Saturday, March 27, 2010
राजस्थान का हल्ला बोल
धोनी बिन सब सुन
ओवर ऑफ डेथ

सचिन आला रे
Friday, March 26, 2010
यहां के हम सिकंदर
सचिन इस वक्त बेहतरीन टच में नजर आ रहे है। गेंदबाजों के लिए उनका विकेट लेना हमेशा से ही एक चुनौती रहा है लेकिन 2010 में तो उनका डिफेंस अभेद नजर आ रहा है। लेकिन हर दौर में सचिन कुछ एक विशेष शॉट्स लगाने में अपना विकेट गंवाते आए है। पहले वह शफल होकर मिड विकेट पर शॉट लगाने में कभी एलबीडब्ल्यू तो कभी बोल्ड होते रहे है। ऐसा ही एक दौर कव्हर ड्राईव्ह को लेकर भी आया था। अब सचिन पैडल शॉट्स खेलने के फेर में लगातार अपना विकेट गंवा रहे है। इस शॉट्स को सचिन अपने ही अंदाज में खेलते है। शेन वॉर्न की लेग स्टंप के बाहर की गेंदों का मुकाबला करने के लिए सचिन ने ये शॉट अपनाया था। अब ये ही शॉट्स सचिन के लिए आत्मघाती साबित हो रहा है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरिज में शतक जमाने के बाद इसी तरह का शॉट्स खेलते हुए बोल्ड हुए थे। आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मैस्करेनस की गेंद पर इसी शॉट्स को खेलते हुए वे एलबीडब्ल्यू हुए तो विनय कुमार ने उन्हें बोल्ड कर दिया।
इस जीत के बाद बेंगलुरू का आत्मविश्वास सातवें आसमां पर है। बल्लेबाजी और गेंदबाजी का परफैक्ट काम्बिनेशन इस वक्त टीम को एक के बाद एक जीत दिला रहा है। कैलिस, पांडे और उत्थपा जबर्दस्त फार्म में है। गेंदबाजी में कप्तान अनिल कुंबले पर उम्र और संन्यास बिलकुल हावी नहीं है बल्कि ये गेंदबाज तो बल्लेबाजों पर हावी हो रहा है। कैलिस गेंद से भी कमाल दिखा रहे है तो विनय कुमार, डेल स्टेन और प्रवीण कुमार भी किसी से कम नहीं साबित हो रहे है। ऐसे में टीम के पास जीत का पूरा पैकेज मौजूद है। तो क्या माल्या की टीम इस बार खिताब हासिल कर के ही रहेगी। देखना दिलचस्प होगा।
रंगीलो राजस्थान
टॉस जीतने के बाद शेन वॉर्न ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लेने में जरा भी देर नहीं लगाई। वॉर्न की नजर में 175 रनों का स्कोर जीतने के लिए काफी है। लम्ब के पहली ही गेंद पर आउट होने के बाद लगा कि आईपीएल के तीसरे संस्करण में राजस्थान के हार का सिलसिला बदस्तूर जारी रहेगा। ऐसे में नमन ओझा का साथ देने आए फैज फजल ने मुकाबले का रूख ही बदल कर रख दिया। यूसुफ पठान के जल्दी आउट होने और मैस्करेनस, ग्रीम स्मिथ जैसे खिलाडियों की गैरमौजूदगी के बावजूद टीम ने 168 रनों का स्कोर खडा कर लिया। इसमें फजल के अलाव अभिषेक झुनझुनवाला और वोग्स की लाजवाब पारी का भी अहम योगदान रहा।
राजस्थान के फ्लाप शो के बीच अभिषेक झुनझुनवाला ने इस आईपीएल में अपनी काबिलियत साबित की है। इस मुकाबले में 36 गेंदों पर 45 रनों की उनकी पारी ने सही मायनों में राजस्थान के जीत की नींव रखीं। वैसे तो क्रिकेट का ये फॉरमेंट जहां बिग हिट की डिमांड करता है वहां अभिषेक गैप्स में खेलकर भी रनों की गति पर असर पडने नहीं देतें। वे कलात्मक शैली का प्रतिनिधित्व करते है। क्षेत्ररक्षण को वे आसानी से भेद लेते है। राजस्थान की टीम हर साल किसी न किसी खिलाडी के अपना हूनर साबित करने के लिए बेहतर मंच साबित हो रहा है। पिछले साल नमन ओझा उभर कर सामने आए थे, इस बार अभिषेक झुनझुनवाला अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे है।
आईपीएल के इस सीजन में ज्यादातर मुकाबलों के नतीजें जीतने वाली टीम की काबिलियत से नहीं बल्कि हारने वाली टीम के गैर जिम्मेदाराना प्रदर्शन से तय हुए है। ये मुकाबला भी कुछ ऐसा ही रहा। 169 रनों का लक्ष्य कोलकाता को मुश्किल नजर नहीं आ रहा था। उसके खिलाडियों की बॉडी लैंग्वेज भी ये बता रही थी कि मुकाबला उनके कब्जे में है। हालांकि पारी की शुरूआत के बाद ओवर दर ओवर कोलकात की चिंता बढती गई और अंतिम ओवरों में तो कोलकाता मुकाबले से बाहर हो गई।
दरअसल, मोटेरा की धीमी विकेट पर सधी हुई शुरूआत के बाद कोलकाता को लगा की अंतिम ओवरों में तेज खेलकर लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा। ये विकेट ओवर दर ओवर धीमा होता गया। गांगुली हो या ओवेस शाह धीमी गेंदों ने उनकी लय को बिगाड कर रख दिया। कोलकाता का शीर्ष क्रम रनों के जुझता रहा। मैथ्यूज और ओवेस शाह जैसे बिग हिटर अधिकांश ओवर पैवेलियन में ही बैठे रहें। जाहिर है कि कोलकाता को रणनीति में बदलाव की जरूरत है, वर्ना पिछले दो आईपीएल की तरह इस बार भी टीम फिसड्डी साबित होगी।
कुछ बात यूसुफ पठान की। गेंदबाजों ने उनकी कमजोरी को पहचान लिया है। शार्ट पिच गेंदों को खेलने में उन्हें दिक्कत आती है। शुरूआती गेंदों पर यदि उन पर नकेल कसी जाए तो वो संयम के साथ विकेट भी खो देते है। हालांकि बल्ले से नाकाम रहने वाला ये पठान गेंदबाजी में कमाल कर गया। पावरप्ले में शेन वॉर्न ने उनसे गेंदबाजी कराई, लेकिन बल्लेबाजी की तरह गेंदबाजी में भी उन्होंने दिलेरी दिखाई। दबाव में आए बगैर उन्होंने कसावट भरी गेंदबाजी की बल्कि दो अहम विकेट भी लिए। झुनझुनवाला की बल्लेबाजी और यूसुफ की गेंदबाजी ही जीत हार का सबसे बडा अंतर अंत में साबित हुई।
Saturday, March 20, 2010
नेवले का क्रिकेट मैदान पर कहर
मी मुंबईकर

Sunday, March 14, 2010
बंगाल टाईगर का दूसरा शिकार
बहरहाल, आज के मैच की बात करें तो बेंगलुरू के लिए द्रविड को निचले क्रम पर बल्लेबाजी करने के लिए भेजना आत्मघाती साबित हुआ। आईपीएल1 के हीरो श्रीवत्स गोस्वामी और मनीष वर्मा बिलकुल भी रंग में नजर नहीं आए। दोनों ईशांत शर्मा और चार्ल्स लेंगवेल्ट के साथ साथ मैथ्यूज की गेंदों के सामने असहाय नजर आए। इसके साथ ही एक के बाद एक विकेट गिरने से बेंगलुरू की टीम पर जो शुरूआत दबाव आया उससे टीम बिखर गई। पूरे बीस ओवर टीम इस दबाव से बाहर ही निकल नहीं दिखी।
वेटरन जैक कैलिस बेहतरीन टच में नजर आए, अफ्रीका से लंबी हवाई यात्रा की थकान का उन्होंने खुद की बल्लेबाजी पर असर पडने दिया तो वहीं द्रविड ने भी कलात्मक खेल दिखाया। उन्होंने जता दिया कि सहीं क्रिकेटिंग शॉट्स लगाकर भी तेजी से रन बटोरे जा सकते है। द्रविड को यदि वन डाउन या उसके बाद बल्लेबाजी के लिए भेजा जाता तो हो सकता था कि बेंगलुरू का स्कोर कार्ड कुछ और कहानी कहता। वन डे और क्रिकेट के इस नये फार्मेट को लेकर द्रविड के खेल पर हर वक्त सवाल उठते रहे है। उन्होंने अफ्रीका में आईपीएल2 में खुद को साबित किया है तो इस बार भी उनका बल्ला आलोचकों को जवाब देने के मूड में है। ऐसे में यदि उन्हें बल्लेबाजी में उपर भेजा जाएगा तो बेंगलुरू को एक मजबूत शुरूआत मिल सकती है।
वहीं बात कोलकाता की करें तो टीम ने इस मुकाबले से केवल दो अंक ही नहीं काफी कुछ और भी हासिल किया है। युवा मनोज तिवारी के पहले मुकाबले में जीरो पर आउट होने के बाद भी जो विश्वास टीम ने उन पर जताया ये आने वाले मुकाबलों में टीम के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। मनोज ने डेल स्टेन और कैलिस जैसे दुनिया के बेहतरीन गेंदबाजों को बौना साबित कर दिया। ब्रेड हॉज हर बार की तरह कम्पोजस्ड नजर आए। तिवारी के साथ उनकी शतकीय साझेदारी ने कोलकाता की आसान जीत की राह प्रशस्त की।
गांगुली के लिए अच्छा रहा कि उन्हें विकेट पर कुछ समय बिताने का मौका मिला। हालांकि वे अब भी पूरी तरह टच में नजर नहीं आ रहे है। डेल स्टेन को लगाए एक छक्के को छोड दिया जाए तो गांगुली जुझते हुए नजर आए। कुछ ऐसा ही हाल चेतेश्वर पुजारा का भी रहा। नये बल्लेबाज को इस विकेट पर बैटिंग करना आसान नहीं था। ये ही वजह है कि कोलकाता को जो शुरूआत मिली उससे उसकी राह आसान हो गई। कुंबले सोच रहे होंगे कि यदि 150 या उसके उपर का स्कोर खडा किया जाता तो शायद दो अंक कोलकाता की बजाए उनकी टीम के खाते में होते।
रविवार को एक और हिरोईन को निराश होना पडा। शिल्पा शेट्टी और प्रिटी जिंटा के बाद अब कैटरीना कैफ की बारी थी। कैफ की मौजूदगी भी रॉयल्स में जोश भर नहीं पाई। हालांकि कोलकाता की जीत से चुलबुली जूही चावला की मुस्कान और चौडी जरूर हो गई होगी।
इट्स नॉट प्रिटी वीक एंड
आईपीएल का ये तीसरा मुकाबला था और तीनों ही मुकाबले में नतीजा अंतिम ओवर में तय हुआ है। इस मुकाबले में भी भले ही वहीं कहानी दोहराई गई हो, लेकिन ये कभी नहीं लगा की डेयरडेविल्स ये मुकाबल हार सकते है। श्रीसंथ के पहले ओवर को छोड दिया जाए तो किंग्स इलेवन कभी भी मुकाबले में दिखी ही नहीं। डेयरडेविल्स के गेंदबाजों ने विकेट हासिल किए इसके बजाए ये कहना बेहतर होगा कि किंग्स इलेवन के बल्लेबाज ने अपना विकेट उपहार में भेट करते हुए पेवेलियन लौट रहे थे।
सहवाग और फिर दिलशान के एक ही ओवर में आउट हो जाने के बाद गंभीर का वहीं अंदाज नजर आया जो इन्हें इन दिनों मिस्टर डिपेंडेबल का ताज दिला रहा है। डेयरडेविल्स की पारी पूरी तरह उनके ईद गिर्द संवरती रहीं। गौतम ने गेंदबाजों को कोई मौका नहीं दिया। बेहद संयमित और कप्तानी भरी पारी खेलते हुए गंभीर ने टीम को जीत की दहलीज पर ला खडा कर दिया था। गंभीर जब आउट हुए तब डेयरडेविल्स की जीत महज औपचारिकता भर रह गई थी।
किंग्स इलेवन के लिए ये मुकाबला एक बडा झटका है। टीम के सभी खिलाडियों को साथ बैठकर सोचना होगा कि घरेलू मैदान पर टीम की ऐसी बुरी गत क्यों हुई। श्रीसंथ की गेंदबाजी और बोपारा का अर्धशतक छोड किंग्स इलेवन को इस मुकाबले से कुछ भी हासिल नहीं हुआ है। उल्टा जिस तरह बल्लेबाजों ने अपने विकेट थ्रो किए उससे टीम के आत्मविश्वास को जरूर बडा झटका लग सकता है।
मुकाबले के पहले दिनेश कार्तिक ने टीम की गेंदबाजी को लेकर चिंता जताई थी। आज के मुकाबले में टीम के गेंदबाजों में कुछ खास कमी नहीं दिखी, लेकिन टीम का मजबूत पक्ष उसकी बल्लेबाजी है। मजबूत मध्यक्रम के चलते ही दिल्ली इस मुकाबले को जीत पाई है। डेल्ही डेयरडेविल्स की बल्लेबाजी में गहराई है, ऐसे में ये टीम इस बार भी किताब की मजबूत दावेदार नजर आ रही है।
किंग्स इलेवन को ब्रेट ली की कमी जरूर खल रही है, लेकिन वो अगले दस दिनों तक चोट की वजह से टीम में शामिल नहीं हो पाएंगे। ऐसे में यदि किंग्स इलेवन को आईपीएल3 में लंबा सफर तय करना है तो उसे 16 मार्च को गत उपविजेता रॉयल चैलेंजर्स बेगलुरू के खिलाफ धमाकेदार वापसी करनी होगी। वर्ना पिछली बार की तरह टीम एक बार पिछडती ही गई तो फिर उसे उपर उठने का मौका नहीं मिलेगा।
इस मुकाबले की एक खास बात और थी। दोनों ही टीमें नये कप्तान के नेतृत्व में मुकाबले में उतरी थी। दोनों ही टीमों के पूर्व कप्तान युवराज सिंह और वीरेन्द्र सहवाग हालांकि की टीम का हिस्सा थे, लेकिन दोनों का ही बल्ला नहीं चल पाया। कप्तानी और बल्लेबाजी में गंभीर अपने विरोधी संगकारा से बेहतर दिखें और ये ही अंत में निर्णायक साबित हुआ।
Saturday, March 13, 2010
बोले तो मुंबई...........
राजस्थान रॉयल्स अंत तक मुकाबले में बनी रहीं तो केवल यूसुफ पठान की बदौलत। यूसुफ ने शुरूआती मुकाबले में ही वह शो दिखाया है जिसकी उम्मीद उनसे की जा रही थी। पॉवर और प्लेसमेंट से भरी उनकी पारी ने राजस्थान रॉयल्स को जीत की दहलीज तक पहुंचा ही दिया था। वहीं डोंगरा और झुनझुनवाला ने भी रॉयल्स की उम्मीदों को कुछ बेहतरीन शॉट्स खेलकर अंतिम ओवर तक जिंदा रखा।
मुकाबले के बाद वार्न अपने तीन मुख्य विदेशी साथियों के प्रदर्शन से निराश होंगे। मस्करेनहास, स्मिथ ने बल्ले से वो कमाल नहीं दिखाया जो यूसुफ की कोशिशों को जीत में बदल सकता था। वहीं शान टैट की धार को पहले सचिन ने फिर रायडू और तिवारी ने कुंद कर दिया। ऐसे में यदि यूसुफ आईपीएल के इतिहास का सबसे तेज शतक नहीं लगाते तो टीम की बुरी गत होती।
मुंबई इंडियंस के लिए ये जीत सही मायनों में टीम के संयुक्त प्रयासों की जीत है। सचिन और जयसूर्या ने तेज शुरूआत दी, लेकिन वे टीम को बडी शुरूआत नहीं दे सकें। ऐसे में मुंबई का मध्यक्रम जो अनुभवहीन माना जा रहा था उसके लडखडाने की आशंका थी, लेकिन रायडू और तिवारी ने कमाल कर दिया। उन्होंने बता दिया कि आईपीएल के जरिए उन्हें खुद को दुनिया के सामने साबित करने का जो मौका मिला है वे उसे किसी भी कीमत पर छोडने वाली नहीं है। वहीं तमिलनाडू के सतीश ने दो महत्वपूर्ण रनआउट कर खुद के इरादे भी साफ कर दिए। असनोदकर को उन्होंने कोई मौका नहीं दिया तो यूसुफ उनकी सुझबुझ के सामने अपना विकेट गंवा बैठै। और स्मिथ के कॉट एंड बोल्ड के क्या कहने।
आखिर में बात सचिन की। मास्टर ब्लास्टर पूरे मुकाबले में बिलकुल भी पैनिक नजर नहीं आए। उनके गेंदबाजों की जब यूसुफ धुलाई कर रहे थे, तब भी वह खिलाडियों का हौंसला अफजाई करते नजर आए। आखिर तक वो मिस्टर कूल बने रहें। हालांकि हरभजन सिंह का ना होना उनके लिए सबसे बडे हथियार के बगैर जंग के मैदान में उतरने जैसे था, लेकिन सचिन ने नये खिलाडियों को प्रोत्साहित किया और मुंबई को पहले ही मुकाबले में दो अंक दिला दिए। इस मुकाबले की इससे अलावा दूसरी सबसे बडी खासियत ये रही कि इसमें भारतीय खिलाडियों ने रॉक किया, जो इस लीग इंडियन प्रीमियर लीग कहलाने को सार्थक कर रहा है।
ये मुकाबला बेहद करीबी होगा ओर रनों से भरपूर होगा ऐसी उम्मीद सभी लगाए बैठे थे। ऐसे में सचिन की बात याद आ गई जो उन्होंने टॉस के समय कहीं थी। सचिन से पूछा गया था कि उनकी नजर में इस विकेट पर कितना स्कोर विनिंग टोटल होगा। सचिन का जवाब था, विरोधी टीम से एक रन ज्यादा। मुंबई इंडियंस की जीत का अंतर सचिन की इस बात को सच साबित कर गया। उम्मीद है सचिन की टीम का ये विनिंग रन यूं ही जारी रहेगा।
माय नेम इज गांगुली, एंड आय एम नॉट ए लूजर।
दोनों पारियों में पहले दो ओवर डेक्कन चार्जर्स के नाम रहें। चाहे लगातार विकेट लेकर नाइटराइडर्स को बैकफुट पर डालने वाली गेंदबाजी हो या फिर पहले दस ओवर में फ्रंटफुट पर आकर बल्लेबाजी करने की। नाइटराइडर्स खुशकिस्मत रहीं कि खेल के जिस हिस्से में उसका पलडा भारी रहना चाहिए, वहीं उसके बल्लेबाजों और गेंदबाजों ने कमाल दिखाया।
कुल मिलाकर इस मुकाबले में दोनों टीमों ने जमकर गलतियां की। अंत में जीत उस टीम को हासिल हुई, जिसके गलतियों का अनुपात कम रहा। नाइटराइडर्स के लिए मुकाबले की शुरूआत किसी नाइटमेयर से कम नहीं थी। टीम ने दो विकेट उस वक्त गंवा दिए थे, जब स्कोर बोर्ड पर रनों का खाता शून्य दर्शा रहा था। उस वक्त लग रहा था कि शाहरूख की टीम एक बार फिर पुरानी राहों पर चल पडी है। ऐसे में टीम ने स्कोर अच्छा खासा खडा कर लिया तो फील्डरों ने टीम को नीचा दिखाने में कोई कमी नहीं छोडी। गिलक्रिस्ट को शुरूआत में दो रन पर एक मुश्किल जीवनदान मिला तो इसके बाद भी कैच टपकाने का सिलसिला और कुछ मौके पर रन आउट छोडने का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा। वो तो भला हो डेक्कन के बल्लेबाजों को जो एक के बाद एक अपने विकेट थ्रो करते चले गए। गिलक्रिस्ट, लक्ष्मण, गिब्स, रोहित और सायमंडस सभी खराब शॉट्स खेलकर आउट हुए। गेंदबाजों का कम इन बल्लेबाजों का खुद को आउट कराने में ज्यादा योगदान था।
आईपीएल के इस शुरूआती मुकाबले ने भारतीय क्रिकेट को एक बार फिर आत्मचिंतन का मौका दे दिया है। पिछले बार की तरह इस बार भी आईपीएल, इंडियन प्रीमियर लीग की बजाए इंटरनेशनल प्रीमियर लीग बनता नजर आ रहा है। मुकाबले में तीन अर्धशतक लगे तीनों विदेशी खिलाडियों के नाम पर रहें। गिलक्रिस्ट, मैथ्यूज और ओवेस शाह ने कमाल की बल्लेबाजी की। गेंदबाजी में भी शुरूआत में चामिंडा वास की गेंदों ने ही जमकर कहर बरपाया। ईशांत शर्मा और लक्ष्मीरतन शुक्ला के अलावा मुरली कार्तिक और प्रज्ञान ओझा ने ही भारतीय खेमें की थोडी बहुत लाज बचाने का काम किया है। लेकिन लेंगवेल्ट, मैथ्यूज ने गेंदबाजी में भी बेहतर कमाल दिखाया है।
दो खिलाडियों ने इस मुकाबले में सबसे ज्यादा निराश किया। रोहित शर्मा ने पिछले आईपीएल में मैच विनर के रूप में अपनी पहचान कायम की थी। आज उनके पास फिर खुद को इस भूमिका में सफल होते देखने का मौका था, लेकिन उन्होंने जो शॉट सिलेक्शन किया उसके लिए उन्हें अफसोस हो रहा होगा। वहीं टी सुमन ने पिछले आईपीएल में लंबे शॉट्स लगाकर टीम का भरोसा जीता था। ऐसे में जब तक ये दोनों क्रीज पर थे, चार्जर्स का अपर हेंड था। बहरहाल, दादा आज की रात चैन से सो पाएंगे। उनका बल्ला नहीं चला इसका अफसोस साफतौर पर बचे हुए उन्नीस ओवरों में देखने को मिल रहा है था जब वह डगआउट में बैठे हुए थे। हालांकि, उन्होंने लक्ष्मीरतन शुक्ला को लेकर जो जुआं खेला वहीं आखिर में मैच विनिंग साबित हुआ। दादा गांगुली की ये ही आक्रमता उनके क्रिकेटिंग कैरियर की पहचान रहीं है और वो डीवाय पाटिल स्टेडियम पर कायम दिखी। हालांकि पहला मुकाबला खेल रहें अनिरूद्ध सिंह ने जरूर थोडी चमक बिखेरी, लेकिन वह भी गिलक्रिस्ट की उम्मीदों पर पूरी तरह खरे नहीं उतरें।
मुकाबले के पहले ही इस बात का जिक्र किया था कि डेक्कन चार्जर्स की मजबूती उसकी बल्लेबाजी है तो कोलकाता की जीत का दारोमदार गेंदबाजों पर रहेगा। हुआ वहीं, चार्जर्स के बल्लेबाजों पर कोलकाता के गेंदबाज भारी पडे। इस मुकाबले के बाद पूर्व भारतीय कप्तान ये कहलाने का हक जरूर रखता है, माय नेम इज गांगुली, एंड आय एम नॉट ए लूजर।
Friday, March 12, 2010
क्रिकेट दिल से
भारत विश्व कप हॉकी के अंतिम चार में पहुंचने में नाकाम रहा है। टीम आज सातवे और आठवे स्थान के लिए अर्जटीना से भिडेगी। शायद इसके साथ ही हॉकी को फिर से दिल देने वाले देश का हॉकी प्रेम भी खत्म हो जाएगा। भारत का ये मुकाबला खत्म होते होते देश एक बार फिर उसी खेल के लिए धडकने लगेगा, जिसमें वर्ल्ड कप फतह किए हमें 27 साल बीत चुके है। आईपीएल का तीसरा संस्करण आज से शुरू होने जा रहा है और अगले 45 दिनों तक देश में केवल अब एक ही खेल की चर्चा होगी। एक साल के अंतराल के बाद आईपीएल एक बार फिर भारत लौटा आया है।
खैर,क्रिकेट की दुनिया की सबसे चर्चित और बेशुमार दौलत वाली लीग का आगाज आज शाम को हो जाएगा। पहले मुकाबले में सबसे लोकप्रिय टीमों में शुमार लेकिन पहले दोनों संस्करणों में फिसड्डी साबित हुई कोलकाता नाइटराइडर्स के सामने गत विजेता डेक्क्न चार्जर्स की चुनौती होगी। सौरव गांगुली की अगुआई वाली इस टीम को शुरूआती मुकाबलों में ब्रैंडन मॅक्कुलम और क्रिस गेल जैसे सितारा खिलाडियों की सेवाएं नहीं मिलेगी। ऐसे में उनके लिए विरोधियों से पार पाने के लिए अपने सबसे विध्वंसक हथियारों के बगैर ही मैदान में उतरना पडेगा।
विवादों से घिरे गांगुली को इस बार फ्री हैंड मिला हुआ है, ऐसे में शाहरूख खान के साथ साथ दादा की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। सवाल ये ही उठ खडा हुआ है कि क्या गांगुली इस भरोसे को कायम रख पाएंगे। उन्हें नये खिलाडियों और अनुभव के मेलजोल का वही फार्मूला फिर से सही तरीके से इस्तेमाल करना होगा जिसकी बदौलत वह भारत को शीर्ष स्थान पर ले गए थे। डेक्कन के सामने मुकाबले में ब्रेड हॉज और ओवेश शाह के अलावा ऐसा कोई बडा विदेशी बल्लेबाज नहीं है जिस पर गांगुली भरोसा कर सकें। ऐसे में बंगाल टाइगर के बल्ले को भी दहाडना ही होगा, यदि वे शुरूआत से ही चार्ज होना चाहते है। गेंदबाजी में ईशांत शर्मा के फार्म में वापसी टीम के लिए राहत की बात हो सकती है। चार्ल्स लेंगवेल्ट, एजेंलो मैथ्यूज और अजीत आगरकर की मौजूदगी से टीम का गेंदबाजी पक्ष काफी मजबूत नजर आ रहा है। वहीं बाद में शेन बांड के शामिल होने और वसीम अकरम जैसे बॉलिंग कोच से राइडर्स का पेस अटैक फिलहाल मारक नजर आ रहा है। बल्लेबाजों ने अपना कमाल दिखा दिया तो ये टीम आईपीएल में लंबा सफर तय कर सकती है।
वहीं, डेक्कन चार्जर्स जब आज मुंबई के डीवाय पाटिल स्टेडियम पर उतरेगी तो साथ में उम्मीदों का काफी बोझ भी टीम के कंधों पर होगा। गत विजेता चार्जर्स पर ये दबाव होगा अपने ताज को बचाने का। ऐसे में एडम गिलक्रिस्ट के नेतृत्व वाली इस टीम को हर समय इस अतिरिक्त दबाव से दो चार होना पडेगा। बल्लेबाजी के लिहाज से चार्जर्स बेहद मजबूत है। कप्तान के अलावा एंड्रयू सायमंडस, रोहित शर्मा, हर्शल गिब्स के साथ पिछले आईपीएल की खोज टी सुमन और वेणुगोपाल राव जैसे अनुभवी बल्लेबाज के चलते टीम की बल्लेबाजी में काफी गहराई है। खासतौर पर उपरी क्रम का कोई भी एक बल्लेबाज भी चमका तो वह विरोधी टीम का काम तमाम करने का दमखम रखता है। ऐसे में बल्लेबाजी को लेकर गिलक्रिस्ट जितने बेफ्रिक नजर आ रहे है, गेंदबाजी उनके लिए उतनी ही बडी चिंता की वजह है। टीम को स्ट्राइक गेंदबाज वेस्टइंडीज के केमोर रोश की सेवाएं पहले दो मुकाबलों में नहीं मिल पाएगी। आईपीएल में सर्वाधिक विकेट लेने वालों में शामिल आर पी सिंह भारतीय सरजमी पर अब तक ज्यादा मारक साबित होते नहीं दिखे है। वहीं चामिंडा वास के लंबे समय से क्रिकेट से बाहर रहने की वजह से उन्हें जंग लग सकता है। प्रज्ञान ओझा ही जो डेक्कन की साख को बचाने का काम कर सकते है। डेक्कन के बल्लेबाजों का असफल होना उसके लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। हालांकि भोपाल के मोहनीश मिश्रा इस टीम के लिए छुपे रूस्तम साबित हो सकते है। कुछ इसी तरह जिस तरह पिछले साल राजस्थान रॉयल्स के लिए इंदौर के नमन ओझा ने कमाल दिखाया था।
नाइटराइडर्स
आईपीएल3 के शुरूआती मुकाबले में गांगुली की टीम का पलडा भारी नजर आ रहा है। ये टीम इस मुकाबले को जीतने की क्षमता रखती है। नाइट राइडर्स पिछले साल भले ही अंतिम स्थान पर रहे हो, लेकिन उसके लिए विरोधियों की बजाए उनकी अपनी खामियां ज्यादा जिम्मेदार थी। ऐसे में गांगुली यदि टीम का मोराल बढाने में कामयाब रहे तो ये टीम इस बार पहले चार में नजर आ सकती है।
हॉकी
भारतीय हॉकी टीम के लिए ढेरों शुभकामनाएं। ये टीम केवल मुकाबला हारी है, लेकिन अपने खेल से इस टीम ने दिखा दिया है कि वह बहुत आगे तक जा सकती है। यदि छोटी छोटी गलतियां ये टीम नहीं करती तो सेमीफायनल बर्थ पक्की थी। कम ऑन इंडिया, यू केन डू इट, कॉमनवेल्थ में गोल्ड पक्का है, लगे रहों। करोडों की भले ही ना हो लाखों लोगों की दुआएं अब भी आपके साथ में है। हम नहीं भूल सकते है जब ध्यानचंद स्टेडियम पर जग गण मन बजता है तो किस तरह आप सुर से सुर मिला रहे थे। आपके इस कमिटमेंट को सलाम।