बता रही थी कि मुकाबला उनके कब्‍जे में है। हालांकि पारी की शुरूआत के बाद ओवर दर ओवर कोलकात की चिंता बढती गई और अंतिम ओवरों में तो कोलकाता मुकाबले से बाहर हो गई।

दरअसल, मोटेरा की धीमी विकेट पर सधी हुई शुरूआत के बाद कोलकाता को लगा की अंतिम ओवरों में तेज खेलकर लक्ष्‍य को हासिल कर लिया जाएगा। ये विकेट ओवर दर ओवर धीमा होता गया। गांगुली हो या ओवेस शाह धीमी गेंदों ने उनकी लय को बिगाड कर रख दिया। कोलकाता का शीर्ष क्रम रनों के जुझता रहा। मैथ्‍यूज और ओवेस शाह जैसे बिग हिटर अधिकांश ओवर पैवेलियन में ही बैठे रहें। जाहिर है कि कोलकाता को रणनीति में बदलाव की जरूरत है, वर्ना पिछले दो आईपीएल की तरह इस बार भी टीम फिसड्डी साबित होगी।

कुछ बात यूसुफ पठान की। गेंदबाजों ने उनकी कमजोरी को पहचान लिया है। शार्ट पिच गेंदों को खेलने में उन्‍हें दिक्‍कत आती है। शुरूआती गेंदों पर यदि उन पर नकेल कसी जाए तो वो संयम के साथ विकेट भी खो देते है। हालांकि बल्‍ले से नाकाम रहने वाला ये पठान गेंदबाजी में कमाल कर गया। पावरप्‍ले में शेन वॉर्न ने उनसे गेंदबाजी कराई, लेकिन बल्‍लेबाजी की तरह गेंदबाजी में भी उन्‍होंने दिलेरी दिखाई। दबाव में आए बगैर उन्‍होंने कसावट भरी गेंदबाजी की बल्कि दो अहम विकेट भी लिए। झुनझुनवाला की बल्‍लेबाजी और यूसुफ की गेंदबाजी ही जीत हार का सबसे बडा अंतर अंत में साबित हुई।

Saturday, March 20, 2010

नेवले का क्रिकेट मैदान पर कहर

मंगूस, अंग्रेजी शब्‍द का आशय नेवला होता है। क्रिकेट के मैदान पर इसी नेवले का कहर बरपा। फिरोजशाह कोटला मैदान पर जब नेवले ने कहर बरपाना शुरू किया तो डेल्‍ही डेयरडेविल्‍स के खिलाडियों को सांप सूंघ गया। क्रिकेट के लिए इस तरह की शब्‍दावली से आपको अचरज हो रहा होगा, लेकिन फिरोजशाह कोटला पर ऐसा ही कुछ हुआ। मंगूस उस नये बल्‍ले का नाम है जिसे थामा है आस्‍ट्रेलिया के पूर्व सलामी बल्‍लेबाज मैथ्‍यू हेडन ने। हेडन के इस बल्‍ले का हैंडल सामान्‍य बल्‍ले से 43 फीसदी बढा है तो चौडाई 33 फीसदी कम है। डेल्‍ही के खिलाफ इस मुकाबले की शुरूआत उन्‍होंने सामान्‍य बल्‍ले से की थी। शुरूआत में उन्‍होंने आठ गेंदों पर 15 रन बनाए थे। इसके बाद जब उन्‍होंने मंगूस थामा तो चौके और छक्‍के की छडी लगा दी। 42 गेंदों पर नौ चौंके और सात छक्‍कों की मदद से उन्‍होंने 93 रनों का स्‍कोर खडा कर दिया।

डेल्‍ही के 186 रनों के लक्ष्‍य का पीछा करने उतरी चेन्‍नई ने पार्थिव पटेल का विकेट जल्‍दी खो दिया। इसके बाद पिछले मैच के हीरो बद्रीनाथ भी सस्‍ते में पेवेलियन लौट आए। हेडन की इस धमाकेदार बल्‍लेबाजी के बाद कप्‍तान सुरेश रैना की 49 रनों की पारी ने चेन्‍नई सुपर किंग्‍स के लिए जीत की इबारत लिख दी।

बचा हुआ काम मुरली विजय ने छह गेंदों पर 14 रन बनाकर कर दिया। नेहरा के चोटिल होने की वजह से नैनिस के अलावा डेल्‍ही की गेंदबाजी में कोई पैनापन नजर नहीं आ रहा है। नैनिस ने अपने चार ओवरों में महज 18 रन देकर एक विकेट हासिल किया। नैनिस की कसावट भरी गेंदबाजी के बावजूद चेन्‍नई के जिस आसानी से लक्ष्‍य हासिल कर लिया, उससे ही अंदाज लगाया जा सकता है कि डेल्‍ही के गेंदबाजों की किस कदर धुनाई हुई।

दरअसल, इस हार के लिए डेल्‍ही के बल्‍लेबाज भी कम जिम्‍मेदार नहीं है। सहवाग ने 38 गेंदों पर 74 रनों की पारी खेलकर डेल्‍ही के बल्‍लेबाजों के लिए एक मजबूत प्‍लेटफार्म तैयार किया था, लेकिन मिथुन मिन्‍हास को छोड कोई भी बल्‍लेबाज विकेट पर ज्‍यादा समय तक टिक नहीं पाया। सहवाग जब तक विकेट पर थे 200 का स्‍कोर आसान लग रहा था। कार्तिक, एबी डिविलियर्स, वार्नर और दिलशान का सहयोग नहीं मिलने की वजह से डेल्‍ही ने कम से कम बीस रन कम बनाए। ये ही कमी अंत में निर्णायक साबित हुई।

डेल्‍ही डेयरडेविल्‍स और चेन्‍नई सुपर किंग्‍स के बीच मुकाबला दोनों ही टीमों के कप्‍तान की गैरमौजूदगी में खेला जाना था। चोट के चलते डेयरडेविल्‍स को गौतम गंभीर और सुप‍र किंग्‍स को महेन्‍द्र सिंह धोनी के बगैर ही मुकाबले में उतरना पडा। गौतम की गैर मौजूदगी डेल्‍ही के लिए उतनी गंभीर नहीं थी जितनी धोनी की कमी चेन्‍नई को खलने की उम्‍मीद थी। वह धोनी ही थे जिसकी बदौलत चेन्‍नई ने नाइटराइडर्स को शिकस्‍त दी थी। ऐसे में फार्म में चल रहे धोनी के नहीं होने से डेल्‍ही का पलडा भारी नजर आ रहा था। हालांकि नतीजों ने डेयरडेविल्‍स को‍ निराश कर दिया होगा। लगातार दो हार के बाद डेयरडेविल्‍स को अब अगले मुकाबले में मजबूत डेक्‍कन चार्जर्स के खिलाफ उतरना है। कमजोर गेंदबाजी वाली डेल्‍ही की बल्‍लेबाजी यदि नहीं चमकी तो फिर टीम को मुंह की खानी पड सकती है।

मी मुंबईकर

मुंबई में दशकों पहले दक्षिण भारतीयों को लेकर विवाद हुआ था अब उसी मसले को लेकर उत्‍तर भारतीय निशाने पर है। ये बवाल थमने की बजाए दिनों दिनों बढता ही जा रहा है। सियासती दांव पेंच ने शह और मात के इस खेल को तेज कर दिया है। ऐसे में एक मुंबईकर, एक दक्षिण भारतीय और एक उत्‍तर भारतीय ने मिलकर न केवल करोडों मुंबईवासियों को बल्कि देशवासियों को अपना दीवाना बना लिया है। बात बस इतनी है कि ये मैदान सियासती न होकर क्रिकेट का है। 

झारखंड के सौरभ तिवारी, हैदराबाद के अंबाटी रायडू और मुंबई के सचिन तेंदुलकर, अनुभव और सफलता के पैमाने पर इन तीनों का कोई मेल नहीं है। इन तीनों को क्रिकेट के अलावा कोई और बात फिलहाल जोडती है तो वह है उनकी टीम मुंबई इंडियंस।
ये तिकडी आईपीएल में मुंबई की जीत का फार्मूला बन गई है। मुंबई के ब्रेबोर्न स्‍टेडियम के बाद दिल्‍ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को जब इस तिकडी ने मुंबई इंडियंस को आईपीएल में अपनी लगातार दूसरी जीत दिलाई हो। खासतौर पर झारखंड के 20 साल के सौरभ तिवारी का बल्‍ला इन दो मुकाबलों में जमकर बोला। पहले मुकाबले में अर्धशतक जमाने के बाद उन्‍हें सचिन से कई गुर सीखने को मिलें। इस शिष्‍य ने डेल्‍ही डेयरडेविल्‍स के खिलाफ अपने गुरू को निराश नहीं किया। चौके और छक्‍के की झडी लगाते हुए इस बल्‍लेबाज ने पहले सचिन और फिर अंबाटी रायडू के साथ साझेदारी कर आईपीएल के इतिहास में मुंबई का सर्वाधिक स्‍कोर खडा कर दिया। तिवारी के साथ साथ रायडू ने भी कलात्‍मता और आक्रमक खेल की बेहतरीन झलक पेश की।


सचिन के तो क्‍या कहनें। जैसे जैसे उम्र बढती जा रही है उनके खेल में ताजगी बढती जा रही है। किसी भी साजिंदे को संगत के पहले सुर से तालमेल बैठाना पडता है, लेकिन सचिन का बल्‍ला तो पहली ही गेंद से सुर में बहने लगता है। फिरोजशाह कोटला पर भी ऐसा ही हुआ। नैनिस की पहली गेंद पर ही उन्‍होंने चौका जमाकर अपनी बल्‍लेबाजी की महफिल सजा दी। दिल्‍ली के दर्शक आए तो अपनी टीम की हौंसला अफजाई के लिए थे, लेकिन वह भी इस महफिल का‍ हिस्‍सा बनकर सचिन के हर शॉट्स पर कसींदे गढते नजर आए।


सचिन के इस पारी की ये खासियत रहीं कि वह पहली ही गेंद के डेल्‍ही डेयरडेविल्‍स के गेंदबाजों पर हावी हो गए। उनके बल्‍ले से निकले सारे शॉट्स कलात्‍मता ओढे हुए थे। 33 गेंदों पर 66 रनों की इस पारी में एक भी सिक्‍स नहीं था। सब कुछ टाइमिंग का कमाल था। डेयरडेविल्‍स के सारे गेंदबाजों के मुकाबले नैनिस सबसे किफायती साबित हुए। उन्‍होंने 4 ओवरों में 35 रन दिए, लेकिन वह विकेट के लिए तरस गए।
नैनिस की चाहत तो थी कि उन्‍हें मुकाबले का सबसे बडा विकेट मिले यानि की सचिन तेंदुलकर को आउट करने का मौका मिले, लेकिन सचिन ने उन्‍हें कोई मौका नहीं दिया। क्रिकेट के पटल पर तेजी से अपनी धाक जमाते जा रहा ये गेंदबाज भी मास्‍टर ब्‍लास्‍टर के सामने बेबस नजर आया।

दिल्‍ली में मुकाबला होने से घरेलू दर्शक इस उम्‍मीद में आए थे कि उनकी टीम आईपीएल में अपने जीत की लय को बरकरार रखेगी। 219 रनों का लक्ष्‍य बडा था, लेकिन सहवाग के होते किसी भी लक्ष्‍य को मुश्किल नहीं कहां जा सकता। पहले तीन ओवरों में 33 रनों का स्‍कोर खडा करने के बाद सहवाग और दिलशान की जोडी खतरनाक नजर आ रही थी। ऐसे में राजस्‍थान रॉयल्‍स के यूसुफ पठान की याद ताजा हो गई, जिन्‍होंने ताबडतोड बल्‍लेबाजी कर मुंबई के खिलाफ अपनी टीम को जीत के बेहद करीब ला दिया था। यहीं पर क्रिकेट का असली रंग देखने को मिला। दिलशान आउट क्‍या हुए मैच का मिजाज ही बदल गया। दिलशान के बाद सहवाग भी पेवेलियन लौट गए। इसके बाद तो पोलार्ड, ब्रावो, जयसूर्या और हरभजन की गेंदबाजी के आगे डेयरडेविल्‍स के मध्‍यक्रम ने घुटने टेक दिए।

डेयरडेविल्‍स के लिए ये मुकाबला दोहरा आघात साबित हुआ। टीम को करारी‍‍ शिकस्‍त तो झेलनी ही पडी, मांसपेशियों में खिंचाव के चलते टीम के कप्‍तान गौतम गंभीर को भी मैदान से दूर कर दिया है। ऐसे में खिताब की तगडी दावेदार मानी जा रही डेयरडेविल्‍स की टीम अचानक से कमजोर नजर दिख रही है। खासतौर पर यदि सहवाग का बल्‍ला नहीं चलता है तो मध्‍यक्रम में बिखराव आ जाता है। हालांकि अभी आईपीएल शुरूआती दौर में है, लेकिन यहां हर जीत और हार से मायने बदल जाते है। खासतौर पर जीत की आदत को बरकरार नहीं रखा गया तो यहां जीत के सिलसिले के बनिस्‍बत हार का सिलसिला लंबा चलता है।

Sunday, March 14, 2010

बंगाल टाईगर का दूसरा शिकार

पहले गत विजेता डेक्‍कन चार्जर्स और अब गत उपविजेता बेंगलुरू रॉयल चेलेंजर्स, शाहरूख की टीम ने पहले दो मुकाबले में दो बडे शिकार किए है। यदि आप कोलकाता नाइट राइडर्स के फैन है तो ये नतीजे आपकों बेहद उत्‍साहित करने वाले नजर आ रहे होंगे, लेकिन टीम को संभावित विजेता देखने के पहले एक बात जरूर जान लीजिए। आईपीएल3 में जिन दो टीमों को कोलकाता की टीम ने शिकस्‍त दी, आईपीएल1 में भी अपने अभियान की शुरूआत कोलकाता ने इन्‍हीं दो टीमों के खिलाफ जीत दर्ज शुरू की थी। इसके बाद आईपीएल1 में कोलकाता नाइटराइडर्स की क्‍या गत हुई थी ये किसी से छुपी नहीं है। बहरहाल, इस बार कोलकाता टीम का कॉम्बिनेशन स्‍थानीय खिलाडियों के दमदार खेल की वजह से बेहतर नजर आ रहा है।
बहरहाल, आज के मैच की बात करें तो बेंगलुरू के लिए द्रविड को निचले क्रम पर बल्‍लेबाजी करने के लिए भेजना आत्‍मघाती साबित हुआ। आईपीएल1 के हीरो श्रीवत्‍स गोस्‍वामी और मनीष वर्मा बिलकुल भी रंग में नजर नहीं आए। दोनों ईशांत शर्मा और चार्ल्‍स लेंगवेल्‍ट के साथ साथ मैथ्‍यूज की गेंदों के सामने असहाय नजर आए। इसके साथ ही एक के बाद एक विकेट गिरने से बेंगलुरू की टीम पर जो शुरूआत दबाव आया उससे टीम बिखर गई। पूरे बीस ओवर टीम इस दबाव से बाहर ही निकल नहीं दिखी।

वेटरन जैक कैलिस बेहतरीन टच में नजर आए, अफ्रीका से लंबी हवाई यात्रा की थकान का उन्‍होंने खुद की बल्‍लेबाजी पर असर पडने दिया तो वहीं द्रविड ने भी कलात्‍मक खेल दिखाया। उन्‍होंने जता दिया कि सहीं क्रिकेटिंग शॉट्स लगाकर भी तेजी से रन बटोरे जा सकते है। द्रविड को यदि वन डाउन या उसके बाद बल्‍लेबाजी के लिए भेजा जाता तो हो सकता था कि बेंगलुरू का स्‍कोर कार्ड कुछ और कहानी कहता। वन डे और क्रिकेट के इस नये फार्मेट को लेकर द्रविड के खेल पर हर वक्‍त सवाल उठते रहे है। उन्‍होंने अफ्रीका में आईपीएल2 में खुद को साबित किया है तो इस बार भी उनका बल्‍ला आलोचकों को जवाब देने के मूड में है। ऐसे में यदि उन्‍हें बल्‍लेबाजी में उपर भेजा जाएगा तो बेंगलुरू को एक मजबूत शुरूआत मिल सकती है।

वहीं बात कोलकाता की करें तो टीम ने इस मुकाबले से केवल दो अंक ही नहीं काफी कुछ और भी हासिल किया है। युवा मनोज तिवारी के पहले मुकाबले में जीरो पर आउट होने के बाद भी जो विश्‍वास टीम ने उन पर जताया ये आने वाले मुका‍बलों में टीम के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। मनोज ने डेल स्‍टेन और कैलिस जैसे दुनिया के बेहतरीन गेंदबाजों को बौना साबित कर दिया। ब्रेड हॉज हर बार की तरह कम्‍पोजस्‍ड नजर आए। तिवारी के साथ उनकी शतकीय साझेदारी ने कोलकाता की आसान जीत की राह प्रशस्‍त की।
गांगुली के लिए अच्‍छा रहा कि उन्‍हें विकेट पर कुछ समय बिताने का मौका मिला। हालांकि वे अब भी पूरी तरह टच में नजर नहीं आ रहे है। डेल स्‍टेन को लगाए एक छक्‍के को छोड दिया जाए तो गांगुली जुझते हुए नजर आए। कुछ ऐसा ही हाल चेतेश्‍वर पुजारा का भी रहा। नये बल्‍लेबाज को इस विकेट पर बैटिंग करना आसान नहीं था। ये ही वजह है कि कोलकाता को जो शुरूआत मिली उससे उसकी राह आसान हो गई। कुंबले सोच रहे होंगे कि यदि 150 या उसके उपर का स्‍कोर खडा किया जाता तो शायद दो अंक कोलकाता की बजाए उनकी टीम के खाते में होते।
रविवार को एक और हिरोईन को निराश होना पडा। शिल्‍पा शेट्टी और प्रिटी जिंटा के बाद अब कैटरीना कैफ की बारी थी। कैफ की मौजूदगी भी रॉयल्‍स में जोश भर नहीं पाई। हालांकि कोलकाता की जीत से चुलबुली जूही चावला की मुस्‍कान और चौडी जरूर हो गई होगी।

इट्स नॉट प्रिटी वीक एंड

शनिवार की शाम बॉलीवुड की दो अदाकारों के लिए खुशनुमा वीक एंड लेकर नहीं आई। यूसुफ पठान के तूफानी शतक के बावजूद शिल्‍पा शेट्टी की टीम मुंबई इंडियंस की चुनौती को पार नहीं कर पाई तो वहीं इरफान पठान के अंतिम क्षणों में छोडे गए आसान कैच ने प्रिटी जिंटा को भी मुस्‍कुराने का मौका नहीं दिया। हर बार की हॉट फेवरेट मानी जाने वाली प्रिटी की टीम की शुरूआत इस बार भी बेहद कमजोर रही है। चोट से जुझ रही ये टीम अपने पहले मुकाबले में बिखरी बिखरी नजर आई।

आईपीएल का ये तीसरा मुकाबला था और तीनों ही मुकाबले में नतीजा अंतिम ओवर में तय हुआ है। इस मुकाबले में भी भले ही वहीं कहानी दोहराई गई हो, लेकिन ये कभी नहीं लगा की डेयरडेविल्‍स ये मुकाबल हार सकते है। श्रीसंथ के पहले ओवर को छोड दिया जाए तो किंग्‍स इलेवन कभी भी मुकाबले में दिखी ही नहीं। डेयरडेविल्‍स के गेंदबाजों ने विकेट हासिल किए इसके बजाए ये कहना बेहतर होगा कि किंग्‍स इलेवन के बल्‍लेबाज ने अपना विकेट उपहार में भेट करते हुए पेवेलियन लौट रहे थे।

सहवाग और फिर दिलशान के एक ही ओवर में आउट हो जाने के बाद गंभीर का वहीं अंदाज नजर आया जो इन्‍हें इन दिनों मिस्‍टर डिपेंडेबल का ताज दिला रहा है। डेयरडेविल्‍स की पारी पूरी तरह उनके ईद गिर्द संवरती रहीं। गौतम ने गेंदबाजों को कोई मौका नहीं दिया। बेहद संयमित और कप्‍तानी भरी पारी खेलते हुए गंभीर ने टीम को जीत की दहलीज पर ला खडा कर दिया था। गंभीर जब आउट हुए तब डेयरडेविल्‍स की जीत महज औपचारिकता भर रह गई थी।

किंग्‍स इलेवन के लिए ये मुकाबला एक बडा झटका है। टीम के सभी खिलाडियों को साथ बैठकर सोचना होगा कि घरेलू मैदान पर टीम की ऐसी बुरी गत क्‍यों हुई। श्रीसंथ की गेंदबाजी और बोपारा का अर्धशतक छोड किंग्‍स इलेवन को इस मुकाबले से कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। उल्‍टा जिस तरह बल्‍लेबाजों ने अपने विकेट थ्रो किए उससे टीम के आत्‍मविश्‍वास को जरूर बडा झटका लग सकता है।

मुकाबले के पहले दिनेश कार्तिक ने टीम की गेंदबाजी को लेकर चिंता जताई थी। आज के मुकाबले में टीम के गेंदबाजों में कुछ खास कमी नहीं दिखी, लेकिन टीम का मजबूत पक्ष उसकी बल्‍लेबाजी है। मजबूत मध्‍यक्रम के चलते ही दिल्‍ली इस मुकाबले को जीत पाई है। डेल्‍ही डेयरडेविल्‍स की बल्‍लेबाजी में गहराई है, ऐसे में ये टीम इस बार भी किताब की मजबूत दावेदार नजर आ रही है।

किंग्‍स इलेवन को ब्रेट ली की कमी जरूर खल रही है, लेकिन वो अगले दस दिनों तक चोट की वजह से टीम में शामिल नहीं हो पाएंगे। ऐसे में यदि किंग्‍स इलेवन को आईपीएल3 में लंबा सफर तय करना है तो उसे 16 मार्च को गत उपविजेता रॉयल चैलेंजर्स बेगलुरू के खिलाफ धमाकेदार वापसी करनी होगी। वर्ना पिछली बार की तरह टीम एक बार पिछडती ही गई तो फिर उसे उपर उठने का मौका नहीं मिलेगा।

इस मुकाबले की एक खास बात और थी। दोनों ही टीमें नये कप्‍तान के नेतृत्‍व में मुकाबले में उतरी थी। दोनों ही टीमों के पूर्व कप्‍तान युवराज सिंह और वीरेन्‍द्र सहवाग हालांकि की टीम का हिस्‍सा थे, लेकिन दोनों का ही बल्‍ला नहीं चल पाया। कप्‍तानी और बल्‍लेबाजी में गंभीर अपने विरोधी संगकारा से बेहतर दिखें और ये ही अंत में निर्णायक साबित हुआ।

Saturday, March 13, 2010

बोले तो मुंबई...........

42 चौकें और 17 छक्‍के, टी20 मुकाबले की इससे बेहतर दावत और नहीं हो सकती। बशर्ते आप विनिंग टीम में हो। राजस्‍थान रॉयल्‍स के प्रशंसकों और खिलाडियों के लिए रनों की ये दावत जीत का स्‍वाद नहीं चखा सकी। दिल की धडकन को रोक देने वाला मुकाबला जो मुंबईया मसाला फिल्‍मों से कहीं ज्‍यादा उतार चढाव भरा रहा, अंत में मुंबईया टीम के हिस्‍से में ही जीत देकर गया। इस हार के लिए राजस्‍थान रॉयल्‍स के गेंदबाजों के अलावा कोई और दोषी नहीं है। अब उन्‍हें समझ उन नौ गेंदों की कीमत समझ में आ रही होगी। उन नौ वाइड गेंदों की जिसने मुंबई को न केवल नौ रन दिए बल्कि इतनी ही अतिरिक्‍त गेंदों का फायदा भी उसके बल्‍लेबाजों को मिला।

राजस्‍थान रॉयल्‍स अंत तक मुकाबले में बनी रहीं तो केवल यूसुफ पठान की बदौलत। यूसुफ ने शुरूआती मुकाबले में ही वह शो दिखाया है जिसकी उम्‍मीद उनसे की जा रही थी। पॉवर और प्‍लेसमेंट से भरी उनकी पारी ने राजस्‍थान रॉयल्‍स को जीत की दहलीज तक पहुंचा ही दिया था। वहीं डोंगरा और झुनझुनवाला ने भी रॉयल्‍स की उम्‍मीदों को कुछ बेहतरीन शॉट्स खेलकर अंतिम ओवर तक जिंदा रखा।

मुकाबले के बाद वार्न अपने तीन मुख्‍य विदेशी साथियों के प्रदर्शन से निराश होंगे। मस्‍करेनहास, स्मिथ ने बल्‍ले से वो कमाल नहीं दिखाया जो यूसुफ की कोशिशों को जीत में बदल सकता था। वहीं शान टैट की धार को पहले सचिन ने फिर रायडू और तिवारी ने कुंद कर दिया। ऐसे में यदि यूसुफ आईपीएल के इतिहास का सबसे तेज शतक नहीं लगाते तो टीम की बुरी गत होती।

मुंबई इंडियंस के लिए ये जीत सही मायनों में टीम के संयुक्‍त प्रयासों की जीत है। सचिन और जयसूर्या ने तेज शुरूआत दी, लेकिन वे टीम को बडी शुरूआत नहीं दे सकें। ऐसे में मुंबई का मध्‍यक्रम जो अनुभवहीन माना जा रहा था उसके लडखडाने की आशंका थी, लेकिन रायडू और तिवारी ने कमाल कर दिया। उन्‍होंने बता दिया कि आईपीएल के जरिए उन्‍हें खुद को दुनिया के सामने साबित करने का जो मौका मिला है वे उसे किसी भी कीमत पर छोडने वाली नहीं है। वहीं तमिलनाडू के सतीश ने दो महत्‍वपूर्ण रनआउट कर खुद के इरादे भी साफ कर दिए। असनोदकर को उन्‍होंने कोई मौका नहीं दिया तो यूसुफ उनकी सुझबुझ के सामने अपना विकेट गंवा बैठै। और स्मिथ के कॉट एंड बोल्‍ड के क्‍या कहने।
आखिर में बात सचिन की। मास्‍टर ब्‍लास्‍टर पूरे मुकाबले में बिलकुल भी पैनिक नजर नहीं आए। उनके गेंदबाजों की जब यूसुफ धुलाई कर रहे थे, तब भी वह खिलाडियों का हौंसला अफजाई करते नजर आए। आखिर तक वो मिस्‍टर कूल बने रहें। हालांकि हरभजन सिंह का ना होना उनके लिए सबसे बडे हथियार के बगैर जंग के मैदान में उतरने जैसे था, लेकिन सचिन ने नये खिलाडियों को प्रोत्‍साहित किया और मुंबई को पहले ही मुकाबले में दो अंक दिला दिए। इस मुकाबले की इससे अलावा दूसरी सबसे बडी खासियत ये रही कि इसमें भारतीय खिलाडियों ने रॉक किया, जो इस लीग इंडियन प्रीमियर लीग कहलाने को सार्थक कर रहा है।

ये मुकाबला बेहद करीबी होगा ओर रनों से भरपूर होगा ऐसी उम्‍मीद सभी लगाए बैठे थे। ऐसे में सचिन की बात याद आ गई जो उन्‍होंने टॉस के समय कहीं थी। सचिन से पूछा गया था कि उनकी नजर में इस विकेट पर कितना स्‍कोर विनिंग टोटल होगा। सचिन का जवाब था, विरोधी टीम से एक रन ज्‍यादा। मुंबई इंडियंस की जीत का अंतर सचिन की इस बात को सच साबित कर गया। उम्‍मीद है सचिन की टीम का ये विनिंग रन यूं ही जारी रहेगा।

माय नेम इज गांगुली, एंड आय एम नॉट ए लूजर।

आईपीएल की इससे बेहतर शुरूआत नहीं हो सकती थी। रोमांच, उतार चढाव और गेंद व बल्‍ले का हर पल संघर्ष, आईपीएल की कुछ ऐसी ही पहचान पहले दो संस्‍करणों में बनी है। आईपीएल ने भारत की सरजमी पर लौटने पर वहीं रोमांच कायम रखा है। उद्घाटन मुकाबले में अंतिम ओवर फेंके जाने तक ये तय नहीं था कि जीतने वाली टीम कौन सी होगी। तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा की स्‍लो गेंदों ने कमाल कर दिया और डेक्‍कन चार्जर्स के अंतिम ओवर में जीतने की जो कुछ भी बची खुची उम्‍मीदें थी, उसे खत्‍म कर दिया।

दोनों पारियों में पहले दो ओवर डेक्‍कन चार्जर्स के नाम रहें। चाहे लगातार विकेट लेकर नाइटराइडर्स को बैकफुट पर डालने वाली गेंदबाजी हो या फिर पहले दस ओवर में फ्रंटफुट पर आकर बल्‍लेबाजी करने की। नाइटराइडर्स खुशकिस्‍मत रहीं कि खेल के जिस हिस्‍से में उसका पलडा भारी रहना चाहिए, वहीं उसके बल्‍लेबाजों और गेंदबाजों ने कमाल दिखाया।

कुल मिलाकर इस मुकाबले में दोनों टीमों ने जमकर गलतियां की। अंत में जीत उस टीम को हासिल हुई, जिसके गलतियों का अनुपात कम रहा। नाइटराइडर्स के लिए मुकाबले की शुरूआत किसी नाइटमेयर से कम नहीं थी। टीम ने दो विकेट उस वक्‍त गंवा दिए थे, जब स्‍कोर बोर्ड पर रनों का खाता शून्‍य दर्शा रहा था। उस वक्‍त लग रहा था कि शाहरूख की टीम एक बार फिर पुरानी राहों पर चल पडी है। ऐसे में टीम ने स्‍कोर अच्‍छा खासा खडा कर लिया तो फील्‍डरों ने टीम को नीचा दिखाने में कोई कमी नहीं छोडी। गिलक्रिस्‍ट को शुरूआत में दो रन पर एक मुश्किल जीवनदान मिला तो इसके बाद भी कैच टपकाने का सिलसिला और कुछ मौके पर रन आउट छोडने का सिलसिला बदस्‍तूर जारी रहा। वो तो भला हो डेक्‍कन के बल्‍लेबाजों को जो एक के बाद एक अपने विकेट थ्रो करते चले गए। गिलक्रिस्‍ट, लक्ष्‍मण, गिब्‍स, रोहित और सायमंडस सभी खराब शॉट्स खेलकर आउट हुए। गेंदबाजों का कम इन बल्‍लेबाजों का खुद को आउट कराने में ज्‍यादा योगदान था।
आईपीएल के इस शुरूआती मुकाबले ने भारतीय क्रिकेट को एक बार फिर आत्‍मचिंतन का मौका दे दिया है। पिछले बार की तरह इस बार भी आईपीएल, इंडियन प्रीमियर लीग की बजाए इंटरनेशनल प्रीमियर लीग बनता नजर आ रहा है। मुकाबले में तीन अर्धशतक लगे तीनों विदेशी खिलाडियों के नाम पर रहें। गिलक्रिस्‍ट, मैथ्‍यूज और ओवेस शाह ने कमाल की बल्‍लेबाजी की। गेंदबाजी में भी शुरूआत में चामिंडा वास की गेंदों ने ही जमकर कहर बरपाया। ईशांत शर्मा और लक्ष्‍मीरतन शुक्‍ला के अलावा मुरली कार्तिक और प्रज्ञान ओझा ने ही भारतीय खेमें की थोडी बहुत लाज बचाने का काम किया है। लेकिन लेंगवेल्‍ट, मैथ्‍यूज ने गेंदबाजी में भी बेहतर कमाल दिखाया है।
दो खिलाडियों ने इस मुकाबले में सबसे ज्‍यादा निराश किया। रोहित शर्मा ने पिछले आईपीएल में मैच विनर के रूप में अपनी पहचान कायम की थी। आज उनके पास फिर खुद को इस भूमिका में सफल होते देखने का मौका था, लेकिन उन्‍होंने जो शॉट सिलेक्‍शन किया उसके लिए उन्‍हें अफसोस हो रहा होगा। वहीं टी सुमन ने पिछले आईपीएल में लंबे शॉट्स लगाकर टीम का भरोसा जीता था। ऐसे में जब तक ये दोनों क्रीज पर थे, चार्जर्स का अपर हेंड था। बहरहाल, दादा आज की रात चैन से सो पाएंगे। उनका बल्‍ला नहीं चला इसका अफसोस साफतौर पर बचे हुए उन्‍नीस ओवरों में देखने को मिल रहा है था जब वह डगआउट में बैठे हुए थे। हालांकि, उन्‍होंने लक्ष्‍मीरतन शुक्‍ला को लेकर जो जु‍आं खेला वहीं आखिर में मैच विनिंग साबित हुआ। दादा गांगुली की ये ही आक्रमता उनके क्रिकेटिंग कैरियर की पहचान रहीं है और वो डीवाय पाटिल स्‍टेडियम पर कायम दिखी। हालांकि पहला मुकाबला खेल रहें अनिरूद्ध सिंह ने जरूर थोडी चमक बिखेरी, लेकिन वह भी गिलक्रिस्‍ट की उम्‍मीदों पर पूरी तरह खरे नहीं उतरें।
मुकाबले के पहले ही इस बात का जिक्र किया था कि डेक्‍कन चार्जर्स की मजबूती उसकी बल्‍लेबाजी है तो कोलकाता की जीत का दारोमदार गेंदबाजों पर रहेगा। हुआ वहीं, चार्जर्स के बल्‍लेबाजों पर कोलकाता के गेंदबाज भारी पडे। इस मुका‍बले के बाद पूर्व भारतीय कप्‍तान ये कहलाने का हक जरूर रखता है, माय नेम इज गांगुली, एंड आय एम नॉट ए लूजर।

Friday, March 12, 2010

क्रिकेट दिल से

भारत विश्‍व कप हॉकी के अंतिम चार में पहुंचने में नाकाम रहा है। टीम आज सातवे और आठवे स्‍थान के लिए अर्जटीना से भिडेगी। शायद इसके साथ ही हॉकी को फिर से दिल देने वाले देश का हॉकी प्रेम भी खत्‍म हो जाएगा। भारत का ये मुकाबला खत्‍म होते होते देश एक बार फिर उसी खेल के लिए धडकने लगेगा, जिसमें वर्ल्‍ड कप फतह किए हमें 27 साल बीत चुके है। आईपीएल का तीसरा संस्‍करण आज से शुरू होने जा रहा है और अगले 45 दिनों तक देश में केवल अब एक ही खेल की चर्चा होगी। एक साल के अंतराल के बाद आईपीएल एक बार फिर भारत लौटा आया है।

खैर,क्रिकेट की दुनिया की सबसे चर्चित और बेशुमार दौलत वाली लीग का आगाज आज शाम को हो जाएगा। पहले मुकाबले में सबसे लो‍कप्रिय टीमों में शुमार लेकिन पहले दोनों संस्‍करणों में फिसड्डी साबित हुई कोलकाता नाइटराइडर्स के सामने गत विजेता डेक्‍क्‍न चार्जर्स की चुनौती होगी। सौरव गांगुली की अगुआई वाली इस टीम को शुरूआती मुकाबलों में ब्रैंडन मॅक्‍कुलम और क्रिस गेल जैसे सितारा खिलाडियों की सेवाएं नहीं मिलेगी। ऐसे में उनके लिए विरोधियों से पार पाने के लिए अपने सबसे विध्‍वंसक हथियारों के बगैर ही मैदान में उतरना पडेगा।

विवादों से घिरे गांगुली को इस बार फ्री हैंड मिला हुआ है, ऐसे में शाहरूख खान के साथ साथ दादा की व्‍यक्तिगत प्रतिष्‍ठा भी दांव पर लगी हुई है। सवाल ये ही उठ खडा हुआ है कि क्‍या गांगुली इस भरोसे को कायम रख पाएंगे। उन्‍हें नये खिलाडियों और अनुभव के मेलजोल का वही फार्मूला फिर से सही तरीके से इस्‍तेमाल करना होगा जिसकी बदौलत वह भारत को शीर्ष स्‍थान पर ले गए थे। डेक्‍कन के सामने मुकाबले में ब्रेड हॉज और ओवेश शाह के अलावा ऐसा कोई बडा विदेशी बल्‍लेबाज नहीं है जिस पर गांगुली भरोसा कर सकें। ऐसे में बंगाल टाइगर के बल्‍ले को भी दहाडना ही होगा, यदि वे शुरूआत से ही चार्ज होना चाहते है। गेंदबाजी में ईशांत शर्मा के फार्म में वापसी टीम के लिए राहत की बात हो सकती है। चार्ल्‍स लेंगवेल्‍ट, एजेंलो मैथ्‍यूज और अजीत आगरकर की मौजूदगी से टीम का गेंदबाजी पक्ष काफी मजबूत नजर आ रहा है। वहीं बाद में शेन बांड के शामिल होने और वसीम अकरम जैसे बॉलिंग कोच से राइडर्स का पेस अटैक फिलहाल मारक नजर आ रहा है। बल्‍लेबाजों ने अपना कमाल दिखा दिया तो ये टीम आईपीएल में लंबा सफर तय कर सकती है।

वहीं, डेक्‍कन चार्जर्स जब आज मुंबई के डीवाय पाटिल स्‍टेडियम पर उतरेगी तो साथ में उम्‍मीदों का काफी बोझ भी टीम के कंधों पर होगा। गत विजेता चार्जर्स पर ये दबाव होगा अपने ताज को बचाने का। ऐसे में एडम गि‍लक्रिस्‍ट के नेतृत्‍व वाली इस टीम को हर समय इस अतिरिक्‍त दबाव से दो चार होना पडेगा। बल्‍लेबाजी के लिहाज से चार्जर्स बेहद मजबूत है। कप्‍तान के अलावा एंड्रयू सायमंडस, रोहित शर्मा, हर्शल गिब्‍स के साथ पिछले आईपीएल की खोज टी सुमन और वेणुगोपाल राव जैसे अनुभवी बल्‍लेबाज के चलते टीम की बल्‍लेबाजी में काफी गहराई है। खासतौर पर उपरी क्रम का कोई भी एक बल्‍लेबाज भी चमका तो वह विरोधी टीम का काम तमाम करने का दमखम रखता है। ऐसे में बल्‍लेबाजी को लेकर गिलक्रिस्‍ट जितने बेफ्रिक नजर आ रहे है, गेंदबाजी उनके लिए उतनी ही बडी चिंता की वजह है। टीम को स्‍ट्राइक गेंदबाज वेस्‍टइंडीज के केमोर रोश की सेवाएं पहले दो मुकाबलों में नहीं मिल पाएगी। आईपीएल में सर्वाधिक विकेट लेने वालों में शामिल आर पी सिंह भारतीय सरजमी पर अब तक ज्‍यादा मारक साबित होते नहीं दिखे है। वहीं चामिंडा वास के लंबे समय से क्रिकेट से बाहर रहने की वजह से उन्‍हें जंग लग सकता है। प्रज्ञान ओझा ही जो डेक्‍कन की साख को बचाने का काम कर सकते है। डेक्‍कन के बल्‍लेबाजों का असफल होना उसके लिए आत्‍मघाती साबित हो सकता है। हालांकि भोपाल के मोहनीश मिश्रा इस टीम के लिए छुपे रूस्‍तम साबित हो सकते है। कुछ इसी तरह जिस तरह पिछले साल राजस्‍थान रॉयल्‍स के लिए इंदौर के नमन ओझा ने कमाल दिखाया था।

नाइटराइडर्स

आईपीएल3 के शुरूआती मुकाबले में गांगुली की टीम का पलडा भारी नजर आ रहा है। ये टीम इस मुकाबले को जीतने की क्षमता रखती है। नाइट राइडर्स पिछले साल भले ही अंतिम स्‍थान पर रहे हो, लेकिन उसके लिए विरोधियों की बजाए उनकी अपनी खामियां ज्‍यादा जिम्‍मेदार थी। ऐसे में गांगुली यदि टीम का मोराल बढाने में कामयाब रहे तो ये टीम इस बार पहले चार में नजर आ सकती है।

हॉकी

भारतीय हॉकी टीम के लिए ढेरों शुभकामनाएं। ये टीम केवल मुकाबला हारी है, लेकिन अपने खेल से इस टीम ने दिखा दिया है कि वह बहुत आगे तक जा सकती है। यदि छोटी छोटी गलतियां ये टीम नहीं करती तो सेमीफायनल बर्थ पक्‍की थी। कम ऑन इंडिया, यू केन डू इट, कॉमनवेल्‍थ में गोल्‍ड पक्‍का है, लगे रहों। करोडों की भले ही ना हो लाखों लोगों की दुआएं अब भी आपके साथ में है। हम नहीं भूल सकते है जब ध्‍यानचंद स्‍टेडियम पर जग गण मन बजता है तो किस तरह आप सुर से सुर मिला रहे थे। आपके इस कमिटमेंट को सलाम।