पाकिस्तान यानि पवित्र या पाक भूमि। यह पाक भूमि इस वक्त दुनिया की सबसे भीषणतम प्राकृतिक आपदा झेल रही है। आसमानी कहर 2000 से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। दो करोड़ से ज्यादा पाकिस्तानी इस आपदा में सब कुछ गंवाकर बेघर हो गए है। निराशा और बेबसी डूबा यह मुल्क इस आपदा से उबरने की कोशिश करता इसके पहले क्रिकेट में आए भूचाल ने पानी में डूबे पाकिस्तानियों का सिर शर्म से ओर झुका दिया है। रमजान के पाक माह में क्रिकेटरों की नापाक हरकतों ने जिन्ना के मुल्क में मैच फिक्सिंग का जिन्न फिर जाग गया है।
पाकिस्तान क्रिकेटरों की फिक्सिंग ने 63 साल से दुनिया के नक्शे पर खास पहचान बनाने के लिए जुझ रहे इस मुल्क को लेकर नये सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है। पाक खिलाडि़यों की इस करतूत को महज खेल में फिक्सिंग भर ये जोडकर नहीं देखा जाना चाहिए। इसकी जड़े कही गहरी एक मुल्क के नाकाम होने से जुड़ी हुई है। क्योंकि संकट के इस दौर में मुल्क का निजाम बाढ़ में डूबी जनता के दुख दर्द दूर करने की बजाए यूरोपीय देशों में मजे लूट रहा था। शिक्षा और रोजगार के अभाव में पहले ही पाकिस्तानी युवा रॉकेट लांचर और एके 47 को थामने से गुरेज करते नहीं दिखते है। ऐसे में क्रिकेटरों की यह सौदेबाजी मुल्क के बिखराव के संकेत है। मुल्क के सबसे लोकप्रिय खेल की नुमाइंदगी में फख्र महसूस करने की बजाए उसकी आबरू का सौदा, इससे ज्यादा शर्मिन्दगी किसी मुल्क के लिए और क्या हो सकती है।
इस मुल्क में क्रिकेटर, राजनेताओं और सैन्य शासक तीनों की फितरत एक जैसी नजर आती है। सभी कल हो ना हो की होड़ में मुल्क को बेचने से भी परहेज नहीं कर रहे है। क्रिकेटरों को लगता है कि कल खेलने को मिले या न मिले आज जितना माल कूट सकते है कूट लिया जाए। मुशर्रफ, जरदारी, नवाज शरीफ और जनरल जिया उल हक किसी को भी भरोसा नहीं रहा कि अगले पल उनकी कुर्सी सलामत रहेगी या नहीं। इसी के चलते किसी ने जमकर भ्रष्टाचार किया तो किसी ने अपने ही मुल्क के बाशिंदें को निर्वासित होने या फिर उसकी जिंदगी का सौदा करने का मौका भी नहीं छोड़ा।
पाकिस्तान की इस बदहाली पर इंटरनेट पर मौजूद दस्तावेजों को जरा नजर दौड़ाई जाए तो पिछले साल अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत हुसैन हक्कानी की 14 वर्षीय बेटी मीरा हुसैन हक्कानी एक खत का जिक्र मिलता है। अखबार 'द न्यूज' में प्रकाशित 'अल्लाह के नाम खत' में मीरा लिखती हैं, 'आजादी मिलने के 62 साल बाद भी पाकिस्तान खौफजदा है। भले ही उसके पास काफी जमीन है। लेकिन वह तबाह हो चुका है। उसके पर्वत कमजोर और बेसहारा हैं। गोलियों तथा बम धमाकों के कारण कभी खूबसूरत रही इसकी वादियां खाक में मिल चुकी हैं। उसके बच्चे भूखे हैं और आंसू बहा रहे हैं। यही पाकिस्तान है।' एक साल बाद अब शायद मीरा सोच रही होगी कि अशिक्षित, लाचार और बेसहारा लोगों ने मजबूरी में यह सब कुछ किया हो लेकिन लाखों करोड़ों में खेलने वाले क्रिकेटर के के सामने तो ऐसी कोई मजबूरी नहीं थी। क्रिकेटरों की यह करतूत आत्मघाती हमले जैसी है, जिससे वह न तो खुद बच पाएंगे और नहीं मुल्कवासियों को चैन की सांस लेने देंगे।
19 साल का युवा क्रिकेटर मोहम्मद आमिर जो लॉडर्स टेस्ट के पहले दिन पाकिस्तान का हीरो था वह अब खलनायक बन चुका है। वसीम अकरम से भी शातिर और पैनी जिसकी गेंदबाजी मानी जा रही थी उसका कैरियर शुरू होने के पहले ही खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है। पाकिस्तान के न जाने कितने खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर बनने का ख्वाब देखते है लेकिन उन्होंने मास्टर ब्लास्टर से कोई सबक नहीं लिया। सचिन ही है जिन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में शतक जमाते हुए एक अरब भारत वासियों को मुंबई हमले के गम से बाहर निकालने में मदद की थी। पाकिस्तान के नापाक खिलाडि़यों ने तो बाढ़ में डूबे अपने देशवासियों की पीड़ा को बढ़ाते हुए उन्हें ओर गर्त में डूबो दिया है। यहां मसला किसी एक कौम का नहीं है। पाकिस्तानी टीम की नुमाइंदगी करने वाले दानिश कनेरिया भी फिक्सिंग में फिक्स हो चुके है। यह जनाब तो काउंटी मुकाबलों में फिक्स करने के चलते ब्रिटिश हवालात की हवा भी खा चुके है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों में राष्ट्रीयता की सबसे खरी परीक्षा तो आखिर यही है कि हम राष्ट्र का हित बिलकुल उसी तरह देखें मानो वह हमारा व्यक्तिगत हित हो। पाकिस्तान में व्यक्तिगत हित को ही राष्ट्र का हित मान लिया गया है। वहीं मुंशी प्रेमचंद के शब्दों में जिस सभ्यता का केन्द्र बिंदु स्वार्थ हो, वह सभ्यता नहीं अपितु संसार के लिए अभिशाप है और समूचे विश्व के लिए विपत्ति है। क्रिकेट में फिक्सिंग से लेकर आतंकियों की शरणस्थली बनने तक पाकिस्तान पूरी दुनिया के लिए विपत्ति ही बनता जा रहा है। कमजोर और अस्थिर पड़ोसी से भारत की चिंता कम होने की बजाए बढ़ना ही है। कराची में अपनी कब्र में जिन्ना इस वक्त करवट लेकर उस घड़ी को कोस रहे होंगे जब उन्होंने धर्म के आधार पर दो मुल्कों की कल्पना की थी।